Edited By Priyanka rana,Updated: 26 May, 2019 10:40 AM
बच्चों के उज्जवल भविष्य का दावा करने वाले शहर के नामचीन और बड़े प्राइवेट इंस्टीच्यूट्स मोटी रकम वसूल रहे है।
चंडीगढ़(वैभव) : बच्चों के उज्जवल भविष्य का दावा करने वाले शहर के नामचीन और बड़े प्राइवेट इंस्टीच्यूट्स मोटी रकम वसूल रहे है। एक ज्वाइंट एंट्रैंस टैस्ट की तैयारी करवाने के लिए एक बच्चे से लाखों रुपए फीस ली जा रही है। लेकिन यहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं। फायर एग्जिट और फायर सेफ्टी के नाम पर कुछ नहीं है।
शुक्रवार को गुजरात के सूरत में चल रहे एक प्राइवेट इंस्टीच्यूट में हुए दर्दनाक हादसे में कई बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। चंडीगढ़ में भी अगर ऐसी ही घटना घटित हो जाए तो जान की भारी क्षति उठानी पड़ सकती है।
पार्किंग में नहीं है एमरजैंसी वाहन खड़ा होने की जगह :
इंस्टीच्यूट्स की पार्किंग में भी एमरजैंसी वाहन पार्क करने की जगह नहीं है। इसके अलावा सैक्टर-34 की पार्किंग के कारिंदों को तो यह तक नहीं पता कि एमरजेंसी वाहन के लिए लॉग बुकरखना जरूरी है।
पार्किंग में इस कदर वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है कि एमरजैंसी में न तो एंबुलैंस आ सकती है और न ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी।
सैक्टर, कैटेगरी वाइज शैड्यूल बनाया : यादव
नगर निगम कमिश्नर के.के. यादव ने बताया किहम सभी इमारतों का फायर ऑडिट करवाने की तैयारी में है। इसके लिए हमने हर सैक्टर और कैटेगरी वाइज अपना शैड्यूल भी बना लिया है। हमने अभी इस बात को अप्रूव करवाया है कि जिन बिल्डिंग्स को नैशनल कोर्स या फिर कमर्शियल तौर पर प्रयोग किया जा रहा है, उनके लिए फायर सेफ्टी सर्टीफिकेट लेना अनिवार्य है। इसके आधार पर ही शैड्यूल बना हुआ है।
शत-प्रतिशत फायर सेफ्टी एक्ट लागू करेंगे :
30 सितम्बर तक हम जितनी भी इंडस्ट्री, इंस्टीच्यूट्स, कमॢशयल बिल्डिंग्स और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स को इसके दायरे में ले आएंगे। चंडीगढ़ देश का पहला ऐसा शहर होगा, जहां शत-प्रतिशत फायर सेफ्टी एक्ट लागू होगा। अगर कोई फायर सर्टीफिकेट नहीं लेगा, तो उसे सील कर दिया जाएगा।
सैक्टर-34 में सबसे ज्यादा इंस्टीच्यूट्स :
सबसे ज्यादा प्राइवेट इंस्टीच्यूट्स की भरमार सैक्टर-34 में है। इनमें से कई तो ऐसे हैं जिनके परिसर में अग्निशमन यंत्र तक नहीं हैं। रास्ता इतना संकरा की एक साथ दो लोग भी नहीं निकल सकते।
एंट्री और एग्जिट के लिए है एक ही रास्ता :
ज्यादातर इंस्टीच्यूट फर्स्ट, सैकेंड, थर्ड और फोर्थ फ्लोर पर बने हुए हैं। कुछेक इंस्टीच्यूट ही ऐसे हैं, जो ग्राऊंड फ्लोर पर है। इन सभी इंस्टीच्यूट के लिए एंट्री और एग्जिट एक ही है। अंदर बने कैबिन भी लकड़ी के हैं, जो जल्दी आग पकड़ सकते हैं।
शहर के सैक्टर-38, 40, 46, 15, 17 और 32 आदि के शोरूमों में बने इंस्टीच्यूट में आग से बचने के लिए केवल अग्निशमन यंत्र का ही सहारा है। इन शोरूम में ना तो फायर होज पाइप है और न ही अंदर स्प्रिंकलर लगे हैं।