वर्षों पुराने पेड़ों को अब देखें म्यूजियम ऑफ  ट्रीज में

Edited By ashwani,Updated: 30 Nov, 2020 11:24 PM

inaugaration

प्रशासक बद्नौर ने किया उद्घाटन

चंडीगढ़, 30 नवम्बर(राजिंद्र शर्मा) : श्री गुरु नानक देव जी के 551वें प्रकाश पर्व के मौके पर पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर ने चंडीगढ़ में म्यूजियम ऑफ  ट्रीज-सिख धर्म से संबंधित पवित्र वृक्षों का संरक्षण करने वाले प्रोजैक्ट का उद्घाटन किया। इन पवित्र वृक्षों के नाम पर कई सिख गुरुद्वारों के नाम रखे गए हैं। कोविड-19 के मद्देनजर प्रोजैक्ट का उद्घाटन ऑनलाइन किया गया। इस ऑनलाइन उद्घाटन में पूर्व सांसद और अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन त्रिलोचन सिंह और पी.एच.डी.सी.सी.आई. के प्रधान करन गिलहोत्रा ने शिरकत की।

 


मौसम में तबदीली मानवता के लिए एक तत्काल संकट : बदनौर
राज्यपाल ने चेतावनी देते हुए कहा कि मौसम में तबदीली मानवता के लिए एक तत्काल संकट है और इस चुनौती से निपटने के लिए लोगों की राय जुटाने हेतु म्यूजियम ऑफ  ट्रीज जैसी पहल के साथ लोगों को आगे आना चाहिए। उन्होंने 12 पवित्र वृक्षों का क्लोन तैयार करने के लिए 10 साल से धैर्य के साथ काम करने के लिए डी.एस. जसपाल की सराहना की और आशा जताई कि बाकी वृक्षों का काम भी जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।
कुदरत प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र
डी.एस. जसपाल ने कहा कि यह म्यूजियम न सिर्फ सिखों के लिए बल्कि सभी कुदरत प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र साबित होगा। जसपाल ने बताया कि बहुत से पवित्र वृक्ष वनस्पती महत्व भी रखते हैं। उदाहरण के तौर पर सुल्तानपुर लोधी में गुरुद्वारा बेर साहिब में बेरी का वृक्ष है, क्योंकि इसके बहुत कम कांटे हैं। इसी तरह गुरुद्वारा पिपली साहिब में पीपल के पेड़ के पत्तों का एक अनोखा पीला रंग है। जसपाल ने यह भी बताया कि वृक्षों को लहसुन, मिर्चों और हींग को पानी में मिलाकर पूरी तरह घरेलू जैविक स्प्रे द्वारा बीमारियों से सुरक्षित रखा जाता है, इसी कारण वृक्ष सेहतमंद हैं और बढिय़ा फल देते हैं।

बेर का पेड़ सुल्तानपुर लोधी : सुल्तानपुर लोधी के गुरुद्वारा बेर साहिब से ये पेड़ लाया गया है।
बेरी पेड़ : लुधियाना के गुरुद्वारा में लगे पेड़ की रेप्लिका।
पाकिस्तान : गुरुद्वारा बाबा दी बेर साहिब सियालकोट पाकिस्तान की कटिंग लाकर क्लोनिंग के जरिए ये म्यूजियम ऑफ ट्री।
गुरुद्वारा दुख भंजनी बेर साहिब : गोल्डन टैंपल अमृतसर।
गुरुद्वारा गरना साहिब होशियारपुर : यहां से गरना पेड़ की कटिंग लाई।
गुरुद्वारा नीम साहिब पटियाला : यहां के पुराने नीम के पेड़ की कटिंग लेकर यहां म्यूजियम में पेड़ लगाया।
अमृतसर से पीपल का पेड़ : गुरुद्वारा पीपली साहिब अमृतसर से पीपल के पेड़ को यहां उगाया गया।
पहलाई पेड़ बठिंडा से : गुरुद्वारा पहलाई साहिब बठिंडा से पहलाई का पेड़ की रेप्लिका यहां उगाई गई।

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