फाइनैंस डिपार्टमैंट ने 30 सितम्बर तक पैंडिंग बिल क्लीयर करने के दिए निर्देश

Edited By Priyanka rana,Updated: 20 Sep, 2019 02:12 PM

finance department

चंडीगढ़ प्रशासन के फाइनैंस डिपार्टमैंट ने अपने सभी विभागों को 30 सितम्बर को पैंडिंग बिल क्लीयर करने के निर्देश दिए हैं।

चंडीगढ़(राजिंद्र) : चंडीगढ़ प्रशासन के फाइनैंस डिपार्टमैंट ने अपने सभी विभागों को 30 सितम्बर को पैंडिंग बिल क्लीयर करने के निर्देश दिए हैं। विभागों ने कितना बजट खर्च किया है, ये पता लगाने के लिए फाइनैंस डिपार्टमैंट प्रयास कर रहा है। बिल क्लीयर करने पर ही कुछ विभाग बजट करने का अपना टारगेट पूरा कर सकेंगे। अभी तक अधिकतर विभागों ने 50 प्रतिशत बजट भी खर्च नहीं किया है। 

इसमें अहम रूप से इंजीनयरिंग डिपार्टमैंट को निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में प्रशासन के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि हाल ही में उन्होंने बजट को लेकर यू.टी. के सभी अधिकारियों के साथ मीटिंग की थी। मीटिंग में पता चला कि अधिकतर विभागों के पैंडिंग बिल हैं। बिलों के भुगतान न करने के चलते बजट का उपयोग नहीं हो रहा है। जो विभाग अपना बजट उपयोग का टारगेट पूरा नहीं कर पाएगा, उसे अगले वर्ष के लिए पूरा बजट नहीं मिल पाएगा। 

10 दिन से अधिक तक आऊटस्टैंडिंग अमाऊंट :
पैंडिंग बिलों को लेकर जानकारी पुख्ता करने के लिए विभाग ने जेम पोर्टल को भी चैक किया था, जिसमें सामने आया था कि अधिकतर केसों में 10 दिन से अधिक तक आऊटस्टैंडिंग अमाऊंट है। इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट के केस में फाइनल बिल पे नहीं किए गए हैं, जिसके चलते बजट उपयोग के साथ ऑडिट में भी दिक्कत आएगी।  

यही कारण है कि विभाग को अपने सभी पूरे होने वाले प्रोजैक्ट्स पर ध्यान देने के लिए बोला हैं, ताकि उसका फाइनल बिल बुलाकर सितम्बर माह के अंदर ही पेमैंट की  जा सकें। इसी तरह सभी डिपार्टमैंट्स को ही पैंडिंग बिल क्लीयर करने के लिए बोला गया हैं, तांकि बजट उपयोग के साथ ही ऑडिट आब्जेक्शन का भी सामना न करना  पड़े। 

पिछले वर्ष कई विभाग नहीं खर्च कर पाए थे बजट :
पिछले साल कई विभाग मिले बजट को खर्च नहीं कर पाए थे। अगर दिसम्बर तक के रिकॉर्ड को देखा जाए तो हायर एजुकेशन ने वर्ष 2018-19 के मिले कुल बजट का 46 प्रतिशत ही खर्च किया था। पिछले साल विभाग को 214 करोड़ बजट मिले थे, जिसमें से सिर्फ 100 करोड़ बजट ही खर्च किया था, जबकि बजट में प्रावधान के तहत प्रशासन ने पॉलीटैक्निक और इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट को अपग्रेड करना था। 

इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट के लिए 1372 करोड़ बजट जारी किया गया था, जिसमें बिजली खरीदने का काम भी शामिल था, लेकिन 1190 करोड़ खर्च किए गए। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमैंट के लिए 247 करोड़ का बजट जारी किया गया था, लेकिन 168 करोड़ खर्च कर पाया था। इसमें सी.टी.यू. के पूरे सिस्टम को ऑनलाइन किया जाना था, लेकिन पिछले एक साल से विभाग इसमें सिर्फ टैंडरों के चक्कर में ही फंसा हुआ है।

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