कोचिंग सैंटरों में भी नहीं फायर सेफ्टी उपकरण

Edited By Priyanka rana,Updated: 23 Feb, 2020 11:51 AM

fire safety equipment is not available even in coaching centers

चंडीगढ़ में अवैध रूप से चलाए जा रहे पी.जी. ही नहीं बल्कि बिना फायर सेफ्टी के नियमों का अनुसरण किए सैंकड़ों कोचिंग सैंटर भी चल रहे हैं, जो स्टूडैंट्स की जान से खेल रहे हैं।

चंडीगढ़(राय) : चंडीगढ़ में अवैध रूप से चलाए जा रहे पी.जी. ही नहीं बल्कि बिना फायर सेफ्टी के नियमों का अनुसरण किए सैंकड़ों कोचिंग सैंटर भी चल रहे हैं, जो स्टूडैंट्स की जान से खेल रहे हैं। वर्ष 2019 में गुजरात में एक कोचिंग सैंटर में लगी भीषण आग में अनेक बच्चों की मौत होने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन व निगम जागा तो जरूर था पर केवल नोटिस देने के बाद खामोश हो गया। 

उस समय नगर निगम के फायर एवं एमरजैंसी विभाग ने जो जांच की थी उसमें सामने आया था कि चंडीगढ़ के सैक्टर-8, 15, 17, 20, 24, 32, 34, 36, 38, 40 और 46 में चल रहे करीब 400 कोचिंग इंस्टीच्यूट में से फायर फाइटिंग उपकरण का इंतजाम नहीं है। फायर विभाग ने 34 कोचिंग इंस्टीच्यूट को ही वॉयलेशन के नोटिस दिए थे। यह नोटिस गत वर्ष मार्च में दिए थे। 

नोटिस पर इन इंस्टीच्यूट्स के मालिकों ने क्या किया, इसकी जांच एक वर्ष बाद भी नहीं की गई। शनिवार को भी जिस पी.जी. में आग लगी, वहां एक-एक कमरे में पार्टिशन डाल कर लड़कियों को कबूतरखाने जैसे कमरे दे रखे थे। यहां तक कि हवा के लिए बनी खिड़कियां भी कुछ कमरों में सील थी। आग लगने के बाद लड़कियों को वहां से निकलने का रास्ता ही नहीं मिला। 

वर्ष 2016 में सैक्टर-34 के एक कोचिंग सैंटर में भीषण आग लगने से वहां पढ़ रहे सैंकड़ों बच्चे बाल-बाल बचे थे। कुछ ऐसी ही हालत शहर में अवैध रूप से शहर में बिना परमिशन चल रहे पेइंग गैस्ट (पी.जी.) की भी है। गत दिसम्बर में एस्टेट ऑफिस ने इन पर शिकंजा कसने के लिए योजना तो बनाई थी लेकिन फिर कुछ हलचल के बाद वह भी ठंडे बस्ते में चली गई।

नियम ताक पर, जेबें भर रहे पी.जी. मालिक :
पेइंग गैस्ट के तय नियम व कानून के अनुसार पी.जी. चलाने के लिए कम से कम 10 मरला का घर होना चाहिए, जिस घर में पी.जी. चल रहा हो, उस घर के मालिक का रहता हो, पी.जी. में अलग से किचन नहीं होगी, हर गैस्ट के लिए अलग से बाथरूम व टायलेट हो, पेइंग गैस्ट को 50 स्क्वेयर फीट का एरिया दिया हो, गैस्ट की रखवाली करने वाले कर्मचारियों का पुलिस वैरीफिकेशन, पी.जी. भवन में किसी प्रकार का ऑफिस न हो, कानून का उल्लंघन करने पर पी.जी. बंद करने का अधिकारी प्रशासन को, गैस्ट का रिकार्ड रखना अनिवार्य है, ताकि एस्टेट ऑफिस कभी भी उसकी जांच कर सके।

सदन में उठाएंगे अवैध पी.जी. का मुद्दा : ढिल्लों   
सैक्टर-32 के एरिया पार्षद गुरप्रीत सिंह ढिल्लों निगम की फायर एंड एमरजैंसी कमेटी के चेयरमैन भी हैं। उन्होंने कहा कि वह यह मामला सदन में उठाएंगे व मांग करेंगे कि शहर में जितने भी वैध, अवैध पी.जी. व कोचिंग सैंटर चल रहे हैं, उनकी जांच की जाए व अगर फायर सेफ्टी नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो सख्त कार्रवाई की जाए। प्रशासन के तय नियमों के अनुसार सम्पदा विभाग के पास संचालक और मालिक का नाम, पी.जी. का एरिया, कितने लोग रह रहे हैं, सम्पदा विभाग द्वारा जारी आक्यूपैंसी सर्टिफिकेट की जानकारी पी.जी. के मालिक को विभाग को देनी होती है। 

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