GMSH-16 में भी होगा ब्रेन स्ट्रोक मरीजों का इलाज, PGI से बोझ होगा कम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Nov, 2017 10:16 AM

brain stroke

अगले माह से जी.एम.एस.एच.-16 में भी स्ट्रोक्स पेशैंट्स को इलाज मिल पाएगा। अभी तक पी.जी.आई. में ही इसके मरीजों को इलाज हो रहा है। जी.एम.एस.एच.-16 के एस.एम.ओ. डा. गरविंद्र सिंह के मुताबिक पी.जी.आई. न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. धीरज खुराना ने अस्पताल के 15...

चंडीगढ़(पाल) : अगले माह से जी.एम.एस.एच.-16 में भी स्ट्रोक्स पेशैंट्स को इलाज मिल पाएगा। अभी तक पी.जी.आई. में ही इसके मरीजों को इलाज हो रहा है। जी.एम.एस.एच.-16 के एस.एम.ओ. डा. गरविंद्र सिंह के मुताबिक पी.जी.आई. न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. धीरज खुराना ने अस्पताल के 15 लोगों के स्टाफ को ट्रेनिंग सैशन दिया है, जिसमें 8 डाक्टर्स व 7 पैरामैडीकल स्टाफ शामिल हैं। 

 

साथ ही उन्होंने बताया कि यू.टी. हैल्थ डिपार्टमैंट स्ट्रोक्स को लेकर काफी समय से लोगों को अवेयर के अवेयर करने के साथ-साथ कई प्रोग्राम भी चलाए जाए जा रहे हैं। हैल्थ डिपार्टमैंट का स्टाफ एन.सी.डी. (नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज) को लेकर घर-घर जाकर स्क्रीनिंग भी कर रहा है। 

 

जहां तक अस्पताल में स्ट्रोक्स पेशैंट्स को ट्रीटमैंट देने का सवाल है तो यह पहला कदम है। ओ.पी.डी. में रोजाना 20-25 स्ट्रोक्स के मरीज पहुंचते हैं, जबकि एमरजैंसी में भी 2 या 3 मरीज स्ट्रोक के आते हैं। अभी तक अगर कोई मरीज में जी.एम.एस.एच.-16 एमरजैंसी में इस बीमारी को लेकर आता है तो हम उसे पी.जी.आई. रैफर कर देते हैं। स्टाफ को थ्रोबोसाइड यानी कॉल्ट रिमूव करने की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। 

 

इसका दूसरा सैशन जल्द प्रो. खुराना के साथ होने वाला है। साथ ही उन्होंने बताया कि हैल्थ डिपार्टमैंट मरीजों को फ्री में मैडीसन देने की भी योजना बना रहा है। स्ट्रोक का मरीज जब एमरजैंसी में आता है तो उसे तब 7 हजार रुपए का इंजैक्शन लगता है। इस इंजैक्शन को लेकर कुछ योजनाओं पर काम किया जा रहा है। साथ ही गवर्नमैंट ऑफ इंडिया से भी बात जारी है ताकि एमरजैंसी में मरीज को इंजैक्शन लग सके। 

 

पी.जी.आई. एमरजैंसी में पहुंचे 320 स्ट्रोक के मरीज :
पी.जी.आई. आंकड़ों पर नजर डाले तो पिछले एक वर्ष में एमरजैंसी में स्ट्रोक को लेकर 320 मरीज रजिस्टर किए जा चुके हैं। इसमें से सिर्फ 45 प्रतिशत मरीजों को इलाज मिल पाया है, जबकि इनमें से 36 प्रतिशत ऐसे थे जो इलाज का खर्चा नहीं उठा पाए। इस कारण उन्हें इलाज नहीं मिल सका। ज्यादातर लोगों को लगता है कि ब्रेन स्ट्रोक के बाद मरीज की रिकवरी नहीं हो पाती है लेकिन पी.जी.आई. आंकड़ों पर गौर करें तो 60 प्रतिशत पेशैंट्स स्ट्रोक के बाद रिकवर हो पाए हैं। 

 

पी.जी.आई. न्यूरोलॉजी के हैड प्रो. विवेक लाल के मुताबिक ब्रेन स्ट्रोक व ब्रेन अटैक से भारत में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा लोगों की मौत का कारण बन रहा है। इसके बावजूद गवर्नमैंट की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। पी.जी.आई. में कुछ वर्षों पहले सिर्फ 40 वर्ष की उम्र के लोग ही ब्रेन स्ट्रोक के कारण आते थे लेकिन अब 20 वर्ष या बच्चों को भी यह बीमारी जद में ले रही है। ओ.पी.डी. में 15 वर्ष पहले तक ब्रेन स्ट्रोक करीब 15 मरीज आते थे। लेकिन आज विभाग में ब्रेन स्ट्रोक के 180 से 250 नए मरीजों आते हैं। वहीं अगर न्यूरोलॉजी ओ.पी.डी. में हर हफ्ते मरीजों का आंकड़ा 500 तक रहता है। 

 

पी.जी.आई. से बोझ होगा कम :
पी.जी.आई. न्यूरोलोजिस्ट डा. धीरज खुराना की मानें तो इस योजना से पी.जी.आई. में मरीजों की बढ़ती तादाद पर भी काबू पाया जा सकेगा। जी.एम.एस.एच. में मरीजों के इलाज को लेकर सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करवाई गई हैं। अगर कोई मरीज गंभीर है तो बेसिक इलाज के बाद या उससे पहले उसे पी.जी.आई. रैफर किया जा सकेगा। स्ट्रोक के मरीज के लिए शुरूआती 4 या 5 घंटे बढ़े ही कीमती होते हैं। 

 

ऐसे में जी.एम.एस.एच. में इस पहल से कई मरीजों की जान बचाई जा सकेगी। साथ ही उन्होंने बताया कि यू.टी. में शुरूआत के बाद उनकी कोशिश हरियाणा में मरीजों को इसका ट्रीटमैंट मिले सके इसके लिए वह प्रयास करेंगे। देश के काफी राज्यों में ब्रेन स्ट्रोक की दवाइयां मुफ्त हैं लेकिन पी.जी.आई.में अभी तक यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। डा. लाल की मानें फ्री दवाइयों के लिए वह पी.जी.आई. प्रशासन से बात कर रहे हैं। 
 

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