Edited By Priyanka rana,Updated: 07 Feb, 2020 09:31 AM
जिंदगी में ड्रग्स को कभी टेस्ट भी मत करो, वरना इसके चक्कर में फंसते चले जाओगे और बाहर आना मुश्किल हो जाएगा।
चंडीगढ़(रश्मि) : जिंदगी में ड्रग्स को कभी टेस्ट भी मत करो, वरना इसके चक्कर में फंसते चले जाओगे और बाहर आना मुश्किल हो जाएगा। यह कहना है ड्रग्स के चक्कर में 14 साल तक फंसे रहे आदित्य का। वह पंजाब यूनिवर्सिटी में सैंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटी डिपार्टमैंट की ओर से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रैंस में भाग लेने आए थे।
यह कांफ्रैंस ‘ए कन्वरसेशन फॉर चेंज-ह्युमन राइट्स, यूथ एंड ड्रग्स’ विषय पर आयोजित की गई थी। कांफ्रैंस में ड्रग्स में फंसे रह चुके कुछ पुरूषों और महिलाओं ने जीवन के कड़वे अनुभव सांझा किए और बताया कि कैसे वे इस दलदल से बाहर निकले। कुल्लू के आदित्य की पत्नी सोनू ने पति की स्थिति बयां की। सोनू ने बताया कि 22-23 वर्ष की उम्र में उसकी शादी आदित्य से कर दी गई थी। शादी के तीसरे दिन ही आदित्य पूरी रात घर नहीं आए।
मुझे अजीब लगा, लेकिन बड़े भाई ने कहा कि वह आ जाएगा। चिंता न करें। अगले दिन सुबह मुझसे सब पूछने लगे कि आदित्य कहां है। तो मैंने कहा कि मैं अभी आई हूंं। आदित्य इस घर का लड़का है, उन्हें नहीं पता कि उनका बेटा कहां है, तो मुझे कैसे पता होगा? कुछ समय निकलने लगा। आदित्य कभी गायब हो जाते थे। मुझे कुछ नहीं समझ में आ रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है? सभी घरवालों ने मुझसे आदित्य की ड्रग्स की लत छुपाए रखी।
बेटे को किसी के पास छोड़ खुद कर रहा था नशा :
जब बेटा हुआ तो पति आदित्य रोज घुमाने लगा। अच्छा लगा कि वह सुधर रहा है। एक दिन जब बेटे की टोपी और जुराब घर के बाहर मिली। भैय्या ने कहा कि चैक करो कुछ गड़बड़ है। हम बेटे व आदित्य को ढूंढने गए तो पता लगा कि आदित्य ने बेटे को किसी के पास छोड़ा है और वह खुद दो घंटे से बाथरूम में बंद है। फिर असलियत सामने आई। फिर आदित्य को रिहैबिलिटेशन सैंटर भेज दिया। वहां से उनकी ड्रग्स की लत छूटी और काम भी सीखा।
कई घंटे बाथरूम में रहते थे :
सोनू ने बताया कि मैंने खुद तय किया कि मैं आदित्य को सुबह उठाकर दुकान पर भेजूंगी, जिससे वह वहां पर काम कर सके। दोपहर को लंच भी देकर आऊंगी। मैंने आदित्य की चौकीदारी शुरू कर दी। आदित्य को सुबह उठाकर जब मैं बाथरूम के बाहर खड़े होकर उनके बाहर आने का इंतजार करती तो दो-दो घंटे तक आदित्य बाहर नहीं आते थे। मुझे शक तो हुआ, लेकिन क्लीयर नहीं हो पा रहा था।
10वीं में पहली बार ली थी चरस :
आदित्य ने बताया कि उन्होंने पहली बार 10वीं क्लास में चरस ली थी। कुल्लू में बचपन से ही लोगों को यह सब करते देखा था। मुझे किसी ने दबाव बनाकर चरस नहीं दी, बल्कि कांफिडैंस की कमी से मैं इस लत में पड़ गया था। चरस या ड्रग्स लेने वालों के लिए बाथरूम सबसे सुरक्षित है। इस जगह पर कोई आपको डिस्टर्ब नहीं कर सक सकता। इसलिए ज्यादातर लोग बाथरूम का प्रयोग ही ड्रग्स के लिए करते हैं।
पति की मौत के बाद नशे की लत लगी :
‘सुखविंद्र कौर’ (बदला हुआ नाम) जिसे गलती से पहले ड्रग्स में व बाद में देह व्यापार में उतारा गया ने भी अनुभव सांझे किए। पति की मृत्यु हो गई और तीन बच्चे थे। मकान भी किराए पर था। अब घर का किरया और बच्चों के पालन पोषण की चिंता सताई जा रही थी। मैं टैंशन में थी। ऐसे में मैं पड़ोसी के घर गई और सारी बात की। उन्होंने मुझे एक गोली दी और कहा कि ठीक हो जाओगी। गोली खाते मैं अच्छा महसूस करने लगी।
अगले दिन फिर मैंने वह गोली मांगी तो उन्होंने मुझे दे दी। दो-चार दिन में मैंने तीन-चार गोलियां खा ली, लेकिन अब कोई रोज-रोज फ्री में गोली नहीं दे सकता। मैंने पड़ोसी से कहा कि फिलहाल वह उसे गोली दे दे, पैसे आते मार्कीट से खरीद लेगी। पड़ोसी ने कहा कि यह गोली मार्कीट में नहीं मिलती है। अब मुझे गोली की लत महसूस होने लगी।
दलदल में फंसती चली गई :
पैसों की सख्त जरूरत और गोली की जरूरत पर मुझे मेरे पड़ोसी ने कहा कि वह उसके लिए कुछ दिन में काम ढूंढेगी। तीन चार दिन बाद उस पड़ोसी ने मुझे कहा कि देह व्यापार का काम शुरू कर दे। उसमें पैसा बहुत है जिससे वह खुद की व बच्चों की जरूरत पूरी कर सकती है।
हालांकि मैंने कहा कि वह घरों में बर्तन मांजने का काम करेगी, लेकिन यह नहीं करेगी। पड़ोसी ने कहा कि घर का काम करने पर 500 रुपए मिलेंगे। फिर मैंने उनकी बात मान ली। अब मैं काम तो करने लगी और पैसे भी अच्छे कमाने लगी लेकिन अंदर से मन कह रहा था कि मैं यह सब गलत कर रही हूं।
केंद्र से लौटी तो खोला बुटीक :
एक दिन कुछ महिलाओं को मैंने बात करते सुना। मैं नशे में थी। मैं नशा मुक्ति केंद्र गई। मैं धीरे-धीरे नशे के दलदल से बाहर आई। मैंने सिलाई केंद्र में सिलाई सीखना सीखा। मैं सिलाई में परफैक्ट हो गई तो मैंने अपना बुटीक खोल लिया।