ऑस्टे्रलिया में ईलाज करवाने के 1 साल 8 माह बाद क्लेम, फोरम ने 25 हजार रुपए ठोका हर्जाना

Edited By pooja verma,Updated: 24 Apr, 2019 07:49 PM

claim given after 1 year 8 months treatment in australia

ओवरसीज मैडीकल पॉलिसी के बाद तबीयत खराब होने के चलते ऑस्ट्रेलिया में ईलाज करवाया, लेकिन कंपनी ने फोरम के निर्देशों के बाद ही एक साल आठ माह बीत जाने पर क्लेम जारी किया, जिसके चलते फोरम ने कंपनी को सेवा में कोताही का दोषी करार दिया है।

चंडीगढ़ (राजिंद्र): ओवरसीज मैडीकल पॉलिसी के बाद तबीयत खराब होने के चलते ऑस्ट्रेलिया में ईलाज करवाया, लेकिन कंपनी ने फोरम के निर्देशों के बाद ही एक साल आठ माह बीत जाने पर क्लेम जारी किया, जिसके चलते फोरम ने कंपनी को सेवा में कोताही का दोषी करार दिया है। फोरम ने शिकायत को डिस्पॉज ऑफ करते हुए कंपनी को निर्देश दिए हैं कि वह शिकायतकर्ता को 25 हजार रुपए मुआवजे के रुप में अदा करें। 

 

आदेश की प्रति मिलने पर 45 दिनों के अंदर इन आदेशों की पालना करनी होगी, नहीं तो  कंपनी को मुआवजा राशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देना होगा। ये आदेश जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम-2 ने सुनवाई के दौरान जारी किए। सैक्टर-37डी चंडीगढ़ निवासी राजिंद्र कुमार मल्होत्रा ने यूनाइटेड इंडिया इश्योरैंस लिमिटेड, सैक्टर-17बी चंडीगढ़ और यूनाइटेड इंडिया इश्योरैंस लिमिटेड, मुंबई के  खिलाफ शिकायत दी थी। 

 

शिकायतकर्ता ने बताया कि 15 अक्तूबर 2015 को उसने ओवरसीज मैडीकल पॉलिसी ली, जो 19 अक्तूबर 2015 से 6 मार्च 2016 के लिए वैलिड थी। इसके लिए उन्होंने 26 हजार 910 रुपए प्रीमियर पे किया। 19 अक्तूबर 2015 को उन्होंने अपनी यात्रा शुरु की और 20 अक्तूबर 2015 को वह सिडनी (ऑस्टे्रलिया) पहुंच गए। ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के 10-12 दिन बाद उन्हें थकान, कमजोर और सुस्ती होने लगी। 

 

यहां तक कि उन्हें चलने भी परेशानी हो रही थी। इसके बाद 2 नवंबर 2015 को वह डॉक्टर के पास गए, जिन्होंने उन्हें कुछ टैस्ट करवाने के लिए बोला। टैस्ट रिपोर्ट के बाद डॉक्टर ने सीधा उन्हें हॉस्पिटल एमरजैंसी जाने के लिए बोला, क्योंकि उनके ब्लड टैस्ट में लो सोडियम लेवल होने की बात सामने आई, जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता था। 

 

शिकायतकर्ता के मुताबिक वह तीन दिन और दो रातों के लिए हॉस्पिटल में एडमिट रहे, जिस दौरान डॉक्टरों ने उनके कुछ और टैस्ट भी किए। वह 5 नवंबर 2015 को डिस्चॉज हो गए और ट्रीटमैंट के लिए 3,07,200 का कुल बिल चुकाया। इसके बाद ही उन्होंने फोरम में शिकायत दी, जिसे फोरम ने कंपनी को सैटल करने के निर्देशों और 5 हजार रुपए की कॉस्ट देने के निर्देशों के साथ ही डिस्पॉज ऑफ कर दिया। 

 

शिकायतकर्ता ने अनुसार कंपनी ने 28 जुलाई 2017 को 3,05,636 रुपए का क्लेम बिना ब्याज रिलीज कर दिया। जिसके बाद ही उन्होंने कंपनी पर सेवा में कोताही का आरोप लगाते हुए इस संबंध में फोरम में शिकायत दी। वहीं कंपनी ने फोरम में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि  उन्होंने सेवा में कोई कोताही नहीं बरती।
 

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