दहेज हत्या में पति और सास को 7-7 साल कैद

Edited By Priyanka rana,Updated: 14 Mar, 2020 03:04 PM

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दहेज हत्या के केस में जिला अदालत ने दोषी सचिन और बबली को 7-7 साल की सजा सुनाई है, जबकि राजिंद्र पर केस साबित न होने के चलते उसे बरी किया गया है

चंडीगढ़(संदीप) : दहेज हत्या के केस में जिला अदालत ने दोषी सचिन और बबली को 7-7 साल की सजा सुनाई है, जबकि राजिंद्र पर केस साबित न होने के चलते उसे बरी किया गया है। राजिंद्र के वकील दीक्षित अरोड़ा ने बताया कि अभियोजन पक्ष राजिंद्र के खिलाफ केस को साबित नहीं कर पाया। 

उन्होंने दलील दी कि राजिंद्र और मृतका नैना का परिवार एक ही घर में नहीं रहता। दूसरा अभियोजन पक्ष कहीं भी यह साबित नहीं कर सका कि राजिंद्र ने कभी नैना को दहेज के लिए कहा हो। राजिंद्र की बहू ने अदालत में गवाही दी कि राजिंद्र ने कभी उनसे दहेज की मांग नहीं की तो नैना से कैसे दहेज के लिए कह सकते हैं।

शादी के बाद ही मांगे 50 हजार रुपए और कार :
थाना पुलिस द्वारा दर्ज किए गए केस के अनुसार नैना की मां ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उनकी बेटी की शादी सचिन से हुई थी। शादी के करीब एक साल बाद ही वह नैना से 50 हजार और कार की मांग करने लगे। उनकी बेटी ने कई बार उनको कॉल कर बताया भी था कि ये लोग दहेज के लिए उसे परेशान करते हैं और मारपीट करते है। 

इसके चलते परेशान होकर उनकी बेटी ने जीवन लीला खत्म कर ली। इसके बाद सैक्टर-36 थाना पुलिस ने नैना के पति सचिन व ससुराल पक्ष के अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था, लेकिन बाद में जांच कर जब चालान पेश किया तो उसमें सचिन, उसकी मां बबली और फूफा राजिंद्र के ही नाम रखे थे।

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