रिश्वत लेने के दोषी कांस्टेबल को 5 साल की सजा

Edited By Priyanka rana,Updated: 27 Mar, 2019 09:14 AM

bribery case

रिश्वत मामले में सी.बी.आई. की विशेष अदालत ने चंडीगढ़ पुलिस के कांस्टेबल परमजीत सिंह को दोषी पाते हुए 5 साल की सजा सुनाई है।

चंडीगढ़(संदीप) : रिश्वत मामले में सी.बी.आई. की विशेष अदालत ने चंडीगढ़ पुलिस के कांस्टेबल परमजीत सिंह को दोषी पाते हुए 5 साल की सजा सुनाई है। अदालत ने सजा के साथ दोषी पर 30 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। सजा सुनाते हुए अदालत ने विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार का जिन्न हमारे सिस्टम की जड़ों को खा रहा है। 

भ्रष्टाचार की वजह से हमारे देश को अरबों रुपए का नुक्सान हुआ है। हमारे देश में गरीब लोग भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। एक सरकारी कर्मचारी अगर एक बार भी अवैध कामों में संलिप्त पाया जाता है तो वह कोर्ट से कोई नरमी पाने का हकदार नहीं है।

अपील नहीं आई काम :
मंगलवार को परमजीत की सजा पर फैसला होना था। सी.बी.आई. जज ने पहले तो परमजीत को रिश्वत मामले में दोषी करार दिया। इसके बाद जब दोषी को सजा सुनाने लगे तो परमजीत ने अदालत में जज से कम सजा देने की अपील की। अपील करते हुए उसने कहा कि उसे डिस्क की समस्या है जिसकी वजह से ठीक ढंग से बैठ भी नहीं सकता। 

इसके साथ ही कहा कि उसकी पत्नी, दो बच्चे, पिता और एक अंकल हैं, जो पूरी तरह से उसी पर निर्भर है। उसके प्रति नरम रवैया अपनाते हुए कम से कम सजा सुनाई जाए। वहीं, सी.बी.आई. वकील कंवरपाल सिंह ने अपील का विरोध करते हुए कहा कि दोषी ने एक गरीब ऑटो चालक से 1 हजार रुपए प्रति महीने की रिश्वत उसे परेशान न करने और उसके ऑटो का चालान न करने के लिए मांगी थी। 

कंवरपाल ने सी.बी.आई. जज से ऐसे दोषियों को कम से कम 10 साल सजा और ज्यादा से ज्यादा जुर्माना लगाने के लिए अपील की ताकि इस तरह के अवैध काम करने पहले हर कोई सोचें।

सी.बी.आई. ने दबोचा था :
सितम्बर, 2014 में खरड़ निवासी ऑटो चालक नरोत्तम की शिकायत पर हैड कांस्टेबल परमजीत सिंह पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया। नरोत्तम ने सी.बी.आई. को शिकायत दी कि वह सैक्टर-17 बस स्टैंड से मोहाली तक ऑटो चलाता है। 2 सितम्बर को किसान भवन चौक पर तैनात हैड कांस्टेबल परमजीत सिंह ने उसे रोककर मंथली मांगी। 

उसने मंथली देने से इन्कार किया तो जानबूझकर ऑटो का चार हजार का चालान काट दिया। उसने चालान भर दिया। इसके बाद वह फिर सवारियां मोहाली से चंडीगढ़ लाने छोडऩे लगा। 5 सितम्बर को हैड कांस्टेबल परमजीत सिंह ने उसे फिर रोका और हर महीने 1200 रुपए मंथली देने को कहा। इसके बाद बात हर महीने एक हजार रुपए पर तय हुई। ऑटो चालक ने शिकायत सी.बी.आई. से कर दी। 

सी.बी.आई. टीम से हाथापाई भी की थी :
इसके बाद ऑटो चालक ने हैड कांस्टेबल को फोन कर रुपए देने की जगह पूछी। परमजीत ने उसे किसान भवन चौक पर 11:30 बजे बुलाया। सी.बी.आई. ने ट्रैप लगाया। ऑटो चालक ने ट्रैफिक बूथ के अंदर जैसे ही एक हजार रुपए हैड कांस्टेबल को दिए, सी.बी.आई. ने उसे दबोच लिया। इस दौरान परमजीत ने भागने की कोशिश की और हाथापाई भी की। सी.बी.आई. टीम ने उसकी जेब से एक हजार रुपए बरामद कर कपड़ों को सील कर दिया था। 

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