रेलवे स्टेशन पर फ्यूल टैंक तैयार

Edited By ashwani,Updated: 29 Oct, 2020 09:52 PM

fuel tank

ट्रेनों के संचालन के बाद शुरू होगा इसका प्रयोग

चंडीगढ़, (लल्लन यादव): चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन को जहां वल्र्ड क्लास बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। वहीं यहां की ट्रेनों को अब फ्यूल के लिए दूसरे स्टेशनों पर निर्भर रहने की अवश्यकता नहीं होगी। डी.आर.एम. गुङ्क्षरद्र मोहन ङ्क्षसह ने बताया कि रेलवे स्टेशन के यार्ड में फ्यूल टैंक तैयार हो चुका है, लेकिन पहले कोविड-19 व अब किसान आंदोलन के कारण अभी इसका प्रयोग नहीं किया गया है। जैसे ही ट्रेनों का संचालन शुरू होगा, वैसे ही फ्यूल टैंक की सुविधा शुरू हो जाएगी। इससे चंडीगढ़ व कालका से चलने वाली ट्रेनों को काफी फायदा होगा। इसके साथ ही पैसेंजर का समय बचेगा, क्योंकि अंबाला में फ्यूल टैंक होने के कारण वहां ट्रेनें जमा हो जाती थी और समय की बर्बादी होती थी।

 


एल.एच.बी. सुपर लग्जरी कोच का होगा फायदा
फ्यूल टैंक बनने से चंडीगढ़ से चलने वाली कुछ ट्रेनों के कोचों में  भी परिवर्तन किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार फ्यूल टैंक तैयार होने के बाद चंडीगढ़ से चलने वाली सद्भावना सुपरफास्ट 12232 में अभी पुराने कोच लगाए जा रहे हैं, लेकिन जब फ्यूल टैंक तैयार हो जाएगा तो यहां से चलने वाली ट्रेनों में एल.एच.बी. सुपर लक्जरी कोच लगा दिए जाएंगे। अधिकारियों का कहना हंैं कि अभी कुछ ट्रेनों में पुराने कोच चल रहे हैं, लेकिन फ्यूल टैंक लगने के बाद अब सभी कोचों को बदला जाएगा।

जैनरेटर कार के लिए फ्यूल टैंक की जरूरत
चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से 14 ट्रेनें व दो कालका-दिल्ली शताब्दी ट्रेनें चलती हैं, जिसमें जैनरेटर कार लगी हुई हैं। इसको चलाने के लिए फ्यूल की आवश्यकता है। सूत्रों के अनुसार इन ट्रेनों में फ्यूल अंबाला रेलवे स्टेशन पर भरा जाता है, जिससे यह जैनरेटर कार चलती है। इसका प्रयोग ट्रेनों में लाइट व अन्य सुविधाओं के लिए किया जाता हैं। जानकारी के अनुसार एक जैनरेटर कार को चलाने के लिए तकरीबन 3000 लीटर फ्यूल की आवश्यकता होती है।

हर ट्रेन में हैड ऑन जैनरेशन कोच लगाया जाएगा
मौजूदा वक्त में डीजल से चलने वाले जैनरेटर से ट्रेन में लाइट, पंखा और एयर कंडिश्नर के लिए बिजली की व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस नए तरह के कोच से अब ग्रिड और ओवर हैड वायर के जरिए ट्रेन में बिजली की सप्लाई की जाएगी। रेलवे की योजना के मुताबिक सभी एल.एच.बी. कोच वाली करीब 500 ट्रेनों से पावर कार हटाकर इस तरह का हैड ऑन जेनरेशन कोच लगाया जाएगा। इससे एक अनुमान के मुताबिक करीब 20 हजार अतिरिक्त सीटों की व्यवस्था की जा सकेगी।
रेलवे को होगी इतनी बचत....
जैनरेटर कार की जगह हैड ऑन जैनरेशन कोच लगने से कार्बन डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन डाईऑक्साइड जैसी गैस भी पैदा नहीं होंगी। वहीं रेलवे को ट्रेन में बिजली सप्लाई के खर्च में भी सालाना बचत होगी।
समय की होगी बचत
चंडीगढ़ में फ्यूल टैंक होने से ट्रेनों का समय बचेगा। इसके साथ ही ट्रैफिक पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस संबंध में अधिकारियों का कहना हैं कि फ्यूल टैंक को बनाने का काम  2019 में शुरू किया गया था। फ्यूल टैंक बनाने के लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के साथ एम.ओ.यू. साइन हुआ था।

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