अढ़ाई माह के बच्चे की मौत के मामले में बेदी अस्पताल पर 10 लाख हर्जाना

Edited By Priyanka rana,Updated: 28 Oct, 2018 08:24 AM

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चंडीगढ़ कंज्यूमर फोरम ने अढ़ाई माह के बच्चे अश्मित की मौत के मामले में सैक्टर-33 के बेदी अस्पताल को लापरवाही बरतने का दोषी पाया है।

चंडीगढ़(राजिंद्र) : चंडीगढ़ कंज्यूमर फोरम ने अढ़ाई माह के बच्चे अश्मित की मौत के मामले में सैक्टर-33 के बेदी अस्पताल को लापरवाही बरतने का दोषी पाया है। फोरम ने 10 लाख हर्जाना लगाते हुए 10 हजार रुपए अदालती खर्च के रूप में देने के आदेश दिए हैं। फोरम ने कहा कि शिकायतकर्ता दंपति खरड़ निवासी गुरमीत सिंह व राजेंद्र कौर को कई वर्ष बाद आई.वी.एफ. प्रक्रिया के जरिए बच्चा हुआ था। 

फोरम ने अस्पताल के एम.डी. डी.सी.एच. डा. रमणीक सिंह बेदी को निर्देश दिए कि चिकित्सा लापरवाही के चलते 7 लाख रुपए मुआवजा दें। इसके अलावा 3 लाख भी दें, क्योंकि दंपति को बच्चे की मौत का दुख-दर्द सहना पड़ा। फोरम ने कहा कि ऑर्डर कॉपी मिलने के 30 दिन में राशि नहीं भरी तो 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ रकम चुकानी पड़ेगी। साथ ही फोरम ने कहा कि डा. बेदी ओरिएंटल इंश्योरैंस कंपनी से इंश्योर थे, ऐसे में इंश्योरैंस कंपनी को स्वतंत्रता है कि वह संबंधित राशि पॉलिसी के नियम और शर्तों के तहत भर सके।

पी.जी.आई. का जवाब :
पी.जी.आई. ने जवाब में कहा कि बच्चे को 22 मई, 2016 को एडवांस्ड पेडियाट्रिक्स सैंटर इमरजैंसी में भर्ती कराया गया था। केस संदिग्ध रूप से कॉन्टिनैंटल हार्ट डिजीज का पाया गया व करैक्टिव सर्जरी नहीं की, क्योंकि यह रिस्की थी। 26 मई को मौत हो गई थी। बच्चा पी.जी.आई. भर्ती करवाने से 4 दिन पहले से तेजी से सांस लेने से पीड़ित था।

पी.जी.आई. ने डिजीज का पता लगाया, बेदी अस्पताल रहा था नाकाम : फोरम
फोरम ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद केस रिकॉर्ड देखते हुए पाया कि बेदी अस्पताल में बच्चा 7 बार चैकअप के लिए लाया गया था। वहीं, शिकायतकर्ता के अनुसार हर बार तेजी से सांस लेने की समस्या बारे बताया था। फोरम ने अस्पताल की प्रिस्क्रिप्शन स्लिप चैक की जिससे प्रतीत हुआ कि बेदी अस्पताल को सांस संबंधी समस्या के बारे में बताया था। 

वहीं, अस्पताल का डिफैंस है कि सिर्फ इम्यूनाइज्ड वैक्सिनेशन किया था जिस पर फोरम ने कहा कि वह तो एक फार्मासिस्ट भी कर सकता है ऐसे में बच्चे को पेडिएक्ट्रीशियन के पास ले जाने की क्या जरूरत थी? बेदी अस्पताल को व्यवसायिक स्किल्स का प्रयोग करना चाहिए था। पी.जी.आई. ने जांच में कॉन्टिनैंटल साइनोटिक हार्ट डिजीज का पता लगाया था जबकि बेदी अस्पताल नाकाम रहा था। ऐसे में डा. बेदी पर चिकित्सा लापरवाही का मामला प्रतीत होता है। फोरम ने अफसोस जताया कि पहले इलाज नहीं मिला जिसके चलते बच्चे की मौत हुई। 

रूटीन वैक्सीनेशन के लिए लाए थे : बेदी अस्पताल
डा. बेदी और बेदी अस्पताल ने आरोपों को नकार दिया व कहा कि बच्चे को रुटीन वैक्सीनेशन के लिए लाया गया था। कभी नहीं बताया कि बच्चे में तेजी से सांस के लक्षण हैं। वहीं, कंजेटियल साइनोटिक हार्ट डिजीज के लक्षण भी प्रतीत नहीं हुए थे, क्योंकि साइनोसिस नहीं था। वहीं, कहा कि वैक्सीनेशन के अलावा कोई और ट्रीटमैंट नहीं दिया था।

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