कोर्ट और मंदिर बचे हैं, वे भी खोल दो : चीफ जस्टिस

Edited By Priyanka rana,Updated: 16 May, 2020 09:44 AM

high court

चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइडलाइन की अनदेखी कर चंडीगढ़ में कर्फ्यू में ढील देने, लेक और रोजगार्डन में सैर की अनुमति देने, इंटरनल खोलने, ट्राईसिटी के वाहनों को सुबह 7 से शाम 7 बजे तक बिना किसी पास के आने-जाने की छूट देने और...

चंडीगढ(रमेश) : चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइडलाइन की अनदेखी कर चंडीगढ़ में कर्फ्यू में ढील देने, लेक और रोजगार्डन में सैर की अनुमति देने, इंटरनल खोलने, ट्राईसिटी के वाहनों को सुबह 7 से शाम 7 बजे तक बिना किसी पास के आने-जाने की छूट देने और कंटेनमैंट जोन को सीमित करने के खिलाफ एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि शंकर झा ने प्रशासन की कोरोना पर दिखाई ढील पर कटाक्ष करते हुए कहा- सब कुछ तो खोल दिया गया है, कोर्ट और मंदिर बचे हैं, उन्हें भी खोल दो।

चीफ जस्टिस रवि शंकर झा व जस्टिस अरुण पल्लई पर आधारित बैंच ने चंडीगढ़ प्रसाशन को निर्देश दिए हैं कि जल्द से जल्द चंडीगढ़ प्रशासन केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ बैठ कर चर्चा करे और जो भी याचिककर्ता की कोरोना गाइडलाइन को लेकर आपत्तियां हैं, उनका शनिवार तक समाधान निकाला जाए।

डिजास्टर मैनेजमैंट कमेटी से विचार करने के बाद दी ढील :
एडवोकेट पंकज चांदगोठिया की ओर से दाखिल हुई जनहित याचिका पर प्रशासन को हाईकोर्ट ने 24 घंटे के भीतर पक्ष रखने को कहा था, जिसके बाद शुक्रवार को पुन: मामले की सुनवाई हुई। यू.टी. के सीनियर स्टैंडिंग कौंसिल पंकज जैन ने कोर्ट को बताया कि प्रशासन ने जो भी ढील लॉक डाऊन दौरान दी हैं, वे डिजास्टर मैनेजमैंट कमेटी से विचार-विमर्श करने के बाद दी हैं और ढील के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की पालना भी हो रही है। 

उन्होंने बताया कि सुखना पर और रोज गार्डन में सिर्फ सैर की अनुमति दी गई है, वह भी सोशल डिस्टैंस और अन्य औपचारिकताएं पूरी करने पर। लेक पर बोटिंग, रैस्टोरैंट्स व अन्य मनोरंजन की अनुमति नहीं है। जो इंटरनल मार्कीट्स खोली गई है, वे ऑड-ईवन आधार पर खोली गई हैं जोकि रैजीडैंशियल एरिया के निकट हैं ताकि लोगों की आम जरूरतों को पूरा किया जा सके।

जनहित को देखते हुए दी गई छूट :
केंद्र सरकार के एडीशनल सोलिस्टर जनरल ने कोर्ट को बताया कि कोरोना के इस दौर में केंद्र, राज्य सरकारों व यू.टी. प्रशासन का मकसद एक ही है-कोरोना से जंग। इस जंग में यू.टी. प्रशासन ने जो भी ढील लॉकडाऊन के दौरान दी हैं, वे जनहित को देखते हुए दी गई हैं। इसके पीछे उनकी मंशा सकारात्मक थी और कोविड-19 के तहत जारी दिशा-निर्देशों को भी ध्यान में रखा गया है। 

यू.टी. के अधिवक्ता ने बताया कि जो ढील दी गई हैं, वे सिर्फ 17 मई तक के लिए हैं, जिसमे केंद्र के दिशा-निर्देशों को दरकिनार कर कोई दूसरे आदेश पारित नहीं किए गए हैं। उन्होंने कोर्ट को कहा कि भविष्य में जो भी छूट दी जानी है, उससे पहले मोहाली और पंचकूला प्रशासन से तालमेल बिठाया जाएगा और एम.एच.ए. की गाइडलाइंस का भी ध्यान रखा जाएगा।

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