पति के निधन के बाद नहीं दिया क्लेम, LIC पर ठोका 20 हजार हर्जाना

Edited By Priyanka rana,Updated: 25 Feb, 2020 01:10 PM

claim not given after husband s death

डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्पयूट्स रिड्रैसल फोरम ने लाइफ इंश्योरैंस कंपनी लि. सैक्टर-2 पंचकूला को आदेश जारी किए हैं कि पॉलिसी धारक की नॉमिनी एवं पत्नी को एक लाख बीस हजार पांच सौ रुपए दिए जाएं।

पंचकूला(मुकेश) : डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्पयूट्स रिड्रैसल फोरम ने लाइफ इंश्योरैंस कंपनी लि. सैक्टर-2 पंचकूला को आदेश जारी किए हैं कि पॉलिसी धारक की नॉमिनी एवं पत्नी को एक लाख बीस हजार पांच सौ रुपए दिए जाएं। साथ ही एल.आईसी को नॉमिनी को केस फाइल करने के समय से राहत प्रदान होने तक नौ प्रतिशत ब्याज समेत एक लाख रुपए देने होंगे। 

इसके अलावा मानसिक परेशानी और हरासमैंट के लिए पंद्रह हजार रुपए और मुकद्दमा खर्च के 5,500 रुपए भी देने होंगे। एल.आई.सी. को इन आदेशों की पालना 30 दिन की समयावधि में करनी होगी। यह मामला पॉलिसी धारक के निधन के बाद उनकी पत्नी एवं पॉलिसी की नॉमिनी को एल.आई.सी. द्वारा पॉलिसी के तहत भुगतान न करने का है।

कैंसर से हुई थी पति की मौत :
दरअसल, गांव खटौली निवासी सुषमा (45) ने उनकी एक लाख रुपए की पॉलिसी का भुगतान न करने की शिकायत की थी। उन्होंने फोरम को बताया कि उनके पति ब्रिज पाल ने एल.आई.सी. से 28 दिसम्बर, 2013 को एक लाख रुपए की पॉलिसी करवाई थी। 

पॉलिसी की अवधि 28 सितम्बर, 2028 तक थी और पॉलिसी में पत्नी सुषमा को नॉमिनी बनाया था। सितम्बर 2015 तक हर तिमाही पर पॉलिसी का प्रीमियम दिया जाता रहा, लेकिन पॉलिसी धारक किन्हीं आर्थिक कारणों से इसके बाद लगातार प्रीमियम नहीं दे सके और पॉलिसी टूट गई। 

वर्ष 2017 में पति ब्रिज पाल की गर्दन में दाईं तरफ सूजन आ गई और उन्हें चंडीगढ़ के जी.एम.सी.एच.-32 इलाज के लिए भर्ती कराया गया। इस दौरान पता चला कि उन्हें कैंसर है। इसके बाद उन्होंने एल.आई.सी. के संबंधित अधिकारियों के पास जाकर अपनी पॉलिसी को दोबारा शुरू कराया। इसके लिए उन्होंने लेट फीस सहित कुल 17,658 रुपए भुगतान भी किया। 29 सितम्बर 2017 को ही पति का निधन हो गया था।

पॉलिसी दोबारा शुरू करवाते समय बीमारी को छुपाया : एल.आई.सी.
ब्रिज पाल की पत्नी सुषमा एल.आई.सी. के अधिकारियों के पास पहुंची और क्लेम के भुगतान के लिए प्रार्थना की, लेकिन एल.आई.सी. द्वारा इसका खंडन कर कहा गया कि ब्रिज पाल ने पॉलिसी दोबारा शुरू करवाने के समय अपनी बीमारी को छुपाया। इस आधार पर एल.आई.सी. द्वारा क्लेम का भुगतान नहीं किया गया। एल.आई.सी. ने जवाब में पॉलिसी धारक द्वारा विश्वासघात की बात कही। कहा कि पॉलिसी को विश्वास पर पुन: शुरू किया था। 

इसके अलावा एल.आई.सी. ने पॉलिसी के तहत व सामान्य अनुबंध की प्रक्रिया को भी बताया कि अनुबंध किस किस आधार पर समाप्त होता है। इसके अलावा पॉलिसी धारक ने पहले अपना पेशा बिजनैसमैन और दूसरी बार स्वयं को मजदूर बताया था जबकि शिकायतकर्ता की वकील ने कहा कि पॉलिसी वर्ष 2013 में ली थी। उस दौरान ब्रिज पाल को कोई बीमारी नहीं थी। दोनों पक्ष सुनने के बाद फोरम ने एल.आई.सी. को नॉमिनी को एक लाख बीस हजार व पांच सौ रुपए देने के आदेश दिए। 

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