बिजली डिफाल्टरों से नहीं वसूली 571.75 लाख की रकम, विभाग को हो रहा नुकसान

Edited By Priyanka rana,Updated: 31 Mar, 2019 02:09 PM

electricity department

बिजली विभाग ने बिजली डिफॉल्टरों से अब तक 571.75 लाख की बिलों की रकम वसूल नहीं की है

चंडीगढ़(साजन) : बिजली विभाग ने बिजली डिफॉल्टरों से अब तक 571.75 लाख की बिलों की रकम वसूल नहीं की है, जिससे विभाग को नुकसान हो रहा है। इतना ही नहीं 419 डिफॉल्टरों के केस ऐसे हैं जिसमें विभाग ने बिल न देने पर डिफॉल्टर कंज्यूमरों की बिजली तो काट दी है। लेकिन पैसे वसूलने के लिए आगे कोई कार्रवाई नहीं की। 

जबकि कनैक्शन काटना बिल वसूलने की महज पहली प्रक्रिया है। ऑडिट विभाग ने सारे रिकार्डों को जांचने के बाद बिजली विभाग की इस बड़ी कारगुजारी का खुलासा किया है। हाल ही में किए गए ऑडिट में पाया गया कि 31 मार्च 2018 तक बिजली विभाग को 267.24 लाख की रकम डिफाल्टर कंज्यूमरों से वसूल करनी है। इनके कनैक्शन भी हालांकि काट दिए गए हैं। 

419 बिजली डिफाल्टर्स :
पंजाब स्टेट इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड के इलैक्ट्रिसिटी सप्लाई रैगुलेशन 123.1 के मुताबिक बिजली डिफॉल्टरों का पहले चरण में कनैक्शन काटा जाता है। ताकि उन पर पैमेंट करने का दबाव बनाया जा सके। आगे बिजली बिल की रकम न बढ़े। इसे चंडीगढ़ इलैक्ट्रिसिटी डिपार्टमैंट ने भी फॉलो किया हुआ है। यू.टी. इलैक्ट्रिसिटी विभाग ने डिफाल्टरों पर बची रकम को हासिल करने के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं किए, बल्कि उन्हें मनमर्जी से पैसा जमा कराने की खुली छुट्टी दे रखी है। 267.24 लाख की राशि का जिक्र विभाग ने ऑडिट विभाग को दिया है। 

बता दें कि 419 डिफॉल्टरों पर पहले 571.75 लाख बकाया थे। ज्वाइंट इलैक्ट्रिसिटी रैगुलेटरी कमीशन के रैगुलेशन 6.11 के मुताबिक इलैक्ट्रिसिटी डिपार्टमैंट जो लाइसेंसी है को समय-समय पर तय किए गए टैरिफ के अनुरूप बिजली बिल वसूल व रिकवर करने का पूरा अधिकार है। रैगुलेशन 9.1 के मुताबिक अगर कंज्यूमर तय तारीख के भीतर बिल पे नहीं करता तो उसे 15 दिन का नोटिस देकर रकम रिकवर कर सकता है। 

अगर विभाग कनेक्शन काट देता है तो उसे दोबारा लगाने का खर्च भी डिफॉल्टर उपभोक्ता से वसूला जाएगा। ये विभाग की ड्यूटी बनती है कि अगर तय तारीख तक बिल कंज्यूमर जमा न करे तो विभाग अपने फील्ड अफसरों की मदद से इन्हें वसूलने की प्रक्रिया चलाए। यानि ये रकम आगे न बढ़े। इलैक्ट्रिसिटी ऑपरेशन डिवीजन नंबर 1 में हुए ऑडिट के मुताबिक 31 मार्च 2018 तक डिफाल्टर उपभोक्ताओं से कुल 571.75 लाख तक की वसूली की जानी बाकी थी। 

अलग-अलग डिवीजनों पर अलग-अलग रकम बकाया :
सब डिवीजन नंबर-1 में कुल 63.38 लाख बकाया हैं। सब डिवीजन नंबर-2 में 352.32 लाख बकाया है। सब डिवीजन नंबर 4 में 156.05 लाख बकाया है। सब डिवीजन-1 में परमानैंट डिफॉल्टरों से 40.03 लाख, गवर्नमैंट डिफॉल्टरों से 1.68 लाख, कोर्टों में चल रहे केसों से 13.98 लाख, जबकि अन्य से 7.69 लाख, इसी तरह सब डिवीजन नंबर-2 में परमानैंट डिफाल्टरों से 189.98 लाख, गवर्नमैंट डिफॉल्टरों से 62.83 लाख,कोर्ट में चल रहे केसों से 50.98 लाख। 

जबकि अन्य से 48.43 लाख की वसूली करनी है। सब डिवीजन नंबर-4 में परमानैंट डिफाल्टरों से 37.23 लाख, गवर्नमैंट डिफाल्टरों से 52.51 लाख, कोर्ट के केसों में 2.80 लाख, अन्य मामलों में 63.51 लाख की वसूली करनी है। इस आंकड़े के मुताबिक इन तीनों सब डिवीजनों में परमामनैंट डिफाल्टरों से 267.24 लाख, सरकारी डिफाल्टरों से 117.02 लाख, कोर्ट व डी.एस.सी. केसों में 67.46 लाख। जबकि अन्य मामलों में 120.03 लाख की रकम वसूलनी है। ऑडिट विभाग ने पूछा है कि इतनी बड़ी रकम वसूलने के लिए इलेक्ट्रीसिटी विभाग क्या कोशिशें कर रहा है? 

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