प्रशासन ने केंद्र से मांगा 5200 करोड़ रुपए बजट

Edited By bhavita joshi,Updated: 18 Jan, 2019 10:47 AM

administration seeks rs 5200 crores budget from center

चंडीगढ़ प्रशासन ने वर्ष 2019-20 वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र से 5200 करोड़ रुपए बजट की मांग की है, जबकि पहले मिले बजट में से प्रशासन कई महत्वपूर्ण प्रोजैक्ट्स पर काम नहीं कर पाया है।

चंडीगढ़(राजिंद्र): चंडीगढ़ प्रशासन ने वर्ष 2019-20 वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र से 5200 करोड़ रुपए बजट की मांग की है, जबकि पहले मिले बजट में से प्रशासन कई महत्वपूर्ण प्रोजैक्ट्स पर काम नहीं कर पाया है। प्रशासन ने पिछले साल मिले बजट से 700 करोड़ रुपए अधिक मांगे हैं। पिछले वर्ष प्रशासन ने केंद्र से 5900 करोड़ रुपए बजट मांगा था, जबकि उसे मिले सिर्फ 4500 करोड़ रुपए थे। 

प्रशासन ने नए बजट से चंडीगढ़ नगर निगम की हालत सुधारने का भी प्रयास कर रहा है। यही कारण है कि इस बार निगम के लिए 355 करोड़ रुपए बजट की मांग की है, क्योंकि वर्ष 2018-19 के लिए निगम को सिर्फ 269 करोड़ बजट मिला था। यही वजह है कि निगम लगातार प्रशासन से बजट में उचित शेयर की मांग करता रहा, लेकिन प्रशासन के पास खुद बजट की कमी होने के चलते पूरा साल उसने निगम को उचित ग्रांट जारी करने में बेबसी दिखाई।

बजट को लेकर प्रशासन के विभागों का ये है रिपोर्ट कार्ड 
हायर एजुकेशन ने वर्ष 2018-19 के मिले कुल बजट का 46 प्रतिशत ही खर्च किया है। पिछले साल विभाग को 214 करोड़ रुपए बजट मिले थे, जिसमें से विभाग ने सिर्फ 100 रुपए बजट ही खर्च किया है। जबकि बजट में प्रावधान के तहत प्रशासन ने पॉलिटैक्निक और इंडस्ट्रियल ट्रेङ्क्षनग इंस्टीच्यूट को अपग्रेड करना था, जबकि इस संबंध में कुछ भी नहीं हुआ है। वहीं हैल्थ विभाग में गवर्नमैंट मैडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल (जी.एम.सी.एच.) सैक्टर-32 और गवर्नमैंट मल्टीस्पैशिएलिटी हॉस्पिटल सैक्टर-16 के लिए 473 करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया था। जी.एम.सी.एच.-32 ने कुल 303 करोड़ बजट में से 240 करोड़ रुपए खर्च किए, वहीं जी.एम.एच.एस.-16 ने कुल 170 करोड़ रुपए बजट में से 136 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। 

इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट 
इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट के लिए 1372 करोड़ रुपए बजट जारी किया गया था, जिस पर 1190 करोड़ खर्च किए गए। फंड का उपयोग रिन्यूएबल एनर्जी स्त्रोतों और मॉडल सोलर सिटी लागू करने के लिए करना था। इसके अलावा पावर डिपार्टमैंट के कंस्ट्रक्शन वर्क से जुड़े प्रोजैक्ट भी पूरे किए जाने थे, लेकिन इसमें भी कुछ नहीं हुआ। 

ट्रांसपोर्ट डिपार्टमैंट 
ट्रांसपोर्ट डिपार्टमैंट के लिए 247 करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया था, लेकिन ट्रांसपोर्ट विभाग भी फंड का सही रूप से उपयोग नहीं कर पाया। विभाग सिर्फ 168 करोड़ बजट ही खर्च कर पाया। सी.टी.यू. ने नई बसें खरीदनी थी और पूरे सिस्टम को ऑनलाइन किया जाना था, लेकिन पिछले कुछ महीनों में बसों के लिए सिर्फ आर्डर ही किया गया है, जबकि अभी तक विभाग को ये बसें नहीं मिली है।

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