सिटको के अफसरों ने दोबारा चुन लिए 6 चहेते CA

Edited By Priyanka rana,Updated: 15 Sep, 2019 10:37 AM

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चंडीगढ़ इंडस्ट्रीयल टूरिज्म कार्पोरेशन लगातार घाटे के बाद भी अपनी कार्यशैली में बदलाव नहीं कर रही।

चंडीगढ़(साजन) : चंडीगढ़ इंडस्ट्रीयल टूरिज्म कार्पोरेशन लगातार घाटे के बाद भी अपनी कार्यशैली में बदलाव नहीं कर रही। सिटको के पास जबरदस्त रिसोर्स हैं लेकिन इसमें बैठे अधिकारियों का रवैया बिल्कुल भी सही नहीं है जिसके चलते कार्पोरेशन की किरकिरी भी हो रही है। 

हाल ही में सिटको ने अपना वार्षिक लेखा-जोखा तैयार कराने के लिए चार्टर्ड अकाऊंटैंट नियुक्त करने के लिए टैंडर निकाले थे। इन टैंडरों के जरिए एक मर्तबा फिर अपने चहेतों की ही नियुक्ति कर ली गई जिससे कार्पोरेशन की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। 

कुछ दिन पहले निकाले थे टैंडर :
सिटको ने बीते दिनों सी.ए. नियुक्त करने के टैंडर निकाले थे। इसके लिए 24 लोगों ने आवेदन किया। आवेदन से ऐसा लगा कि तजुर्बे और कामकाज को ही नियुक्ति का आधार बनाया जाएगा लेकिन टैंडर के जरिए भी उन्हीं सी.ए. का चयन कर लिया गया जो पहले सिटको के पैनल में चयनित होते रहे हैं। 

यानी पहले भी यही लोग सिटको की विभिन्न यूनिटों का कामकाज देख रहे हैं। आवेदन करने वाले 24 सीए में से 15 को तो बिना कारण बताए ही रिजैक्ट कर दिया गया। तीन आवेदन करने वालों का रिजैक्शन करने के पीछे तर्क दिया गया कि इनके कागज पूरे नहीं थे। बताया जा रहा है कि ये छह के छह सी.ए. पहले भी सिटको के पैनल पर रहे हैं। 

चयन के लिए ली 10-10 हजार की रिश्वत! 
बीते साल बिना टैंडर और प्रोसैस के इनका चयन किया गया था। इस मर्तबा टैंडर में सी.ए के लिए पांच साल के एक्सपीरिएंस की शर्त जोड़ी गई थी लेकिन जिन सी.ए. का बिना कारण बताए टैंडर के बाद रिजैक्शन किया गया है उनमें से कई ऐसे थे जिन्हें 25-25 साल से भी ज्यादा का तजुर्बा था। कहा तो ये भी जा रहा है कि जिन अफसरों के हवाले चयन की यह प्रक्रिया है वह पैसा लेकर इस प्रक्रिया को अंजाम देते हैं। 

सूत्रों के अनुसार इन सी.ए. के चयन के लिए भी 10-10 हजार रुपए की रिश्वत ली गई है। सिटको का प्रशासनिक कामकाज देख रहे अधिकारी इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। सामाजिक कार्यकर्ता व आर.टी.आई. एक्सपर्ट आर.के. गर्ग के अनुसार सिटको के पास इतने बढिय़ा रिसोर्सेज हैं जिन्हें ईमानदारी से काम कर महकमा बेहतरीन रिजल्ट दे सकता है लेकिन पारदर्शिता के अभाव और भ्रष्ट कामकाज के तरीके के चलते कार्पोरेशन लगातार घाटे में पहुंच रही है। 
 

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