चिल्ड्रन ग्रेवयार्ड को सुरक्षित बनाएगा नगर निगम, 16 लाख रुपए की लागत से शुरू हुआ काम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 08:42 AM

children graveyard

चंडीगढ़ नगर निगम सैक्टर-25 स्थित चिल्ड्रन ग्रेवयार्ड को छह फीट ऊंची चेन लिंक फैंसिंग से सुरक्षित बना रहा है। इसके लिए 16 लाख रुपए की लागत से काम शुरू कर दिया गया है, जो कि इसी माह पूरा हो जाएगा।

चंडीगढ़(राय) : चंडीगढ़ नगर निगम सैक्टर-25 स्थित चिल्ड्रन ग्रेवयार्ड को छह फीट ऊंची चेन लिंक फैंसिंग से सुरक्षित बना रहा है। इसके लिए 16 लाख रुपए की लागत से काम शुरू कर दिया गया है, जो कि इसी माह पूरा हो जाएगा। 

 

चिल्ड्रन ग्रेवयार्ड की सुरक्षा पर हमेशा से ही सवाल उठते रहे हैं। यहां पर चारदीवारी तो निगम ने पिछले कई सालों से कर रखी है, लेकिन वे भी कई जगह से टूट रखी है। जिसके चलते हमेशा ही यहां पर जंगली जानवर व आवारा कुत्ते दाखिल हो जाते हैं और बच्चों के शव निकाल कर ले जाते हैं, जिसके चलते कई लोगों ने इस संबंध में निगम से शिकायत की। 

 

यही कारण है कि निगम ने अगस्त माह में चेन लिंक फैंसिंग से सुरक्षित बनाने के लिए टैंडर अलॉट कर दिया था। पिछले माह इस पर काम शुरू हो गया था। निगम रोड डिवीजन के अधिकारी ने बताया कि वे बड़ी तेजी से इस पर काम कर रहे हैं, इसलिए इस माह के आखिर तक ये काम पूरा हो जाएगा। 

 

कुत्ते नोचते रहते हैं शवों को :
निगम ने यहां जंगल के साथ लगती छह फीट साढ़े 8 इंच चारदीवारी की रैनोवेशन का काम भी पूरा कर लिया है। इस चारदीवारी को ठीक करने के लिए कई बार पार्षदों ने शिकायत दी, लेकिन अब जाकर इसका काम पूरा हुआ है। भाजपा पार्षद अरुण सूद ने इस संबंध में बताया कि आवारा कुत्ते यहां से बच्चों के शव निकालकर ले जाते हैं। 

 

उन्होंने कहा कि सैक्टर-37 में एक डाक्टर उनके दोस्त है। उनके बच्चे की मृत्यु हो गई थी। वे सुबह अपने बच्चे का शव यहां पर दफनाकर गए। शाम को उनका मन भर आया और वे दोबारा अपने बच्चे के शव के पास चिल्ड्रन ग्रेवयार्ड चले गए, लेकिन वहां पर शव को कुत्ते नोच रहे थे। इस घटना के बाद डाक्टर काफी दिन तक सदमे रहा। 

 

ग्रेवयार्ड को अब निगम ने चार भागों में बांट दिया है। प्रत्येक भाग की चेन लिंक फैंसिंग की जा रही है, जिसमें कि अलग-अलग गेट लगाए जाएंगे। पहले एक भाग को इस्तेमाल किया जाएगा, उसके बाद ही दूसरे की बारी आएगी। ऐसा एक तो सुरक्षा के लिए किया गया है। 

 

दूसरा पहले यहां पर बच्चों के शव दफनाने के लिए जगह नहीं बचती थी, क्योंकि पता नहीं चलता था कि कौन सी जगह पर शव दफनाए हुए कितना समय हो गया है। इसलिए निगम अब बारी-बारी सभी जगहों का इस्तेमाल करेगा। बच्चे के शव को गलने में करीब तीन माह का समय लगता है, इसलिए एक जगह का इस्तेमाल तीन से चार महीनों के बाद ही किया जाएगा। 

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