प्रशासन ने केंद्र से 200 करोड़ रुपए का एडीशनल बजट मांगा

Edited By bhavita joshi,Updated: 15 Jun, 2019 12:37 PM

additional budget

चंडीगढ़ प्रशासन ने नगर निगम को वित्तीय संकट से उबारने के लिए केंद्र से 200 करोड़ रुपए का एडीशनल बजट जारी करने की मांग की है।

चंडीगढ़(राजिंद्र शर्मा): चंडीगढ़ प्रशासन ने नगर निगम को वित्तीय संकट से उबारने के लिए केंद्र से 200 करोड़ रुपए का एडीशनल बजट जारी करने की मांग की है। बजट न होने के चलते निगम के महत्वपूर्ण प्रोजैक्ट्स प्रभावित हो रहे हैं। यहां तक कि निगम ने पिछले कुछ सालों में जितने भी डिवैल्पमैंट प्रोजैक्ट्स का प्लान तैयार किया था, उन सब पर ब्रेक लग गई है। 

निगम को अपने जरूरी प्रोजैक्ट्स पर काम करने के लिए फंड की जरूरत है, जिसके चलते ही निगम ने प्रशासन से एडीशनल बजट जारी करने की मांग की थी। प्रशासन ने निगम की इस मांग को कुछ समय पहले केंद्र के पास भेज दिया, लेकिन अभी तक वहां से इस संबंध में कोई जवाब नहीं आया है। 

इस संबंध में फाइनैंस सेक्रैटरी अजोय कुमार सिन्हा ने बताया कि उन्होंने केंद्र से निगम के लिए 200 करोड़ का एडीशनल बजट मांगा है, ताकि वह अपने जरूरी कामों को तो आगे बढ़ा सकें। इस संबंध में निगम की तरफ से डिमांड आई थी लेकिन अभी तक केंद्र की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। वह दोबारा केंद्र से इसका स्टेट्स चैक करेंगे। कई प्रोजैक्ट्स में देरी होने के चलते उनका खर्च भी बढ़ गया है, इसलिए ये राशि भी निगम के लिए काफी नहीं है, इसलिए कई प्रोजैक्ट्स में तो आगे भी देरी होना तय है।  

निगम को मिले बजट से अधिक हैं खर्चे  
प्रशासन ने केंद्र से इस साल मिले बजट में से 500 करोड़ रुपए अधिक मांगे थे। वर्ष 2019-20 बजट के लिए प्रशासन ने केंद्र से 5218.03 करोड़ मांगें थे, जबकि उसे मिले सिर्फ 4753.12 करोड़ रुपए है। वर्ष 2018-19 के लिए निगम को सिर्फ 269 करोड़ बजट मिला था। चंडीगढ़ नगर निगम को इस बार 375 करोड़ रुपए बजट देने  की घोषणा हुई थी, जबकि निगम ने 500 करोड़ की डिमांड की थी। वहीं निगम के कुल खर्चे ही 492 करोड़ के करीब है, इसलिए बजट से तो निगम के अपने खर्चे पूरे नहीं होंगे। ऐसे में डिवैल्पमैंट प्रोजैक्ट्स पर काम करना उसके लिए और भी मुश्किल है।  

निगम के अधिकतम प्रोजैक्ट्स अधर में
निगम की वित्तीय हालत पतली होने के चलते निगम के अधिकतम प्रोजैक्ट्स लटके हुए हैं। यहां तक कि निगम ने कम्युनिटी सेंटरों का निर्माण कार्य प्रशासन को देने की भी पेशकेश रखी थी, जिसके बाद प्रशासन ने कुछ कम्युनिटी सैंटरों के निर्माण का एस्टीमेट भी तैयार किया। इसके अलावा भी ग्रीन बेल्ट्स व पार्कों की डिवैल्पमैंट, ओपन एयर जिम, सेनीटेशन और पानी की बेहतर आपूर्ति से संबंधित भी कई प्रोजैक्ट लटक गए हैं।

हालत ये है कि निगम के लिए अपनी कर्मचारियों का वेतन देना भी मुश्किल हो रहा है। पैसे की कमी होने के चलते निगम के पास अब सिर्फ अपने आय के स्त्रोत बढ़ाने का ही मात्र विकल्प बचा है। यहां तक कि निगम के फिक्स डिपॉजिट में भी कुछ नहीं बचा है। हर माह उसे अपने आय के स्त्रोतों से 10 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है, जबकि खर्चे इससे ज्यादा हैं। यही कारण है कि निगम समय-समय पर काम करने के बावजूद ठेकेदारों की पेमैंट भी रोक रहा है। 

प्रशासन से अतिरिक्त फंड और विभाग देने की कर चुके हैं मांग 
ऐसी हालत में निगम प्रशासन से अतिरिक्त फंड और लाइसैंसिंग एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी उसे सौंपने की मांग कर चुका है। निगम की कई बैठकों में मेयर प्रशासन से फॉर्थ फाइनैंस कमीशन द्वारा तय शेयर निगम को देने की मांग कर चुका है। पिछले तीन साल से निगम को 30 प्रतिशत की जगह सिर्फ 12 प्रतिशत ही शेयर मिल रहा है। वर्तमान समय में यू.टी. प्रशासन का प्रति वर्ष 3500 करोड़ रुपए रेवैन्यू है। अगर इस हिसाब से निगम को 17 प्रतिशत शेयर भी दिया जाए तो उसे 610 करोड़ की ग्रांट मिलेगी। 

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