कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव मंजूर

Edited By Vikash thakur,Updated: 05 Mar, 2021 09:27 PM

congress s no confidence motion approved

विधानसभा में 10 मार्च को होगी बहस और वोटिंग

चंडीगढ़ (बंसल/पांडेय): कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस काफी समय से विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग कर रही थी, ताकि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सके और कांग्रेस की यह मंशा अब पूरी होने जा रही है, क्योंकि सत्र शुरू होने से कुछ समय पहले कांग्रेस विधायकों ने स्पीकर को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा, जिसे स्पीकर ज्ञानंचद गुप्ता ने स्वीकार कर लिया। इस प्रस्ताव पर 10 मार्च को चर्चा और वोटिंग होगी।

 

नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज सदन में स्पीकर से इस प्रस्ताव पर आज ही चर्चा करवाने की मांग की तो स्पीकर ने बताया कि बी.ए.सी. की बैठक में यह तय हो गया कि इस प्रस्ताव पर 10 मार्च को चर्चा होगी। विधानसभा संचालन नियमावाली के रूल-65 के तहत कांग्रेस ने यह प्रस्ताव दिया है। 10 मार्च को स्पीकर पहले प्रस्ताव पर कांग्रेस विधायकों के हाथ खड़े करवा कर सहमति लेंगे। नियमों के हिसाब से प्रस्ताव पर चर्चा के लिए कम से कम 18 विधायकों की सहमति होना जरूरी है। कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। इस प्रस्ताव पर वैसे तो 27 विधायकों के हस्ताक्षर बताए जा रहे हैं।

हुड्डा से पूछने पर उन्होंने बताया कि कांग्रेस के सभी विधायकों की इस प्रस्ताव पर सहमति है। कुलदीप बिश्नोई आज नहीं आए जिसके चलते इस प्रस्ताव पर उनके हस्ताक्षर नहीं हो पाए। कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव में कृषि कानूनों के अलावा, आंदोलनत किसानों की मौत, प्रदेश में जहरीली शराब से 47 लोगों की मौत, रजिस्ट्री व शराब घोटाले सहित कई मुद्दों को शामिल किया है। भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के विधायकों पर दोहरे मानदंड अपनाने के आरोप भी प्रस्ताव में लगाए हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि जजपा के कई विधायक आंदोलनत किसानों के बीच जाकर अपना समर्थन दे चुके हैं।


‘कौन किसान विरोधी, कौन हितैषी पता चल जाएगा: हुड्डा’
हुड्डा ने बताया कि कांग्रेस की तरफ से दिया गया अविश्वास प्रस्ताव मंजूर हो गया है। 10 तारीख को इस पर बहस और वोटिंग होगी। इससे पता चल जाएगा कि कौन सा विधायक किसानों के समर्थन में वोट करता है और कौन किसान विरोधी सरकार के समर्थन में। हुड्डा ने कहा कि विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि भाजपा-जजपा सरकार जनता का विश्वास पूरी तरह खो चुकी है। जनमत के साथ विश्वासघात करके बनी गठबंधन सरकार एक के बाद एक जनविरोधी फैसले ले रही है। इसलिए सरकार से जनता का मोह पूर्ण रूप से भंग हो चुका है।

हालात ऐसे हो चुके हैं कि खुद मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक जनता के बीच नहीं जा पा रहे हैं। किसान आंदोलन के प्रति सरकार के तानाशाही रवैए की वजह से गठबंधन सरकार देश की सबसे बड़ी किसान विरोधी सरकार बनकर उभरी है। भाजपा-जजपा सरकार ने किसानों, मजदूर, कर्मचारी, दुकानदार, छोटे कर्मचारी समेत हर वर्ग के साथ विश्वासघात किया है। कानून व्यवस्था से लेकर बेरोजगारी, महंगाई से लेकर भ्रष्टाचार तक हर मोर्चे पर मौजूदा सरकार विफल साबित हुई है। ऐसे में तमाम विधायकों को इस सरकार के खिलाफ और अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट करना चाहिए। ऐसे में अब इस प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग के दिन यह बात स्पष्ट हो जाएगी कि ए विधायक किसानों के साथ हैं या नहीं। 


‘कांग्रेस विधायकों ने निकाला रोष मार्च’
कांग्रेस विधायकों ने किसान आंदोनल के समर्थन में हाईकोर्ट चौक से लेकर विधानसभा तक पैदल मार्च किया। उनके हाथों में किसान आंदोलन के समर्थन के बैनर थे तथा सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे। सदन में भी कांग्रेस विधायक बाजू पर काली पट्टी व काला मास्क लगाकर पहुंचे।


‘कांग्रेस ने काली पट्टी बांधकर राष्ट्रीय गीत व राष्ट्रगान का किया अपमान : विज’
गृह मंत्री अनिल विज ने कांग्रेस विधायकों द्वारा सदन में काली पट्टी बांधकर आने के लिए नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इन्होंने राष्ट्रीय गीत व राष्ट्रीय गान के दौरान काली पट्टी बांधे रखी, जिससे अपमान हुआ है। विज ने कहा कि भारत का नागरिक होने के नाते कांग्रेस विधायकों को राज्यपाल के आगमन पर राष्ट्रीय गीत व राष्ट्रीय गान के समय पट्टियां उतारनी चाहिए थीं। दिवंगतों व शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया तो स्पीकर ने सभी विधायकों को बाजू से काली पट्टी हटाने को कहा। विधायकों ने इस दौरान पट्टी हटा दी।

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