नवरत्न मुंजाल की कंपनी इंड स्विफ्ट की डायरैक्टर है महाजन की पत्नी

Edited By AJIT DHANKHAR,Updated: 05 Mar, 2021 12:28 AM

deal with sanjeev mahajan after munjal got caught in vat scam of 5 crores

5 करोड़ के वैट घोटाले में मुंजाल के फंसने के बाद हुई थी संजीव महाजन से डील  पुलिस से राहत दिलवाई थी, जिसकी एवज में महाजन की पत्नी को डेढ़ लाख रुपए प्रतिमाह वेतन पर डायरैक्टर बनाया था

चंडीगढ़,(रमेश हांडा): वर्ष 2018 में चंडीगढ़ में सामने आए 125 करोड़ के वैट घोटाले के तार भी संजीव महाजन के साथ जुड़ते दिख रहे हैं। पुलिस की जांच में पता चला है कि डेराबस्सी की जिस फार्मास्यूटिकल कंपनी में आरोपी संजीव महाजन की पत्नी डायरैक्टर के रूप में कार्यरत दिखाई गई है, वह कंपनी इंड स्विफ्ट फार्मा है, जिसके मालिक नवरत्न मुंजाल को क्राइम ब्रांच ने 5 करोड़ से अधिक के वैट घोटाले में गिरफ्तार किया था।

संजीव महाजन ने ही मुंजाल से सैटिंग कर उसे पुलिस से राहत दिलवाई थी, जिसकी एवज में महाजन की पत्नी को मुंजाल की कंपनी में डायरैक्टर बनाया गया और डेढ़ लाख रुपए प्रतिमाह वेतन के रूप में वसूला जा रहा था। बताया जा रहा है कि कंपनी का प्रोफाइल जानने के बाद महाजन ने कंपनी में इन्वैस्ट भी किया था, जिसकी राशि का अभी पता नहीं चल पाया है।

 


अकाऊंटैंट की गिरफ्तारी के बाद हुआ था खुलासा
मामले में अक्तूबर, 2018 को इंड स्विफ्ट कंपनी के पूर्व अकाऊंटैंट विपिन मिश्रा की गिरफ्तारी हुई थी। इसके बाद कई कंपनियों द्वारा वैट घोटाले का खुलासा हुआ था। दिसम्बर, 2018 में पी.जी.आई. में चैकअप करवाने आए इंड स्विफ्ट कंपनी के एम.डी. नवरत्न मुंजाल को एस.आई.टी. ने गिरफ्तार कर लिया था। एम.डी. मुंजाल के खिलाफ कंपनी के बकाया पांच करोड़ की राशि की एवज में मात्र पांच हजार रुपए देकर रफा-दफा करवाने का मामला पाया गया था। मुंजाल के खिलाफ पुलिस ने 409, 420, 466 और 467 के तहत केस दर्ज किया है।


करोड़ों का वैट बकाया, एक्साइज डिपार्टमैंट ने 5 हजार रुपए का टैक्स लेकर चालान कर दिया 
17 जुलाई, 2018 को वैट ट्रिब्यूनल की कोर्ट यू.टी. प्रशासन में लगी थी। इस ट्रिब्यूनल कोर्ट की अध्यक्षता तत्कालीन एडवाइजर परिमल राय कर रहे थे। उनकी कोर्ट में इंड स्विफ्ट कंपनी का केस भी लगा हुआ था। उस केस में एक्साइज डिपार्टमैंट ने कंपनी पर 5 करोड़ 90 लाख 54 हजार 342 रुपए बकाया वैट निकाला। एडवाइजर ने जब केस का स्टेटस पूछा तो कंपनी के वकील ने कहा कि उनका मामला तो 31 मार्च, 2015 को खत्म भी हो चुका है।

एक्साइज डिपार्टमैंट ने 5 हजार रुपए का टैक्स लेकर चालान कर दिया था। इस पर एडवाइजर को शक हुआ कि कैसे 5.90 करोड़ रुपए का टैक्स मात्र 5 हजार रुपए के चालान में पूरा हो गया। इसके बाद जांच की तो ये घोटाला सामने आया। इसके बाद विजीलैंस ने केस दर्ज किया था। इस केस को बाद में यू.टी. पुलिस क्राइम ब्रांच के पास शिफ्ट किया गया था। कुछ समय बाद ही उक्त मामला फाइलों में बंद हो गया था जोकि एक बार फिर खुल सकता है।

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