Edited By pooja verma,Updated: 26 Feb, 2020 11:36 AM
चंडीगढ़ नगर निगम डड्डूमाजरा में जे.पी. एसोसिएट्स द्वारा चलाए जा रहे ग्रीनटैक सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लांट को अपने कब्जे में लेगा।
चंडीगढ़ (राय): चंडीगढ़ नगर निगम डड्डूमाजरा में जे.पी. एसोसिएट्स द्वारा चलाए जा रहे ग्रीनटैक सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लांट को अपने कब्जे में लेगा। इसके साथ ही सदन ने वर्ष 2005 में इस संबंध में जे.पी. एसोसिएट्स से हुए करार को भी रद्द कर दिया है। निगम सदन की मंगलवार को हुई बैठक में पार्षदों की सहमति के बाद यह निर्णय लिया गया। गत दिवस इस मामले की नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एन.जी.टी.) में हुई सुनवाई के दौरान फैसला निगम के हक में आया व शहर में कचरे का निष्तारण न होने की जेपी कंपनी की दलीलों को खारिज कर दिया गया।
पानी के रेट घटाए, संशोधन के साथ एजैंडा पारित
निगम सदन में दिसम्बर माह में पानी की दरें बढ़ाने के पारित एजंैडे में संशोधन कर दरें कम करने के लिए भाजपा द्वारा टेबल एजैंडा रखा गया। इस प्रस्ताव पर सदन की मर्यादा पानी-पानी हुई। कमिश्नर के.के. यादव और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और पार्षद अरूण सूद के बीच खासी तू-तू मैं-मैं हुई। -विस्तृत खबर पेज-3 पर
चंडीगढ़ नगर निगम डड्डूमाजरा में जे.पी. एसोसिएट्स द्वारा चलाए जा रहे ग्रीनटैक सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लांट को अपने कब्जे में लेगा। इसके साथ ही सदन ने वर्ष 2005 में इस संबंध में जे.पी. एसोसिएट्स से हुए करार को भी रद्द कर दिया है। निगम सदन की मंगलवार को हुई बैठक में पार्षदों की सहमति के बाद यह निर्णय लिया गया।
गत दिवस इस मामले की नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एन.जी.टी.) में हुई सुनवाई के दौरान फैसला निगम के हक में आया व शहर में कचरे का निष्तारण न होने की जेपी कंपनी की दलीलों को खारिज कर दिया गया। उसके बाद कंपनी के प्रबंधकों की मेयर राजबाला मलिक व निगम कमिश्नर के.के. यादव से हुई बैठकों में इस पर चर्चा भी हुई।
कंपनी को सामान हटाने के लिए एक माह का नोटिस दिया जाएगा
मंगलवार को सदन की सहमति से लिए गए निर्णय के अनुसार निगम प्लांट प्रबंधकों को वहां पड़ी मशीनरी व अन्य सामान को हटाने के लिए एक माह का नोटिस देगा। निगम प्लांट में हाल ही में स्थापित कम्पोस्ट प्लांट को अपने पास ही रखेगा व इसकी स्थापना पर आए खर्च का जायजा लगवाकर वह राशि कम्पनी को अदा करेगा। जबकि कचरे का निष्पादन करने वाली मशीन को कम्पनी को हटाने के लिए कहा जाएगा।
30 वर्ष की लीज पर दी थी जमीन
ज्ञात रहे कि वर्ष 2005 में निगम व जे.पी. एसोसिएटस के बीच हुए करारनामे के अनुसार निगम ने कम्पनी को 10 एकड़ भूमि प्लांट स्थापित करने व चलाने के लिए 30 वर्ष की लीज पर दी थी। गत दिवस एन.जी.टी. में हुई सुनवाई के बाद निगम को इस मामले को सुलझाने के लिए एक माह का समय दिया गया था व अगली सुनवाई अप्रैल माह में होगी।
पूर्व मेयरों ने पूछा, कैसे चलाएगा नगर निगम?
पूर्व मेयर देवेश मोदगिल और राजेश कालिया ने सदन में कहा कि अब इस बात पर चर्चा होनी चाहिए कि नगर निगम किस तरह प्लांट चलाएगा। इस पर निगम कमिश्नर का कहना था कि इसके लिए निगम नए सिरे से एक्सप्रैशन आफ इन्टरस्ट मांगेगा व तब तक डम्पिंग ग्राऊड का माइनिंग का काम भी चलता रहेगा।
बैठक के बाद ही ताला लगा दो : बबला
कांग्रेस पार्षद दल के नेता दविंदर सिंह बबला ने कहा कि सदन की बैठक के बाद ही जे.पी. प्लांट पर ताला लगा देना चाहिए। हालांकि यह भी देखना चाहिए कि नगर निगम प्लांट को चलाने के लिए कौन सा मॉडल अपनाएगा। उन्होंने कहा कि शुरू से ही जे.पी. कंपनी की नीयत प्लांट चलाने की नहीं थी। कंपनी नगर निगम से टिपिंग फीस लेकर करोड़ों रूपए कमाना चाहती थी।
हर माह 60 लाख खर्च आता है प्लांट चलाने में
निगम कमिश्नर ने कहा कि प्लांट में केवल 20 प्रतिशत कचरा संशोधित किया जा रहा है और अगर इसे निकट भविष्य में जारी रखा जाएगा तो निगम को अप्रैल से प्रति माह 10 लाख रुपए का जुर्माना देना होगा। उन्होंने बताया कि लगभग 500 टन कचरा दैनिक आधार पर डंपिंग ग्राउंड में फैंक दिया जाता है, लेकिन संयंत्र की प्रक्रिया केवल 20 प्रतिशत है। उनका कहना था कि अगर निगम इस प्लांट को स्वयं चलाना चाहे तो औसतन प्रतिमाह इस पर करीब 60 लाख रुपए का खर्च आता है।
15 लाख रुपए बिजली पर खर्च, 25 लाख रुपए श्रम पर और रखरखाव लागत अलग से है। कब्जे में लेने से पहले ही प्लांट में निगम ने तैनात कर दिया सिक्योरिटी गार्ड संयंत्र को कब्जे में लेने से पहले ही आज निगम ने प्लांट के बाहर अपने सुरक्षा गार्डों की तैनाती कर दी थी व सी.सी.टी.वी. कैमरे भी लगवा दिए थे, ताकि संयंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। निगम कमिश्नर का कहना था कि कुछ पार्षद ने स्वीकार किया कि संयंत्र चलाने वाली कंपनी मशीनों को नुकसान पहुंचा सकती है।