गन्ना किसानों की बकाया पेमैंट बनेगी चुनावी मुद्दा

Edited By Priyanka rana,Updated: 13 Apr, 2019 12:42 PM

farmers payment

लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच अब गन्ना किसानों ने भी बकाया पेमैंट को लेकर हुंकार भर दी है और मुद्दे पर भाजपा प्रत्याशियों को घेरने की रणनीति भी तैयार कर ली है।

चंडीगढ़(अविनाश) : लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच अब गन्ना किसानों ने भी बकाया पेमैंट को लेकर हुंकार भर दी है और मुद्दे पर भाजपा प्रत्याशियों को घेरने की रणनीति भी तैयार कर ली है। भारतीय किसान यूनियन ने दो टूक कहा है कि प्रदेशभर में भाजपा का पुरजोर विरोध करेंगे। मौजूदा समय में गन्ना किसानों का करीब 500 करोड़ रुपए चीनी मिलों पर बकाया है। 

हालांकि सहकारी चीनी मिलों के पेमैंट सिस्टम से किसान कुछ खुश जरूर हैं, लेकिन निजी चीनी मिलों से नाराजगी बरकरार है। बकाया भुगतान को लेकर कई बार अफसरों और मंत्रियों से बातचीत भी हुई, जो असफल रही। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तरह हरियाणा के जी.टी. रोड बैल्ट के गन्ना किसानों के समक्ष वित्तीय संकट खड़े हो गए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा पैसा नारायणगढ़ और भादसो चीनी मिल पर बकाया है। लिहाजा अम्बाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और करनाल के किसानों में सबसे ज्यादा गुस्सा है। उनका आरोप है कि बकाया का भुगतान नहीं होने से जरूरी काम भी रुक गए हैं। 

सत्ताधारी नेता भी लोकसभा चुनाव की मुहिम में जुटे हुए हैं। ऐसे में गन्ना उत्पादक किसान एक बार फिर परेशानी झेल रहे हैं। गन्ना किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से तुरंत भुगतान की गुहार लगाई है। किसान नेताओं की मानें तो सहकारी चीनी मिलों में पेमैंट सिस्टम काफी हद तक ठीक हुआ, लेकिन फिर भी शाहाबाद चीनी मिल पर 73 करोड़, पानीपत सहकारी चीनी मिल पर 42 करोड़, रोहतक चीनी मिल पर 62 करोड़ और करनाल पर 45 करोड़ बकाया है। इसके अलावा सोनीपत सहकारी चीनी मिल पर 38 करोड़, पलवल सहकारी शुगर मिल पर 39 करोड़ की राशि, रोहतक में महम चीनी मिल पर 64 करोड़ से अधिक बकाया है। 

भाजपा प्रत्याशियों का बहिष्कार करेंगे किसान : चढूनी
यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरुनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में पूरी तरह से प्रत्याशियों का बहिष्कार किया जाएगा। कुरुक्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार नायब सैनी के बहिष्कार का सर्वसम्मति से निर्णय लिया जा चुका है। 

गन्ना किसानों को बिना देरी के भुगतान किया जाना चाहिए। समय रहते भुगतान नहीं हुआ तो आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। पहले भी कई बार आला अफसरों को अवगत करवाया जा चुका है, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब सरकार को बकाया राशि ब्याज सहित देनी होगी।

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