नवनिर्वाचित मेयर की पहली बैठक में आपस में उलझे सत्ताधारी भाजपा पार्षद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Jan, 2018 10:06 AM

davesh moudgil

नवनिर्वाचित मेयर देवेश मोदगिल की अध्यक्षता में नगर निगम की पहली बैठक में भी भाजपा पार्षदों की गुटबाजी सामने आई।

चंडीगढ़(राय) : नवनिर्वाचित मेयर देवेश मोदगिल की अध्यक्षता में नगर निगम की पहली बैठक में भी भाजपा पार्षदों की गुटबाजी सामने आई। बैठक की शुरूआत में ही दो गुटों में बंटे भाजपा के पार्षद आपस में ही उलझ गए। मेयर के स्वागत में सभी पार्षद अपने-अपने विचार रख रहे थे कि भाजपा प्रदेशाध्य्क्ष संजय टंडन गुट से माने जाने वाले भाजपा पार्षद अरुण सूद ने जब कर्मियों की प्रोमोशन के एक मामले में कहा कि हम यहां धर्मात्मा नहीं बैठे है कि किसी का परोपकार करते फिरें। 

 

इससे पहले सांसद किरण खेर गुट से पार्षद राजबाला मालिक ने अपने संबोधन में कहा था कि संबंधित निगम कर्मी की प्रोमोशन कर दी जानी चाहिए उसका भी परिवार है, बच्चे हैं, इसी बात को लेकर सूद ने जब अपने संबोधन में ऐसा कहा तो दोनों पार्षद आपस में उलझ गए। इससे पहले भी सूद ने अपने संबोधन में मेयर को नसीहत देते हुए कटाक्ष किया कि इससे पहले गत दिवस उन्होंने सदन को संबोधित किया था उसमें भी कमियां थीं। 

 

सूद ने कहा कि आपने प्रशासक को सदन में तो बुलाया था पर इससे सदन को कोई वित्तीय लाभ नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि न तो आपने अपने संबोधन में और न ही प्रशासक के संबोधन में इस बात का जिक्र हुआ कि निगम के पास पैसा कहां से आएगा। 

 

सूद ने कहा कि आपने अपने संबोधन में जो 17 उपलब्धियां गिनवाईं थी उनमें से 15 तो मेरे और पूर्व मेयर आशा जसवाल के कार्यकाल की हैं। उन्होंने कहा कि निगम की जो परियोजनाएं चल रही हैं उनका आपने जिक्र तक नहीं किया और न ही आपने अपने संबोधन में निगम के विजन के बारे में कोई बात कही। 

 

बबला बन गए शायर, मेयर पर किए कटाक्ष :
निगम सदन की बैठक में सत्ताधारी पार्षदों के आपस में उलझने से पहले कांग्रेसी पार्षद देविंद्र बबला शायर बन गए और उन्होंने मेयर पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मेयर साहब आपको बधाई हो, लेकिन 2 पंक्तियां आपके बारे में कहना चाहता हूं। 

 

‘कुछ पन्ने इतिहास के मेरे सदन के सीने में शमसीर हो गए, जो लड़े, जो मरे, वो शहीद हो गए, जो डरे, जो झुके वो वजीर हो गए’ बबला का इस शायर में मतलब था कि वो तो मेयर का चुनाव कम गिनती के होते हुए भी बिना डरे लड़े और हार गए, लेकिन देवेश मेयर बनने के लिए अपने साथी पार्षदों से डरे, माफीनामा लिखा मतलब झुक गए और इस प्रकार वह मेयर बन गए।   

 

राजनाथ के करीबी दिखाने की कोशिश :
सोमवार को चंडीगढ़ आए गृहमंत्री राजनाथ के करीबी साबित करने की होड़ भी दोनों गुटों में लगी रही। चंडीगढ़ भाजपा के अध्यक्ष संजय टंडन राजनाथ सिंह के विशेष विमान में सवार होकर दिल्ली चले गए हैं। वहीं मेयर देवेश मोदगिल की शिकायत लेकर दिल्ली पहुंचे दर्जन भर पार्षद जब लौटे तो उनका यही जवाब था कि कुछ दिन ठहरो फिर देखना क्या-क्या बदलेगा।  

 

दूसरे धड़े का कहना है कि हाईकमान ने इन्हें अनुशासन में रहने की हिदायत दी है, लेकिन जल्द ही बड़ा धमाका होने के संकेत भी दिए। पिछले दिनों नगर निगम सदन में पहली बार चंडीगढ़ के प्रशासक के अभिभाषण के बाद भी मेयर विरोधी धड़े ने उनकी पीठ तो नहीं थपथपाई पर इतना अवश्य कह दिया कि सारी तो उनकी परियोजनाएं हैं पर उनका तो जिक्र तक नहीं किया। दूसरी ओर मेयर मोदगिल के राजनीतिक गुरु सतपाल जैन निगम सदन में प्रशासक के संबोधन को मेयर की सबसे बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। 

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