फीस न देने पर कोई स्कूल छात्र को पढ़ने से वंचित नहीं कर सकता : हाईकोर्ट

Edited By Priyanka rana,Updated: 03 Jun, 2020 09:48 AM

high court

चंडीगढ़ प्रशासन के निजी स्कूल संचालकों को ट्यूशन फीस वसूलने के आदेशों के खिलाफ दाखिल हुई जनहित याचिका को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बैंच ने यह कहते हुए डिस्पोज ऑफ कर दिया कि कोई भी निजी स्कूल संचालक फीस न दे सकने की एवज में किसी भी स्टूडैंट को...

चंडीगढ़(रमेश) : चंडीगढ़ प्रशासन के निजी स्कूल संचालकों को ट्यूशन फीस वसूलने के आदेशों के खिलाफ दाखिल हुई जनहित याचिका को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बैंच ने यह कहते हुए डिस्पोज ऑफ कर दिया कि कोई भी निजी स्कूल संचालक फीस न दे सकने की एवज में किसी भी स्टूडैंट को पढ़ाई से वंचित नहीं कर सकता, न ही पैरेंट्स पर फीस भरने के लिए जोर जबरदस्ती की जाएगी।

कोर्ट ने 8 मई को सुनाए आदेशों के पैरा 4 का जिक्र करते हुए कहा कि आदेशों में स्पष्ट लिखा गया है कि फीस की वजह से किसी को भी पढ़ाई से वंचित नहीं किया जाएगा जो कि राइट टू एजुकेशन एक्ट का उल्लंघन है, इसलिए याचिका का मकसद ही नहीं रह जाता।

कोर्ट ने कहा कि मामला पैरेंट्स से जुड़ा है लेकिन जनहित याचिका में कोई पैरेंट्स याचिकाकर्ता नहीं है। याचिका में शिक्षा सचिव की ओर से जारी निर्देशों में दिए गए उन आदेशों पर भी आपत्ति जताई गई थी, जिसमें उन्होंने एक निर्धारित तिथि तक ट्यूशन फीस जमा करवाने को कहा था। 

कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी :
कोर्ट ने कहा कि उक्त मामला चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से गठित फीस रैगुलेटरी अथॉरिटी के समक्ष रखा जा सकता है, जिसकी अध्यक्षता शिक्षा सचिव ही कर रहे हैं। पैरेंट्स फीस संबंधी शिकायत अथॉरिटी को करें, जिसका समाधान 15 दिन में अथॉरिटी को निकालना अनिवार्य है। हरियाणा व पंजाब के निजी स्कूलों व पैरेंट्स के संगठनों की ओर से भी निजी स्कूलों की और से जबरन फीस वसूली के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं जिन पर 4 जून को सुनवाई होनी है।

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