Edited By ,Updated: 30 Apr, 2017 11:58 AM
शहर में अस्पतालों अथवा स्वास्थ्य केंद्रों में बच्चों को जन्म देने के लिए महिलाओं को प्रेरित करने के लिए नगर निगम ने एक योजना निगम ने वर्ष 2015 में शुरू की थी।
चंडीगढ़(राय) : शहर में अस्पतालों अथवा स्वास्थ्य केंद्रों में बच्चों को जन्म देने के लिए महिलाओं को प्रेरित करने के लिए नगर निगम ने एक योजना निगम ने वर्ष 2015 में शुरू की थी। वर्ष 2016 में निगम में सत्तारूढ़ दल भी बदल गया व फिर वह योजना कहां गई, यह कोई नहीं बता रहा। इस योजना के तहत शहर के 4 अस्पतालों में निगम ने माताओं को नवजात शिशुओं के पालन और उनके लिए पोषक तत्वों से युक्त बेबी लाड की किटों के मुफ्त वितरण की योजना बनाई थी। पूर्व मेयर पूनम शर्मा ने इसका शुभारंभ भी मई 2015 में किया था। वर्ष 2016 में भाजपा के मेयर अरुण सूद ने सत्ता संभाली व यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई।
अधिकारियों द्वारा धूमधाम साथ शुरू की गई यह योजना 4 दिन बाद ही झटके खाने लगी थी। जिन 4 केंद्रों में यह किटें वितरित की गई उनमें सरकारी मैडीकल कालेज और अस्पताल (जी.एम.सी.एच.), सैक्टर-32, सरकारी मल्टी स्पैशिएलिटी हॉस्पिटल (जी.एम.एस.एच.), सैक्टर-16, गवर्नमैंट हैल्थ सैंटर सैक्टर-22 व मनीमाजरा में शामिल थे।
सैक्टर-32 में अनेक माताओं का कहना था कि ऐसी कोई किट कभी दी जाती थी उन्हें तो इसकी जानकारी भी नहीं है। निगम ने सेफ चाइल्ड बर्थ व ङ्क्षलग अनुपात में सुधार के उद्देश्य से यह योजना शुरू की थी। निगम के एक अधिकारी का कहना था कि योजना शुरू होने के कुछ दिन बाद ही उन्हें पीछे से किट मिलनी बंद हो गई थी। बताया जाता है कि इस योजना के लिए केंद्र से निगम को विशेष ग्रांट भी देने को कहा गया था पर सत्ता बदलते ही इसके लिए प्रयास बंद हो गए। निगम ने इसके लिए 30 करोड़ का बजट भी मांगा था। यह एजैंडा निगम की वित्त एवं अनुबंध कमेटी ने पारित किया था।
2011 की जनगणना के अनुसार चंडीगढ़ में ङ्क्षलग अनुपात प्रति 1000 पुरुषों में 818 महिलाओं है, जो प्रति 1000 पुरुषों की राष्ट्रीय औसत 940 महिलाओं की तुलना में कम है। हर साल 4 सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर 30000 से अधिक प्रसव होते हैं। इसी को देखते हुए केंद्र द्वारा ङ्क्षलग अनुपात में सुधार की जो योजना बनाई गई ती उसे निगम ने चंडीगढ़ में चालू किया पर उसके बाद उसे फंड ही नहीं मिले।
उक्त किट में सभी नवजात शिशुओं व उनका माताओं को दी जाने वाली किट में 9 आइटम्ज का एक सैट प्रदान किया जाता था। इसके अलावा, मां को 3 महीने तक पोषण की खुराक भी प्रदान की जा रही थी। बताया जाता है कि यू.टी. जिला स्वास्थ्य और परिवार कल्याण इकाई की नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि चंडीगढ़ पिछले 2 सालों से 100 प्रतिशत संस्थागत प्रसवों की रिपोर्ट कर रहा है।
निगम के एक अधिकारी ने कहा कि जब प्रशासन केंद्र को शत-प्रतिशत प्रसव अस्पतालों में होने की रिपोर्ट भेज रहा है तो शहर में इस योजना का औचित्य ही खत्म हो जाता है। संभवत: इसी कारण निगम को इस योजना के तहत मिलने वाले फंड नहीं मिले।