20 हजार स्टूडैंट्स का भविष्य दांव पर, जाने पूरा मामला

Edited By pooja verma,Updated: 18 Feb, 2020 10:47 AM

20 thousand students  future is at stake know the whole matter

चंडीगढ़ में चल रहे 91 गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ रहे 20 हजार बच्चों का भविष्य ताक पर लग गया है।

चंडीगढ़ (साजन) : चंडीगढ़ में चल रहे 91 गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ रहे 20 हजार बच्चों का भविष्य ताक पर लग गया है। प्रशासन उन सभी स्कूलों पर कार्रवाई करेगा, जिनकातय नॉर्म्स के मुताबिक इनफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। प्रशासन की दलील है कि जो स्कूल नियम कानूनों को पूरा नहीं करते उन्हें किसी भी प्रकार मान्यता नहीं दी जा सकती। 

 

लेकिन जिन स्कूलों में नॉर्म्स की ज्यादा वायलेशन नहीं होगी, उन्हें प्रशासन मान्यता  दे देगा।  हालांकि प्रशासन 20 हजार बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए सभी नाम्र्स पूरा करने के लिए स्कूलों को समय दे सकता है, क्योंकि सांसद किरण खेर ने इन स्कूलों की एसोसिएशन के प्रतिनिधियों को एडवाइजर के साथ मीटिंग करने के लिए भेजा था।

 

कमेटी करेगी स्कूलों का निरीक्षण
एडवाइजर मनोज परिदा ने प्रिंसिपल होम सैक्रेटरी, जिनके पास एजुकेशन सैक्रेटरी का चार्ज भी है और डायरैक्टर रूबिंदरजीत सिंह बराड़ को एक कमेटी गठित करने का आदेश दिया जो इन स्कूलों का निरीक्षण करने जाएगी। जिन स्कूलों का तय नाम्र्स के मुताबिक इनफ्रास्ट्रक्चर पूरा है उन्हें मान्यता दे दी जाएगी, लेकिन जिनके नाम्र्स पूरे नहीं हैं उन्हें कुछ समय के लिए राहत दी जाएगी। अगर तय समय सीमा में नाम्र्स पूरे नहीं हुए तो इन स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। 

 

मान्यता रद्द करने की दी है हिदायत
बता दें कि एजूकेशन सैक्रेटरी और डायरैक्टर एजुकेशन को ये भी हिदायत दी गई है जिसमें कहा गया है कि अगर छोटी मोटी वायलेशन स्कूलों में मिलती है तो उन्हें नजरांदाज कर दिया जाए, लेकिन अगर वायलेशन बड़ी है तो नाम्र्स के अनुरूप मान्यता रद्द कर दी जाए।  नियम पूरे करने के लिए अभी दिया जाएगा समय चंडीगढ़ रूरल एजुकेशन वैल्फेयर सोसाइटी की सोमवार को एडवाइजर मनोज परिदा, शिक्षा सचिव अरूण कुमार गुप्ता, डायरैक्टर रुबिंदरजीत सिंह बराड़ के साथ बैठक हुई। 

 

इसमें एडवाइजर परिदा ने योग्य स्कूलों को मान्यता देने और एक कमेटी का गठन करने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों के दस्तावेजों की जांच की जाएगी और योग्य पाए जाने वालों को मान्यता दी जाएगी और जो स्कूल योग्य नहीं होंगे, उन्हें समय दिया जाएगा। अगर फिर भी वह स्कूल नियमों को पूरा नहीं करेंगे तो उन्हें बंद करने की कार्रवाई की जाएगी।

 

चंडीगढ़ रूरल एजुकेशन वैल्फेयर सोसाइटी के प्रधान कपिल ने आर.टी.ई. एक्ट 2009 का हवाला देकर स्कूलों को मान्यता देने की बात कही। उन्होंने मनोज परिदा को बताया कि चंडीगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राइवेट स्कूल पिछले लगभग 20 वर्ष से चल रहे हैं। राइट टू एजुकेशन 2009 की बात करें तो ये स्कूल लगभग सभी मूलभूत आवश्यकताएं विद्यार्थियों को उपलब्ध करवाते हैं।

 

नियमों पर खरे नहीं उतरते
आंकड़ों के अनुसार चंडीगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में 91 प्राइवेट स्कूल लगभग 20,000 विद्यार्थियों को शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं। इन स्कूलों ने चंडीगढ़ के शिक्षा विभाग से मान्यता के लिए आवेदन किया था, जिसमें कई स्कूलों की इंस्पैक्शन भी हो चुकी है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने खुद ही इन स्कूलों को बेहतर पाया था। परंतु इन स्कूलों को प्राइमरी एजुकेशन के लिए मान्यता नहीं दी गई है। 

 

सभी 91 गैर-मान्यता प्राप्त स्कूल मौलीजागरां, मनीमाजरा, धनास, मलोया, हल्लोमाजरा, खुड्डा अलीशेर, डड्डूमाजरा आदि में हैं। विभाग के अनुसार इनमें से कई स्कूल नियम-कानूनों पर खरे नहीं उतरते हैं। इन स्कूलों में कई ऐसे भी हैं, जिनमें सिर्फ 17 से 50 विद्यार्थी ही पढ़ते हैं। जबकि कई ऐसे हैं, जिनमें 500 से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ते हैं।
गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ रहे 
 

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