निगम अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से सरकार को लगा 1.25 करोड़ का चूना

Edited By bhavita joshi,Updated: 15 Jan, 2019 02:04 PM

government has got a loan of 1 25 crore from the collusion

नगर निगम ने शहर के आठ चौराहों की ब्यूटीफिकेशन का टैंडर जो शकुंबरी इंजीनियरिंग वर्कर्स को दिया था, उसमें हुए कथित घोटाले के संबंध में अर्बन लोकल बाडीज विभाग की मंत्री कविता जैन ने टैक्नीकल एडवाइजर को 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए थे।

पंचकूला(मुकेश): नगर निगम ने शहर के आठ चौराहों की ब्यूटीफिकेशन का टैंडर जो शकुंबरी इंजीनियरिंग वर्कर्स को दिया था, उसमें हुए कथित घोटाले के संबंध में अर्बन लोकल बाडीज विभाग की मंत्री कविता जैन ने टैक्नीकल एडवाइजर को 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए थे। टैक्नीकल एडवाइजर विशाल सेठ ने सात दिनों के भीतर ही रिपोर्ट तैयार कर ली है। रिपोर्ट में चौकाने वाली बात यह सामने आई है कि हरियाणा शैड्यूल्ड आइटम्स (एच.एस.आर.) को नॉन शैड्यूल्ड आइट्मस में तबदील करके सरकार को 1.25 करोड़ रुपए से 1.50 करोड़ रुपए का चूना लगा है।

सबसे ज्यादा हॉर्टीकल्चरल और इलैक्ट्रिकल वक्र्स में कीमत से कई गुना ज्यादा रेट्स लगाए हैं। किसी भी समय रिपोर्ट मंत्री कविता को सौंपी जा सकती है। रिपोर्ट में स्पष्ट शब्दों में टैक्नीकल एडवाइजर ने लिखा है कि सरकार के नियमों की पालना नहीं की गई है। रिपोर्ट के बाद देखना यह होगा कि मंत्री नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है? पंजाब केसरी ने प्रमुखता के साथ शहर के चौराहों की ब्यूटीफिकेशन की आढ़ में घोटाले का मुद्दा उठाया। इसके बाद मंत्री कविता जैन ने इन्क्वायरी के आदेश दिए थे। 

एक पेड़ 25000 और बिजली का प्वाइंट 11000 रुपए 
टैक्नीकल एडवाइजर की रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि चौराहों पर लगे एक छोटे पेड़ की पौध की कीमत 25000 रुपए तक दी गई और यही नहीं चौराहों पर हुए इलैक्ट्रिकल वक्र्स के तहत लगाए गए एक प्वाइंट की कीमत 11000 रुपए तक दी गई। चौंकाने वाली बात यह है कि नगर निगम ने अधिकारियों ने इन सब चीजों को दरकिनार करते हुए शकुंबरी इंजीनियरिंग वक्र्स को करीब तीन करोड़ रुपए में से एक करोड़ 93 लाख रुपए की पेमैंट भी रिलीज कर दी। 

लगाना था ग्रेनाइट सुपर ब्लैक, लगा दिया राजस्थानी ब्लैक
नगर निगम ने जो शहर चौकों को लेकर जो डी.एन.आई.टी. तैयार की थी। इसमें चौराहों पर सुपर ब्लैक ग्रेनाइट लगाना तय हुआ था और नगर निगम ने पेमैंट भी उसी ऊंची कीमत वाले सुपर ब्लैक ग्रेनाइट की कर भी दी, रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि शकुंबरी इंजीनिरिंग वक्र्स ने सुपर ब्लैक ग्रेनाइट न लगाकर खराब क्वालिटी वाले राजस्थानी ब्लैक ग्रेनाइट का इस्तेमाल चौराहों पर किया। इसकी कीमत सुपर ब्लैक ग्रेनाइट से काफी कम है। 

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