जिस गौशाला पर खर्चे जा रहे अढ़ाई करोड़, वहां पशु बेहाल

Edited By Priyanka rana,Updated: 10 Sep, 2018 09:30 AM

gaushala condition

इंडस्ट्रीयल एरिया फेज एक में चंडीगढ़ नगर निगम की देखरेख में चल रही गौशाला में बरसाती पानी की सही निकासी और प्रबंधन न होने के चलते वहां रखे गए 1000 पशुओं का हाल बेहाल है

चंडीगढ़(रमेश) : इंडस्ट्रीयल एरिया फेज एक में चंडीगढ़ नगर निगम की देखरेख में चल रही गौशाला में बरसाती पानी की सही निकासी और प्रबंधन न होने के चलते वहां रखे गए 1000 पशुओं का हाल बेहाल है, जिन्हें कभी भी बीमारियां घेर सकती हैं। हालात ऐसे बने हुए हैं कि गौशाला में काम करने वाले कर्मी भी यहां काम करने से कतराने लगे हैं। सारा दिन कीचड़ और पानी के बीच काम करते हुए कइयों के पांव गलने लगे हैं और इंफेक्शन हो गया है। 

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2,51,29,000 रुपए होते हैं खर्च :
इंडस्ट्रीयल एरिया की गौशाला में 928 के संचालन के लिए नगर निगम हर वर्ष 2 करोड़ 51 लाख 29 हज़ार रुपए खर्च करता है, जोकि हर वर्ष लगातार बढ़ रहा है। आर.टी.आई. की मार्फत मिली जानकारी के अनुसार यहां हर रोज पशुओं के लिए 50 क्विंटल चारा और 28 क्विंटल तूड़ी की खपत होती है और 42 कर्मी गौशाला में कार्यरत हैं। 

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अगर प्रति पशु खर्च निकाला जाए तो प्रतिदिन एक पशु की खुराक व देखभाल पर 76 रुपए खर्च आता है। इतना खर्च करने के बावजूद यहां बाड़े की हालत खस्ता बनी हुई है जिसके चलते बीमारियों का माहौल बना हुआ है और अगर आने वाले एक सप्ताह ऐसा ही रहा तो हालत गंभीर हो सकते हैं।

न दूध का हिसाब, न दानियों का ब्यौरा :
जिन पशुओं को गौशाला में रखा जाता है, उनमें कई दुधारू पशु भी होते हैं और कई ऐसे होते हैं जो बीमार हैं, लेकिन इलाज के बाद वह भी दुधारू बन जाते हैं लेकिन सरकारी गौशाला में पशुओं के दूध का कोई हिसाब किताब नहीं है दूध कहा जा रहा कोई बताने को तैयार नहीं। 

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अधिकारियों का कहना है कि अधिकांश बीमार व दूध न देने वाले पशु ही गौशाला में है इसलिए वह दूध निकालते ही नहीं जबकि दूध नहीं निकालने पर गाय मर भी सकती हैं। गौशाला में लोग गौ पूजन व ख़ास दिनों में गौ सेवा के लिए जाते हैं जोकि चारा व नकदी दान के रूप में देते हैं, जिसका कोई हिसाब नहीं रखा जाता। कई दानी गौशाला में खास दिनों में राशन, फल व अन्य सामान भी चढ़ाते हैं, यहां उसका भी कोई हिसाब नहीं है। 

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और जहां दान से ही चल रहा है काम, वहां सब कुछ ठीक-ठाक :
सैक्टर 45 की गौशाला में जहां बरसात के बावजूद बाड़े सूखे हैं और पशु व कर्मी खुशहाल। लोगों की भीड़ रहती है और दानियों में दान की होड़ लगी रहती है। यहां इंडस्ट्रीयल एरिया के मुकाबले 100 पशु कम हैं और जगह आधी है। 

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इस गौशाला में हर रोज करीब दो क्विंटल दूध निकलता है जो जरुरत के अनुसार बेचा भी जाता है और फ्री भी दिया जाता है। यह गौशाला भी नगर निगम की है लेकिन इसका संचालन गौरी शंकर सेवा दल कर रहा है, जिन्हें नगर निगम से कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती सिर्फ बिजली वा पानी का बिल ही निगम दे रहा है। 45 कर्मी 24 घंटे यहाँ तैनात है जिनका वेतन भी दान राशि से ही दिया जा रहा है। 

जमीन से ऊंचे पक्के बाड़े :
दौरा कर पाया कि यहां बाड़े जमीन से ऊंचाई पर है जहां ईंटें बिछाई गई हैं और पानी की निकासी का उचित प्रबंध किया गया है। मक्खियां न हो इसके लिए फोगिंग की जाती है, वेटरनरी डाक्टर हर रोज यहां पशुओं की जांच करता है। रौशनी का उचित प्रबंध देखने को मिला और बाड़े की खुरलियों में चारा भरा पड़ा था। 

हर रोज जाता है अस्पताल में लंगर :
सैक्टर-45 की गौशाला से हर रोज सैक्टर-32 के अस्पताल में और पी.जी.आई. में 300 लोगो के लिए लंगर बन कर जाता है। गौशाला में भी 50 से अधिक गरीब लंगर खाते हैं। एंबुलैैंस सेवा, आयुर्वेदिक डिस्पैंसरी, मंदिर भी गौशाला में चल रहे हैं। गौ-मूत्र का अर्क भी निकाला जा रहा है जोकि निशुल्क दिया जाता है। उक्त सारे काम दानी लोगों की मदद से हो रहे हैं। 
 

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