Edited By bhavita joshi,Updated: 11 Feb, 2019 02:34 PM
चंडीगढ़ नगर निगम उप्पल हाऊसिंग सोसायटी में पांच फ्लैट्स पर 25 ई.डब्ल्यू.एस. हाऊसिज बनाने का काम दो सप्ताह के अंदर शुरू कर देगा।
चंडीगढ़(राजिंद्र): चंडीगढ़ नगर निगम उप्पल हाऊसिंग सोसायटी में पांच फ्लैट्स पर 25 ई.डब्ल्यू.एस. हाऊसिज बनाने का काम दो सप्ताह के अंदर शुरू कर देगा। ई.डब्ल्यू.एस. फ्लैट्स के निर्माण के लिए निगम ने टैंडर जारी कर दिया है और अगले हफ्ते सोमवार को निगम द्वारा इसके लिए कंपनी फाइनल कर ली जाएगी। इसके बाद ही दो सप्ताह के अंदर निगम इनका निर्माण कार्य शुरु कर देगा। निगम के पास उप्पल हाऊसिंग सोसायटी पहले ही 1.50 करोड़ रुपए जमा करवा चुकी है।
इससे पहले निगम ने जुर्माने के रूप में भी कुछ राशि जमा करवाई थी। इस संबंध में निगम के एडीशनल कमिश्नर सौरव मिश्रा ने बताया कि कंपनी ने ई.डब्ल्यू.एस. हाऊसिज बनाने के लिए पहले ही डेढ़ करोड़ रुपए की राशि जमा करवा दी थी। अब उन्होंने टैंडर जारी कर दिया है और सोमवार को कंपनी फाइनल कर ली जाएगी। जिसके बाद दो सप्ताह के अंदर 25 ई.डब्ल्यू.एस. फ्लैट्स बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
कंडीशन के बावजूद नहीं बनाए थे
नगर निगम द्वारा उप्पल हाऊसिंग सोसायटी को मनीमाजरा के पॉकेट नंबर 2 और 3 में 2005 में पांच एकड़ जमीन अलॉट की गई थी। उसमें ई.डब्ल्यू.एस.के 25 फ्लैट बनाए जाने की कंडीशन लगाई गई थी। लेकिन उप्पल ने गरीबों के लिए ई.डब्ल्यू.एस.फ्लैट बनाना जरूरी नहीं समझा। गरीबों के लिए बनाए जाने वाले हाऊसिज की जगह अन्य लोगों के लिए फ्लैट बना कर बेच दिए। उप्पल हाऊसिंग सोसायटी द्वारा इस प्रौजेक्ट को पूरा तो कर दिया गया, परंतु उसमें गरीबों के लिए 25 ई.डब्ल्यू.एस. फ्लैट्स का कहीं भी नामो-निशान नहीं था। बावजूद इसके चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिस की बिल्डिंग ब्रांच ने उसे ऑक्युपेशन सर्टीफिकेट जारी कर दिया। वर्ष 2011 में तत्कालीन संयुक्त आयुक्त कमलेश कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई। रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि सोसायटी में उप्पल ने ई.डब्ल्यू.एस. के लिए फ्लैट नहीं बनाए, बावजूद इसके निगम ने उप्पल और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
सी.बी.आई. ने सोसायटी को दोषी ठहराया था
वर्ष 2011 में पूर्व पार्षद चंद्रमुखी शर्मा ने मामले की सी.बी.आई. को शिकायत दी। सी.बी.आई. ने जांच में ई.डब्ल्यू.एस. फ्लैट्स का निर्माण न करने के लिए सोसायटी को दोषी ठहराया था। जांच के बाद सी.बी.आई. ने सिफारिश की थी कि मामले में आगे विभाग द्वारा खुद जांच की जाए और उन सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जिन्होंने सोसायटी को जमीन की अलॉटमैंट की, बिल्डिंग प्लान को सैंक्शन किया और ऑक्युपेशन सर्टीफिकेट जारी किया। यूटी प्रशासन को ये रिपोर्ट भेजी गई थी, जिसके बाद ये केस विजीलैंस डिपार्टमैंट को सौंप दिया गया था, उसके बाद से ही इस संबंध में रिपोर्ट पेंडिंग पड़ी रही लेकिन पिछले साल ही निगम ने इस मामले की दोबारा से जांच तेज की थी।