शिक्षक बने डाटा एंट्री ऑप्रेटर्स, बी.एल.ओ. के काम में व्यस्त हैं डाटा एंट्री ऑप्रेटर्स

Edited By bhavita joshi,Updated: 23 Oct, 2018 09:55 AM

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पिछले वर्ष 10वीं का परिणाम काफी खराब रहा।

चंडीगढ़(रश्मि) : पिछले वर्ष 10वीं का परिणाम काफी खराब रहा। इसके चलते कई शिक्षकों की नौकरी पर गाज भी गिरी। इसके चलते शिक्षकों के मन में बोर्ड परिक्षाओं में बच्चों के अच्छा परिणाम का लाने का डर तो बैठा ही है, साथ ही बच्चे भी अपनी पढ़ाई को लेकर काफी गंभीर नजर आ रहे हैं। 10वीं और 12वीं कक्षा में पढऩे वाले छात्रे दिन-रात बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए जीतोड़ मेहनत  कर रहे हैं।

इसके बावजूद ऐसी स्थिति में उन छात्रों के चेहरे पर मायूसी नजर आ रही है  जिनकी क्लास में पिछले कई दिनों से कम्प्यूटर टीचर्स ही पढ़ाने के लिए नहीं आ रहे हैं। बता दें कि सी.बी.एस.ई. बोर्ड ने सभी छात्रों के लिए वोकेशनल आई.टी सब्जैक्ट  कम्पलसरी किया है लेकिन यदि स्कूलों में कम्प्यूटर टीचर्स ही नहीं होंगे तो भला इस छात्रों को कौन पढ़ाएगा। शहर के स्कूलों में पढ़ाने वाले कम्प्यूटर टीचर्स बच्चों को न पढ़ाकर इलैक्शन ड्यूटी में व्यस्त हैं।

 जानकारी के अनुसार इलैक्शन ड्यूटी तो हर वर्ष  लगती है, लेकिन ऐसा पहली बार है कि कम्प्यूटर टीचर्स को भी इस बार बी.एल.ओ. के काम में लगा दिया है। शहर के गवर्नमैंट मॉडल हाई स्कूल्स में मात्र 1 ही कम्प्यूटर टीचर  तैनात है। इसके चलते कम्प्यूटर टीचर्स की अनुपस्थित में छात्रों की क्लासिज लेने वाला कोई नहीं है। इसके चलते स्कूलों में छात्रों की कम्प्यूटर की क्लासिज खाली ही जा रही हैं।

छात्र भुगत रहे खामियाजा
कम्प्यूटर टीचर्स के साथ-साथ स्कूलों में कार्यरत 35 डाटा एंट्री ओप्रेटर्स को भी प्रशासन ने बी.एल.ओ के काम में ही लगा रखा है। वहीं, बोर्ड द्वारा छात्रों के रजिस्ट्रेशन का व आधार कार्ड बनाने का काम भी स्कूलों को सौंपा हुआ है, जो समय पर पूरा न होने का  खमियाजा छात्रों को उठाना पड़ सकता है। 

शिक्षक भी टैंशन में, शिक्षा विभाग को परिणाम भी अच्छा चाहिए
चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों का कहना है कि एक तरफ तो शिक्षा विभाग को छात्रों का परिणाम अच्छा चाहिए। वहीं, दूसरी ओर हमें बच्चों को पढ़ाने भी  नहीं दिया जा रहा है। दोनों तरफ से प्रशासन शिक्षकों का ही शोषण करने में लगा है। यदि ऐसा ही रहा तो एक दिन ऐसा आएगा कि सरकारी स्कूलों की स्थिति ऐसी हो जाएगी कि कोई भी सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को नहीं पढ़ाएगा। 

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