एक बार फिर 2.20 लाख कंज्यूमर्स को झेलनी पड़ेगी बिजली की किल्लत!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Mar, 2018 09:17 AM

electricity

चंडीगढ़ ने स्मार्ट सिटी का टैग तो ले लिया लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में अभी भी स्थिति सुधर नहीं पाई है।

चंडीगढ़(विजय) : चंडीगढ़ ने स्मार्ट सिटी का टैग तो ले लिया लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में अभी भी स्थिति सुधर नहीं पाई है। अब जबकि एक बार फिर तापमान बढऩे लगा है तो ऐसे में लगभग 2.20 लाख कंज्यूमर्स को बिजली की किल्लत फिर से झेलनी पड़ सकती है। 

 

हालांकि ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन (टी. एंड डी.) लॉस अगर खत्म कर दिया जाए तो जितनी जरूरत इस समय बिजली की शहर के लोगों को है, उसे पूरा किया जा सकता है। मगर बावजूद इसके इस समय भी चंडीगढ़ में टी. एंड डी. लॉस 13.65 प्रतिशत तक पहुंचा हुआ है। 

 

खास बात यह है कि पिछले चार सालों के दौरान चंडीगढ़ को टी. एंड डी. लॉस से लगभग 50 करोड़ रुपए का नुक्सान हो चुका है लेकिन बावजूद इसके इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमैंट ने ज्वाइंट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलैट्री कमीशन (जे.ई.आर.सी.) के सामने हाथ खड़े कर दिए हैं। डिपार्टमैंट का कहना है कि टी. एंड डी. लॉस को इससे कम नहीं किया जा सकता। 

 

यही नहीं, डिपार्टमैंट के पास ऐसा कोई तंत्र ही नहीं जिससे कि यह पता लगाया जा सके कि टी. एंड डी. लॉस हो कैसे रहा है? डिपार्टमैंट के पास केवल ओवरऑल एक आंकड़ा है, जिससे हर साल यह डिटेल दी जाती है कि इस समय कितना लॉस चंडीगढ़ को उठाना पड़ रहा है। 

 

स्मार्ट मीटर पर भी विभाग सुस्त :
चंडीगढ़ में स्मार्ट मीटर्स लगाने का प्रोपोजल पिछले कईं वर्षों से चल रहा है लेकिन अभी तक डिपार्टमैंट किसी भी 11 के.वी. और 66 के.वी. नोडल प्वाइंट्स में स्मार्ट मीटर्स नहीं लगा पाया। 

 

सूत्रों के अनुसार डिपार्टमैंट के पास मौजूदा समय में हरेक फीडर से होने वाले लॉस की जानकारी हासिल करने के लिए कोई सिस्टम मौजूद नहीं है। यही वजह है कि डिपार्टमैंट एनर्जी ऑडिट भी नहीं करवा पा रहा है। एनर्जी ऑडिट न होने की वजह से डिपार्टमैंट भविष्य की प्लानिंग सही तरीके से नहीं कर पा रहा है।

 

डिपार्टमैंट ने बताई इंटरस्टेट प्वाइंट की कमी :
डिपार्टमैंट की ओर से कहा गया है कि जब तक नई स्कीम्स शुरू नहीं की जाती हैं, तब तक बाकी का बचा हुआ 13.65 प्रतिशत का लॉस कम नहीं किया जा सकता। इसमें सबसे अहम प्रोजैक्ट स्मार्ट ग्रिड का है। इसकी अप्रूवल अभी तक केंद्र सरकार से नहीं मिल पाई है। 

 

यही नहीं, इंटर स्टेट सर्किट की वजह से भी लगभग 3 प्रतिशत अतिरिक्त लॉस हो रहा है। दरअसल यू.टी. की बाऊंड्री में कोई इंटर स्टेट प्वाइंट नहीं है, जिसकी वजह से यह लॉस विभाग को उठाना पड़ रहा है।

 

2014 से अब तक का टी. एंड डी. लॉस
वित्त वर्ष           लॉस
2013-14        15.10 प्रतिशत
2014-15        15.17 प्रतिशत
2015-16        15.24 प्रतिशत
2016-17        13.65 प्रतिशत

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