सेवा का अधिकार आयोग ने वन विभाग के 14 अधिकारियों को रखा रडार पर

Edited By Ajay Chandigarh,Updated: 23 May, 2022 07:28 PM

fine imposed on three district forest officers

हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग एक के बाद एक ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहा है, जो काम के प्रति ढिलाई बरतते हैं और निर्धारित समय सीमा के भीतर अधिसूचित सेवाओं के वितरण में देरी करते हैं। हाल ही में एक मामले में आयोग ने दो अधिसूचित...

चंडीगढ़, (बंसल): हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग एक के बाद एक ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहा है, जो काम के प्रति ढिलाई बरतते हैं और निर्धारित समय सीमा के भीतर अधिसूचित सेवाओं के वितरण में देरी करते हैं। हाल ही में एक मामले में आयोग ने दो अधिसूचित सेवाओं-‘पेड़ों की कटाई की अनुमति’ और ‘पी.एल.पी.ए. या वन या प्रतिबंधित भूमि के संबंध में एन.ओ.सी.’ के विलंबित मामलों में वन विभाग के 14 अधिकारियों को अपने रडार पर लिया था। आयोग ने जुलाई-2020 और दिसंबर-2021 के बीच की समयावधि के दौरान 688 मामलों की पहचान की, जहां देरी पाई गई। रिपोर्ट पर तुरंत संज्ञान लेते हुए, आयोग ने कोविड लहर में ढुलमुल रवैया अपनाने पर लगभग 450 से अधिक मामलों के लिए 14 जिला वन अधिकारियों (डी.एफ.ओ.) को स्वत: संज्ञान नोटिस जारी किया। 

 


सभी अधिकारियों को 19 अप्रैल, 2022 को आयोग के समक्ष सुनवाई के लिए बुलाया गया। उपरोक्त दोनों सेवाओं के लिए अधिसूचित समय-सीमा 15 कार्य दिवस है, लेकिन अधिसूचित समय-सीमा के बारे में अधिकारियों  की दलील पर विचार करते हुए, आयोग ने उन मामलों को माफ कर दिया जहां विभाग को समय-सीमा में आवश्यकतानुसार 30 कार्य दिवसों तक संशोधन करवाने की सलाह दी गई थी।

 


तीन जिला वन अधिकारियों पर लगाया जुर्माना:
 सुनवाई के दौरान उपस्थित अधिकारियों की दलीलों के आधार पर  रेंज अधिकारी, डी.एफ.ओ. और वन संरक्षक के स्तर पर देरी पाई गई। लिखित जवाब और बताए गए कारणों की समीक्षा के बाद आयोग ने तीन जिला वन अधिकारियों- राम कुमार जांगड़ा, आर.एस. ढुल और जयकुमार नरवाल को पर्यवेक्षी चूक का दोषी ठहराते हुए एक-एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया और नोटिस के 30 दिनों के भीतर राज्य के खजाने में जमा करवाने का भी निर्देश दिया। जिन मामलों में डी.एफ.ओ. के अलावा अन्य अधिकारियों की ओर से देरी की पहचान की गई थी, आयोग अब उन्हें नोटिस जारी करेगा और उनका पक्ष सुनने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। हरियाणा  सेवा का अधिकार आयोग के मुख्य आयुक्त टी.सी. गुप्ता ने कहा कि आमजन को अधिसूचित सेवाओं के वितरण में किसी तरह की चूक या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि आयोग लाभार्थियों को समयबद्ध तरीके से सार्वजनिक सेवाओं के वितरण के माध्यम से सुशासन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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