किसानों को मुआवजा देने के लिए प्रशासन ने केंद्र से मांगे 75 करोड़

Edited By Priyanka rana,Updated: 21 Oct, 2019 10:10 AM

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प्रशासन के लिए शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ-साथ हाऊसिंग बोर्ड की रैजीडैंशियल प्रोजैक्ट्स को पूरा करने में सबसे बड़ी बाधा अब किसानों की अधिग्रहण की जमीन की मुआवजा राशि को कोर्ट के आदेशों अनुसार अदा करना बड़ी चुनौती बन गई है।

चंडीगढ़(साजन) : प्रशासन के लिए शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ-साथ हाऊसिंग बोर्ड की रैजीडैंशियल प्रोजैक्ट्स को पूरा करने में सबसे बड़ी बाधा अब किसानों की अधिग्रहण की जमीन की मुआवजा राशि को कोर्ट के आदेशों अनुसार अदा करना बड़ी चुनौती बन गई है। 

कोर्ट के आदेश अनुसार जो राशि प्रशासन को देने के लिए कहा गया है, उससे प्रशासन की लगातार परेशानी बढ़ती जा रही है। आई.टी. पार्क में जमीन अधिग्रहण को लेकर हाईकोर्ट ने किसानों का मुआवजा बढ़ा दिया, जिसके चलते प्रशासन की ओर करोड़ों रुपए की राशि चढ़ गई है। इसी को लेकर प्रशासन ने केंद्र से किसानों को अतिरिक्त मुआवजा देने के लिए 75 करोड़ की मांग की है। 

वैसे प्रशासन आई.टी. पार्क में मुआवजा बढ़ाने को लेकर हाईकोर्ट के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट भी गया हुआ है। यहां किसानों ने मुआवजा 4 करोड़ रुपये एकड़ से भी अधिक दिए जाने को लेकर याचिका डाल रखी है। फाइनैंस सैक्रेटरी अजोय कुमार सिन्हा ने बताया कि हमने किसानों की जमीन अधिग्रहण का पैसा चुकाने के लिए 75 करोड़ रुपए अतिरिक्त केंद्र सरकार से मांगे हैं। चूंकि किसानों की जमीन के अधिग्रहण की कीमत कोर्ट के आदेश के बाद बढ़ानी पड़ी, लिहाजा यह पैसा मांगा गया है।

ठगा हुआ महसूस कर रहे किसान :
कैंबवाला के साथ टाटा प्रोजैक्ट के लिए किसानों की अधिग्रहण की गई जमीन के रेट की तर्ज पर किसान आई.टी. पार्क की जमीन के रेट मांग रहे हैं। प्रशासन किसानों से कम दाम पर जमीन को अधिग्रहण करता आ रहा है और आगे इसे महंगे दामों में बिल्डर्स या खुद प्रोजैक्ट बना कर बेचता रहा है जिसकी कीमत करोड़ों रुपए में है। ऐसे में चंडीगढ़ के गांवों के किसान स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। शहर के किसानों ने प्रशासन की ओर से कम रेट पर जमीन अधिग्रहण करने पर हाईकोर्ट में केस दायर किया था जिसका फैसला किसानों के हित में आया था। 

सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है केस :
इस फैसले में हाईकोर्ट ने 2.5 करोड़ प्रति एकड़ जमीन का रेट तय किया था लेकिन नगर प्रशासन की ओर से उक्त फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। यह मामला अभी विचाराधीन हैं लेकिन शहर के गांवों के किसान अब 2.5 करोड़ की बजाय 5 करोड़ प्रति एकड़ मांग रहे हैं। किसानों को कहना है कि शहर में छोटे से हाउसिंग बोर्ड के  मकान की कीमत करोड़ों रुपए है तो उनकी जमीन का अधिग्रहण कम कीमत पर प्रशासन ने क्यों किया? 

कई और जगह भी फंसा पेच :
प्रशासन ने मौलीजागरां, धनास व डडडूमाजरा में भी जमीन को अधिग्रहण करने की योजना बनाई है लेकिन जमीन की कीमत अधिक होने से यहां भी पेच फंस गया है। यहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फ्लैट बनने हैं। अगर प्रशासन को इन जगहों पर जमीन सस्ती दरों पर नहीं मिलती है तो उसे यहां बनाने वाले फ्लैट महंगे रेट पर तैयार करने होंगे।

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