कोरोना संकट में आंखों की बीमारी की न करें अनदेखी

Edited By pooja verma,Updated: 20 May, 2020 01:40 PM

do not ignore eye disease in corona crisis

कोरोना संकट की घड़ी में आंखों के पेशैंट्स अपनी आंख की बीमारी को नजरअंदाज न करें ।ऐसे पेशैंट जिन्होंने कोर्निया ग्राफ्टिंग करवाई थी, या जो काला मोतिया के पेशैंट्स हैं और जिनकी आंखों का प्रैशर 21  से ज्यादा बढ़ गया है, वे पेशैंट्स अपने चैकअप को न...

चंडीगढ़ (अर्चना सेठी) कोरोना संकट की घड़ी में आंखों के पेशैंट्स अपनी आंख की बीमारी को नजरअंदाज न करें ।ऐसे पेशैंट जिन्होंने कोर्निया ग्राफ्टिंग करवाई थी, या जो काला मोतिया के पेशैंट्स हैं और जिनकी आंखों का प्रैशर 21  से ज्यादा बढ़ गया है, वे पेशैंट्स अपने चैकअप को न टालें। ऐसे पेशैंट्स की आंखों की रोशनी जाने का खतरा है। बाकी के पेशैंट्स टेलीमैडीसन के जरिए डाक्टर से परामर्श हासिल कर सकते हैं।

 

काला मोतिया के पेशैंट्स इलाज में देरी न करें
पी.जी.आई. के पूर्व नेत्र रोग विशेषज्ञ और चंडीगढ़ कोर्निया सैंटर के प्रभारी डॉ. अशोक शर्मा का कहना है कि सफेद मोतिया वाले पेशैंट कुछ देर और इंतजार कर सकते हैं लेकिन काला मोतिया के पेशैंट्स की आंखों की रोशनी इलाज के बगैर जा सकती है। प्री मैच्योर बच्चों की आंखों की रोशनी जांचना बहुत जरूरी होता है अन्यथा उनकी आंखें भी जीवन भर के लिए आंखें खराब हो सकती हैं। कोर्निया ग्राफ्टिंग  के पेशैंट्स को कुछ समय बाद चैकअप करवाना बहुत जरूरी होता है योंकि कई दफा उनकी आंखों के पर्दे में दिकत आ जाती है। 

 

ऐसे पेशैंट्स को आंखों का चैकअप जरूर करवा लेना चाहिए बाकी के पेशैंट टेलीमैडीसन से संपर्क कर सकते हैं। प्रो. शर्मा का कहना है कि इन दिनों पेशैंट् को लैंस की बजाए चश्मे का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि आंखों को छूने से लोग बचें। जिन पेशैंट्स की दवा चल रही है, वे उसी दवा का सेवन करते रहें और अस्पताल न आएं लेकिन आंखों की गंभीर अवस्था को नजरअंदाज न करें। 

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