फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लाइसैंस बनाने के 4 आरोपी बरी

Edited By bhavita joshi,Updated: 16 Feb, 2019 10:21 AM

based on fake documents four accused acquitted

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लाइसैंस तैयार करवाए जाने के 8 साल पुराने केस में अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में चार आरोपियों को बरी किया है।

चंडीगढ़(संदीप): फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लाइसैंस तैयार करवाए जाने के 8 साल पुराने केस में अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में चार आरोपियों को बरी किया है। विजिलैंस टीम अदालत में केस को साबित नहीं कर सकी। बरी होने वालों में मुनीष, ललित, विकास और महेश सामिल हैं। बचाव पक्ष के वकील हरीश भारद्वाज ने बताया कि जांच कर रही टीम मामले में कोई सबूत पेश नहीं कर सकी। 

बता दें कि वर्ष 2011 में सैक्टर-45 निवासी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि मनीष ने उसका ड्राइविंग लाइसैंस बनवाने के लिए उससे 3 हजार रुपए लिए थे। वह यहां भाई के साथ किराए के मकान में रह रहा था। उसके पास चंडीगढ़ का स्थाई पते का प्रमाण नहीं था। इसी कारण उसका ड्राइविंग लाइसैंस नहीं बन पा रहा था। 25 जुलाई, 2011 को वह जब सैक्टर-17 स्थित लाइसैंस अथॉरिटी विभाग से निकल रहा था तो उसे बाहर एक व्यक्ति मिला, जिसने उसका लाइसैंस बनवाने की बात कही और बदले में 3 हजार रुपए मांगे।

उसने बताया कि मनीष ने उसका लर्निंग लाइसैंस बनवाया और बाद मेंं पक्का लाइसैंस बनवाकर दिया। लेकिन लाइसैंस पर शिकायतकर्ता के एड्रैस की जगह पर कोई अन्य पता दिया हुआ था। शिकायतकर्ता ने मुनीष से बात की तो कहा कि उसके पास कई लाइसैंस बनने के लिए आते हैं, इसलिए गलती हो गई, लेकिन बाद में पता चला कि लाइसैंस बनवाने के लिए जो स्थाई प्रमाण दिया गया है उस पर संबंधित थाने की नकली मोहर लगाई हुई थी। इसके अलावा नकली एम.बी.बी.एस. डॉक्टर के साइन किए हुए थे। 

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