EWS मकानों की आरक्षित साइट्स ग्माडा के नाम होंगी ट्रांसफर

Edited By Priyanka rana,Updated: 16 Sep, 2019 11:42 AM

greater area mohali development authority

ग्रेटर एरिया मोहाली डिवैल्पमैंट अथॉरिटी ने उन प्राइवेट रिहायशी कालोनियों पर शिकंजा कस दिया है जिन कालोनियों के मालिकों ने अभी तक ई.डब्ल्यू.एस. स्कीम वाले मकानों के लिए आरक्षित जमीन ग्माडा के नाम ट्रांसफर नहीं करवाई है।

मोहाली(कुलदीप) : ग्रेटर एरिया मोहाली डिवैल्पमैंट अथॉरिटी ने उन प्राइवेट रिहायशी कालोनियों पर शिकंजा कस दिया है जिन कालोनियों के मालिकों ने अभी तक ई.डब्ल्यू.एस. स्कीम वाले मकानों के लिए आरक्षित जमीन ग्माडा के नाम ट्रांसफर नहीं करवाई है। इसी संबंध में ग्माडा के ई.ओ. हाऊसिंग द्वारा अब तक 9 प्राइवेट रिहायशी कालोनियों के मालिकों को लिखित में पत्र भेजे जा चुके हैं।

जमीन ट्रांसफर नहीं हुई तो लाइसैंस होगा कैंसल :
पापरा 1995 अधीन अप्रूव्ड कालोनियों तथा मैगा प्रोजैक्टों के मालिकों को भेजे गए पत्रों में यह भी कहा गया है कि अगर यह उक्त स्कीम के कोटे के तहत जमीन सरकार के नाम पर ट्रांसफर नहीं की जाती तो उनका लाइसैंस भी कैंसल करने के लिए उच्च अधिकारियों को भेज दिया जाएगा।

पहले भी कालोनाइजरों को लिखे थे पत्र :
ग्माडा ऑफिस से मिली जानकारी मुताबिक ग्माडा क्षेत्र में पापरा-1995 अधीन अप्रूव्ड कालोनियों तथा मैगा प्रोजैक्टों में ई.डब्ल्यू.एस. मकानों के लिए आरक्षित जमीनों को ग्माडा के नाम पर ट्रांसफर किया जाना है। 

मुख्यमंत्री पंजाब द्वारा 19 जून 2019 को हुई मीटिंग में ये निर्देश दिए थे कि डिवैल्पर्स द्वारा ई.डब्ल्यू.एस. आरक्षित जमीनों का जल्द से जल्द कब्जा लिया जाए। पंजाब सरकार द्वारा लिए फैसले मुताबिक उक्त स्कीम के कोटे के तहत बनती जमीन तुरंत सरकार के नाम ट्रांसफर की जाए। पत्र में यह भी कहा गया है कि ग्माडा ने इस संबंध में पहले भी कई बार कालोनाइजरों को लिखा था लेकिन अभी तक यह जमीन सरकार के नाम पर ट्रांसफर नहीं की गई है।

हाईकोर्ट के डर से शुरू हुई कारवाई :
ई.डब्ल्यू.एस. मकानों संबंधी केस की हाईकोर्ट में पैरवाई करने वाले पंजाब अगेंस्ट क्रप्शन संस्था के सतनाम सिंह दाऊं ने कहा कि यह ई.डब्ल्यू.एस. मकानों संबंधी केस पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पैंडिंग हैं। उस केस में सुनवाई के लिए अगली तारीख 21 अक्तूबर निश्चित की है।

पंजाब सरकार काफी समय इस मामले में जवाब देने से भागती आ रही है। लेकिन अब हाईकोर्ट की सख्त हिदायतों के चलते सरकार को इस मामले में जवाब देना पड़ रहा है। ग्माडा द्वारा कालोनाइजरों पर जमीन ट्रांसफर करवाने संबंधी की गई सख्ती उसी जवाबदेही का हिस्सा मानी जा रही है। दाऊं ने बताया कि पिछली अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल दौरान वर्ष 2016 में यह ई.डब्ल्यू.एस. मकानों संबंधी स्कीम के तहत गरीब लोगों को कम दाम में मकान बना कर देने संबंधी ड्रा निकाल थे।

लेकिन ड्रा के समय हुई घपलेबाजी से सतनाम दाऊं तथा उस समय के विधायक बलबीर सिंह सिद्धू ने बाकायदा अकाली सरकार के खिलाफ धरना भी दिया गया। फिर सरकार ने बड़ी चालाकी से पॉलिसी ही बदल डाली तथा यह कोटे वाली जमीन बिल्डरों को बेचने की स्कीम बना ली थी जिसे दाऊं ने हाईकोर्ट में चैलिंज किया हुआ है।वह केस पैंडिंग है तथा सरकार ने अभी उसमें जवाब दायर करना है।

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