Edited By Priyanka rana,Updated: 13 May, 2020 02:08 PM
इसी साल फरवरी में जी.एम.सी.एच.-32 में बतौर नर्सिंग स्टाफ ज्वाइन किया था। हालांकि कोरोना पॉजीटिव मरीजों के साथ ड्यूटी नहीं थी, लेकिन फिर भी टैस्ट पॉजीटिव आया।
चंडीगढ़(पाल) : इसी साल फरवरी में जी.एम.सी.एच.-32 में बतौर नर्सिंग स्टाफ ज्वाइन किया था। हालांकि कोरोना पॉजीटिव मरीजों के साथ ड्यूटी नहीं थी, लेकिन फिर भी टैस्ट पॉजीटिव आया। मैडीकल फील्ड में आप हर दम फ्रंट लाइन पर खड़े होकर काम करते हैं। इंटरनैशनल नर्सेज डे के मौके पर मंगलवार को पी.जी.आई. से 25 साल का मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हो गया। अजय (बदला हुआ नाम) जी.एम.सी.एच.-32 में स्टाफ नर्स है।
अजय के साथ ही हॉस्पिटल की 27 साल की फीमेल डॉक्टर भी ठीक होकर डिस्चार्ज हो गई। दोनों सैक्टर-32 के रहने वाले हैं। 26 अप्रैल को दोनों की रिपोर्ट पॉजीटिव आई थी। इसके साथ ही शहर में ठीक होकर डिस्चार्ज होने वालों मरीजों का आंकड़ा 30 तक पहुंच गया है।
मरीज बनकर समझ लिया है कोरोना पेशैंट को कैसे मैनेज करना है :
अजय बेशक फील्ड में नए हों, लेकिन काम करने को लेकर फिर तैयार है। कहते हैं कि वह अब कोरोना वार्ड में भी काम करने के लिए तैयार हैं। इन मरीजों को कैसे मैनेज करना है, वह खुद एक मरीज बनकर समझ गए है।
घर पर नहीं बताया था :
अजय ने बताया कि उसने घर पर नहीं बताया कि वह पॉजीटिव है। मैडीकल स्टाफ हमेशा रिस्क में काम करता है यह सुना था, लेकिन अब देख भी लिया है।
मेरा सोर्स ऑफ इंफैक्शन क्या था, इसका मुझे अंदाजा नहीं है, लेकिन मेरे पी.जी.आई. आइसोलेशन में जी.एम.सी.एच.-32 ही नहीं पी.जी.आई. की नर्सिंग स्टाफ ने भी बड़ा योगदान दिया। किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आने दी मैंने 6 दिन में सीखा है कि अगर वायरस से बचना है तो डॉक्टरों की बताई गाइडलाइंस को फॉलो करें।