रिश्वत केस: चंडीगढ़ पुलिस के SI और दुकानदार को CBI कोर्ट ने दोषी ठहराया

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Apr, 2018 09:50 AM

bribery case si and shopkeeper of chandigarh police blamed by cbi court

50 हजार रुपए रिश्वत मामले में सी.बी.आई. द्वारा 2008 में गिरफ्तार किए गए चंडीगढ़ पुलिस के सब-इंस्पैक्टर संजीव कुमार (50) को सी.बी.आई. की विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून और आपराधिक साजिश रचने की धाराओं में शुक्रवार को दोषी करार दे दिया।

चंडीगढ़ (संदीप): 50 हजार रुपए रिश्वत मामले में सी.बी.आई. द्वारा 2008 में गिरफ्तार किए गए चंडीगढ़ पुलिस के सब-इंस्पैक्टर संजीव कुमार (50) को सी.बी.आई. की विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून और आपराधिक साजिश रचने की धाराओं में शुक्रवार को दोषी करार दे दिया। 

 

उसके अलावा सैक्टर-17 स्थित दिल्ली ज्वैलर्स के मालिक और सैक्टर-17 ट्रेडर्स एसोसिएशन के तत्कालीन प्रधान सुभाष कटारिया को भी भ्रष्टाचार निरोधक कानून एवं आपराधिक साजिश रचने की धाराओं में दोषी करार दिया गया है। 

 

वहीं, मामले में तीसरे आरोपी के रिटायर्ड एस.आई. रमेश चंद को अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। संजीव और सुभाष को 26 अप्रैल को सजा सुनाई जाएगी। सी.बी.आई. काऊंसिल के.पी. सिंह ने बताया कि संबंधित धाराओं में अधिकतम 7 वर्ष तक कैद और जुर्माने का प्रावधान है। 

 

मामले में शिकायतकर्ता सैक्टर-17 स्थित पांडे बुक  स्टोर के मालिक अरविंद पांडे हैं। 7 नवम्बर, 2008 को सी.बी.आई. ने सैक्टर-17 में नीलम चौकी पर ट्रैप लगाकर सुभाष कटारिया को रंगे हाथों दबोचा था, वहीं साथ ही संजीव की गिरफ्तारी हुई थी। 

 

आरोपों के मुताबिक कटारिया ने एस.आई. संजीव के कहने पर 50 हजार रुपए की रिश्वत ली थी। वहीं, रमेश चंद का रोल जांच के दौरान सामने आया था। शिकायतकर्ता की ओर से एडवोकेट सुदेश कुमार पांडे ने दलीलें पेश की।

 

सी.बी.आई. ने वर्ष 2008 में पकड़ा था दुकान खाली करवाने के बदले मांगी थी रिश्वत
शिकायतकर्ता अरविंद पांडे की ब्रिज मार्कीट में एक दुकान को किराएदार से खाली करवाने के मामले में यह रिश्वत लेने का आरोप संजीव पर था। संजीव उस दौरान नीलम चौकी इंचार्ज था। संंबंधित दुकान का सिविल केस कोर्ट में भी पहुंचा था, जहां से यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश जारी हुए थे। 

 

आरोपी पक्ष द्वारा दुकान का कब्जा दिलवाने के नाम पर शिकायतकर्ता से मांगी जा रही रिश्वत को लेकर शिकायतकर्ता ने उनकी रिकॉर्डिंग कर ली थी और मामले की शिकायत सी.बी.आई. को दे दी थी। इसके बाद ट्रैप लगाया गया था। शिकायतकर्ता ने मामले में एस.आई. संजीव, रमेश चंद, सुभाष कटारिया समेत सैक्टर-17 थाने के तत्कालीन एस.एच.ओ. और ए.एस.पी. की भी रिकॉर्डिंग की थी।

 

रमेश को मिला संदेह का लाभ
जानकारी के मुताबिक शिकायतकर्ता अरविंद पांडे ने आरोपी पक्ष द्वारा रिश्वत मांगने की रिकॉर्डिंग जिस डिवाइस से की थी, वह मिसिंग हो गया था। वहीं, दूसरी ओर मौके से रमेश की गिरफ्तारी भी नहीं हुई थी। हालांकि रिश्वत मांग की शुरूआती रिकॉर्डिंग की ऑडियो सी.डी. साक्ष्य के रुप में अदालत में पेश की गई थी। 

 

मामले में सी.बी.आई. की ओर से कुल 47 गवाह रखे गए थे जिनमें से 36 की गवाही दर्ज हुई। शिकायतकर्ता  पांडे अपने मुख्य बयानों और क्रॉस में पूरी तरह टिके रहे। नवम्बर, 2008 में संजीव को विभाग ने सस्पैंड कर दिया था। मई, 2010 में उसकी बहाली हुई। उसकी बहाली को लेकर सवाल भी खड़े हुए थे।

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