ई-रिक्शा चालकों की हड़ताल जारी, PU प्रबंधन कल लेगा फैसला

Edited By Priyanka rana,Updated: 13 Oct, 2019 08:44 AM

e rickshaw driver

पंजाब यूनिवर्सिटी में ई-रिक्शा चालकों और ठेकेदार के बीच का विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। इन दोनों की खींचातनी में नुकसान स्टूडैंट्स का हो रहा है।

चंडीगढ़(वैभव) : पंजाब यूनिवर्सिटी में ई-रिक्शा चालकों और ठेकेदार के बीच का विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। इन दोनों की खींचातनी में नुकसान स्टूडैंट्स का हो रहा है। 

एक तरफ पी.यू. प्रशासन कैंपस में फोर व्हीलर वाहनों को बैन करने का मन बना रहा है, वहीं दूसरी ओर ई-रिक्शा पर भी खतरें के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि पी.यू. प्रशासन इस मुद्दे पर फैसला सोमवार को करेगा, लेकिन इस बीच स्टूडैंट्स को जो परेशानी का सामना करना पड़ रहा है उस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। शनिवार को भी ई-रिक्शा चालकों की हड़ताल जारी रही और वी.सी. के खिलाफ नारेबाजी की गई।

ई-रिक्शा चालकों के धरने में छात्र संगठन भी कूदे :
हड़ताल पर बैठे ई-रिक्शा चालकों के पक्ष में कुछेक छात्र संगठन कूद पड़े हैं। ऐसे में वह अगले वर्ष होने वाले छात्र संघ चुनाव के लिए अपने नंबर बनाने के लिए अभी से तैयारी कर रहे हैं। छात्रों का साथ पाकर शनिवार को ई-रिक्शा चालक कुछ ज्यादा ही जोश में दिखें। 

इस संबंध में पी.यू. प्रशासन और ठेकेदार के बीच बैठक हुई थी। इसमें ठेकेदार व ई-रिक्शा चालकों के विवाद को देखते हुए पी.यू. प्रशासन ने कहा था कि ई-रिक्शा चालकों के साथ उनका कोई करार नहीं हुआ है। इसीलिए उनका आपसी विवाद वे स्वयं ही निपटाएं। ठेकेदारों ने चालकों पर और भी दबाव बनाना शुरू कर दिया।

एक निजी कंपनी ने सैलरी पर रखे थे ड्राइवर :
ड्राइवर ब्रिजेश कुमार ने बताया कि वे पिछले तीन महीनों से कैंपस में ई-रिक्शा चला रहे हैं और सभी चालकों को फरीदाबाद की प्राइवेट कंपनी 12 हजार रुपए प्रतिमाह सैलरी देती थी। 

इसके डेढ़ साल बाद कंपनी ने सैलरी में कई भत्तों के नाम पर कटौती करके 8000 रुपए सैलरी देनी शुरू कर दी, लेकिन अब कंपनी कोई सैलरी नहीं दे रही है और चार माह पहले कंपनी मैनेजर ने कहा कि रोजाना मिलने वाले किराए से ही वे अपना खर्च निकाले।

ठेकेदार का अनुबंध खत्म करने की मांग :
ई-रिक्शा चालकों का आरोप है कि उन्हें ठेकेदार की ओर से धमकी भी दी गई है कि प्रतिदिन 850 रुपए कमाकर देंगे तो ही वह रिक्शा चलाएं, जबकि उन्होंने साफ कह दिया कि 700 से 750 रुपए ही प्रतिदिन किराया आता है। ऐसे में 100 रुपए वह कहां से लाएंगे। इसके अलावा उनका खर्च कहां से निकलेगा। ऐसे में पी.यू. प्रबंधन को को ठेकेदार का अनुबंध खत्म कर देना चाहिए।

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