ट्यूबलैस की जगह दे दिया ट्यूब टायर, फोरम ने ठोका 7 हजार हर्जाना

Edited By bhavita joshi,Updated: 13 Jan, 2019 11:23 AM

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शिकायतकर्त्ता ने अपनी गाड़ी के लिए ट्यूबलैस टायर खरीदा था लेकिन उसकी जगह मालवा टायर्स द्वारा ट्यूब टायर दे दिया गया है।

चंडीगढ़(राजिंद्र) : शिकायतकर्त्ता ने अपनी गाड़ी के लिए ट्यूबलैस टायर खरीदा था लेकिन उसकी जगह मालवा टायर्स द्वारा ट्यूब टायर दे दिया गया है। गाड़ी पंक्चर हाने पर इसका खुलासा हुआ। फोरम ने ऑपोजिट पार्टी को सेवा में कोताही का दोषी करार देते हुए एक टायर की कीमत 3550 रुपए लौटाने के निर्देश दिए। 

साथ ही मानसिक पीड़ा और उत्पीडऩ के लिए शिकायतकर्त्ता को 7 हजार मुआवजा भी देने के निर्देश दिए गए। आदेश की प्रति मिलने पर आदेशों की पालना 30 दिनों के अंदर करनी होगी, नहीं तो ऑपोजिट पार्टी को 10 हजार रुपए अतिरिक्त मुआवजा भी देना होगा। यह आदेश जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम-2 ने सुनवाई के दौरान जारी किए। 

यह है मामला:
खुड्डा लाहौरा निवासी धर्म सिंह डोगरा ने फोरम में मै. मालवा टायर्स, सैक्टर-22-डी चंडीगढ़ के खिलाफ शिकायत दी थी। उसने 11 मार्च 2018 को उक्त शॉप से ब्रिजस्टोन कंपनी के दो ट्यूबलैस टायर्स अपनी आल्टो कार के लिए खरीदे और इसके लिए 7100 रुपए राशि का भुगतान किया। ऑपोजिट पार्टी की तरफ से दोनों टायर्स उसकी कार में फिक्स कर दिए गए। उन्होंने कहा कि 19 अप्रैल, 2018 को वह अपने परिवार के साथ कार में कहीं जा रहे थे और उनकी कार पंक्चर हो गई और हादसा होने से बाल-बाल बच गया। इसके बाद 20 अप्रैल 2018 को वह उक्त शॉप पर गए और उन्हें पूरे मामले से अवगत करवाया। इस दौरान उनसे टायर बदलने की मांग की गई लेकिन इससे इंकार कर दिया गया। इस मामले को ब्रिजस्टोन टायर कंपनी से अवगत करवाया गया और उन्होंने शिकायतकर्त्ता से बिल मांगा लेकिन ऑपोजिट पार्टी की तरफ से डेबिट कार्ड से पेमैंट करने के बावजूद शिकायतकर्त्ता को बिल नहीं दिया गया था, इसके चलते वह बिल प्रदान नहीं कर पाए। ब्रिजस्टोन टायर कंपनी ने टायर्स को जांच के लिए रख लिया और जांच के बाद अपनी रिपोर्ट दी। 

कार का टायर बदलने से किया इन्कार
रिपोर्ट में सामने आया कि ऑपोजिट पार्टी ने सिर्फ एक ही ट्यूबलैस टायर फिक्स किया, जबकि ड्राइवर साइड का दूसरा पिछला ट्यूब टायर था, जिसके चलते ही वह टायर पंक्चर हो गया। शिकायतकर्त्ता द्वारा टायर बदलने के लिए ऑपोजिट पार्टी को रजिस्टर्ड लैटर भेजा गया लेकिन उससे इंकार कर दिया गया। इसके बाद फोरम में शिकायत दी। ऑपोजिट पार्टी ने नोटिस के बावजूद अपना पक्ष नहीं रखा, जिसके चलते उसे 14 नवम्बर 2018 एक्सपार्टी (एकतरफा) करार दिया गया।

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