Edited By pooja verma,Updated: 23 Aug, 2019 12:55 PM
चंडीगढ़ इंटरनैशनल एयरपोर्ट के 100 मीटर के दायरे में जीरकपुर के पभात एरिया में चिन्हित किए गए 98 अवैध निर्माणों का गिराना अब तय हो गया है।
चंडीगढ़ (रमेश): चंडीगढ़ इंटरनैशनल एयरपोर्ट के 100 मीटर के दायरे में जीरकपुर के पभात एरिया में चिन्हित किए गए 98 अवैध निर्माणों का गिराना अब तय हो गया है। इसके लिए पंजाब सरकार ने हामी भर दी है। हाईकोर्ट ने सरकार को वर्ष 2011 की नोटीफिकेशन जारी होने के बाद हुए इन अवैध निर्माण गिराने को चार माह का समय दिया है।
पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने कोर्ट में पेश की स्टेटस रिपोर्ट में बताया कि सरकार ने वर्ष 2011 के बाद हुए निर्माणों का सर्वे करने को कमेटी गठित की थी, जिसने 98 निर्माणों को चिन्हित किया है, जिन्हें गिराने को लेकर कोई संशय नहीं है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2008 और 2011 के केंद्र की और से जारी नोटीफिकेशन के बीच 20 व वर्ष 2008 से पहले पभात एरिया में 198 निर्माण चिन्हित किए गए हैं, जिन्हें गिराने से पहले एक्ट के तहत मुआवजा देना होगा, जिसे निर्धारित करने के लिए समय लगेगा। बिना मुआवजा दिए उक्त निर्माणों को नहीं गिराया जा सकता।
कोर्ट ने सरकार को इस संबंध में जल्द ही औपचारिकताएं पूरी करने को कहा है। वहीं, जगतपुरा में जिन 10 निर्माणों को चिन्हित किया गया था, वह भी वर्ष 2008 से पहले के निर्मित हैं, जिन्हें गिराने के लिए ग्माडा अंतिम फैसला लेगा।
डी.सी. के अधीन बनाई कमेटी
हाईकोर्ट के निर्देशों पर मोहाली के डी.सी. की अगुवाई में एक कमेटी गठित की गई है जोकि एयरपोर्ट के 100 मीटर के दायरे में अवैध रूप से होने वाले निर्माणों पर नजर रखेगी और सुनिश्चित करेगी कि 100 मीटर के दायरे में कोई भी अवैध निर्माण न हो। उक्त कमेटी की हर महीने मीटिंग होगी, जिसकी रिपोर्ट सभी संबंधित स्टेकहोल्डर्स को भी दी जाएगी।
हरियाणा और पंजाब मिलकर बना लें सड़क, मिल जाएगा अंडरपास का विकल्प
एयरफोर्स की ओर से हरियाणा के लिए अंडरपास की डिमांड पर भी सुझाव दिया गया गया कि जीरकपुर की ओर से हरियाणा एंट्री मांग रहा है। इस अंडरपास पर लगभग 1500 करोड़ का खर्च आना है, जिसमें हरियाणा पंजाब को भी हिस्सा देने की बात कर रहा लेकिन पंजाब ने पैसा देने से इन्कार कर दिया है।
हरियाणा की उक्त मांग पर केंद्र के असिस्टैंट सॉलिसटर जनरल चेतन मित्तल ने सुझाव दिया कि एयरपोर्ट के 100 मीटर के दायरे में कोना सड़क का निर्माण कर दिया जाए, जिससे एयरपोर्ट को एमरजैंसी के लिए एग्जिट भी मिल जाएगी और हरियाणा को जीरकपुर की ओर से एयरपोर्ट की एंट्री भी मिल जाएगी।
उनका सुझाव था कि उक्त सड़क के निर्माण के जमीन अधिकृत कर ली जाए, जिसके लिए दोनों राज्य मिलकर मुआवजा राशि और सड़क पर होने वाला खर्च मिलकर वहन कर लें। इससे अंडरपास पर खर्च होने वाला करोड़ों रुपए बच सकता है और सभी स्टेकहोल्डर्स को फायदा मिलेगा। कोर्ट को बताया गया कि पंजाब के राज्यपाल की अध्यक्षता में इस विषय को लेकर बनी कमेटी के समक्ष भी केंद्र ने उक्त विकल्प को रखा है।
किसी गरीब से अन्याय न हो
एक व्यक्ति ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि उसे वर्ष 2018 में भी नोटिस दिया गया था, जिसके जवाब में उसने हाईकोर्ट में केस कर बताया था कि उन्हें भेजा गया नोटिस गलत है क्योंकि उन्होंने निर्माण वर्ष 2011 से पहले किया था, जिसका फैसला आना अभी बाकी है।
चीफ जस्टिस ने पंजाब सरकार को कहा है कि जो भी कार्रवाई हो, वह कानून के दायरे में हो और पूरी तरह वैरिफाई करने के बाद ही निर्माण गिराए जाएं। किसी गरीब के साथ अन्याय न हो, इसका खास ध्यानरखा जाए।
अधिकांश निर्माण कमर्शियल
पभात एरिया में जिन 98 निर्माणों को गिराया जाना है, उनमें अधिकांश कमर्शियल हैं और एयरपोर्ट के अस्तित्व में आने के बाद रातोंरात इनका निर्माण हुआ बताया जा रहा है। इनमें दर्जन भर होटल व इतने ही बड़े कमर्शियल निर्माण हैं। उक्त निर्माणों पर करोड़ों खर्च हुआ बताया जा रहा है जिनकी सरकार ने राजस्व लेकर रजिस्ट्रियां भी की और नक्शे भी पास किए लेकिन इसका जिक्र कोर्ट में नहीं किया गया।
कैट 3 प्रणाली स्थापित होने में होगी देरी
असिस्टैंट सॉलिस्टिर जनरल चेतन मित्तल ने अदालत को बताया कि कैट 3 और साऊदर्न टैक्सी ट्रैक को वर्किंग परमिशन मिलने में देरी की वजह से कैट 3 को दिसम्बर तक स्थापित करने के काम में लगभग दो महीने की देरी हो सकती है।
उन्होंने अदालत को बताया कि कैट 3 और साऊदर्न टैक्सी ट्रैक को वर्किंग परमिशन मिलने में आ रही तकनीकी दिक्कतों को लेकर बने रिवाइज्ड प्लान को रक्षा मंत्रालय को भेज दिया गया है। इस पर हाईकोर्ट ने रक्षा सचिव को इस रिवाइज्ड प्लान पर दो सप्ताह में फैसला लेने के आदेश दिए हैं।
इंटरनैशनल फ्लाइट पर कैट 3 न होने का असर नहीं
मित्तल के अनुसार कैट 3 का इस्तेमाल जीरो विजिबिलिटी के समय किया जाता है लेकिन जीरो विजिबिलिटी होने पर कोई भी जहाज लैंड नहीं करता क्योंकि ऐसे में खतरा बढ़ जाता है इसलिए चंडीगढ़ से इंटरनैशनल फ्लाइट पर कैट 3 न होने का असर नहीं पड़ता। कैट 3 इंटरनैशनल पैरामीटर का हिस्सा मात्र है, जिसका प्रयोग बहुत कम होता है।
एयरपोर्ट को ओपन स्काई पॉलिसी में शामिल करने की मांग भी उठी
चंडीगढ़ इंटरनैशनल एयरपोर्ट को एशियाई देशों के साथ ओपन स्काई पॉलिसी के तहत आने वाले 18 एयरपोटर््स में शामिल करने की मांग भी अदालत में उठी। कोर्ट मित्र सीनियर एडवोकेट एम.एल. सरीन ने अदालत को बताया कि भारत सरकार ने एशियाई देशों के साथ ओपन स्काई नीति बनाई हुई है।
जिसके तहत देश के 18 एयरपोटर््स पर इन देशों के जहाज बिना द्विपक्षीय समझौतों के भी आवागमन कर सकते हैं। सरीन ने बताया कि चंडीगढ़ इंटरनैशनल एयरपोर्ट को भी इनमें शामिल किए जाने से इन देशों से यहां के लिए उड़ानों की संख्या में काफी सुधार आ सकता है।