जज नोट कांड : 4 की हुई गवाही, दो बयानों से मुकरे

Edited By Priyanka rana,Updated: 17 Nov, 2019 11:39 AM

judge note case

जज नोट कांड मामले मेें सी.बी.आई. की स्पेशल अदालत में चार गवाह ओ.पी. सिंह, लक्ष्मीकांत, कुलदीप सिंह और विमल भारद्वाज के बयान दर्ज हुए। इन गवाहों में से दो अपने बयानों से मुकर गए।

चंडीगढ़(सुशील) : जज नोट कांड मामले मेें सी.बी.आई. की स्पेशल अदालत में चार गवाह ओ.पी. सिंह, लक्ष्मीकांत, कुलदीप सिंह और विमल भारद्वाज के बयान दर्ज हुए। इन गवाहों में से दो अपने बयानों से मुकर गए। 

वहीं, अदालत ने रिटायर्ड जस्टिस निर्मल यादव की पासपोर्ट रिन्यू करवाने के लिए कोर्ट द्वारा पासपोर्ट अथॉरिटी को आदेश देने की याचिका को खत्म कर दिया है। सी.बी.आई. वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पासपोर्ट एक्ट-1967 के मुताबिक कोर्ट पासपोर्ट अथॉरिटी को इस संबंध में आदेश नहीं दे सकता। अब मामले की अगली सुनवाई 30 नवम्बर को होगी।

विमल और कुलदीप बयानों से पलटे :
देहरादून निवासी विमल भारद्वाज और हरियाणा के जिला अंबाला निवासी कुलदीप सिंह की गवाही हुई। दोनों को ही अदालत ने हॉस्टाइल करार दे दिया। विमल भारद्वाज ने सी.बी.आई. को पहले दिए अपने बयानों में बताया था कि आरोपी रविंद्र भसीन की कुछ नेताओं, ज्यूडिशियरी के लोगों से अच्छे संबंध हैं और उसके होटल में भी कुछ लाल बत्ती वाली गाडिय़ां खड़ी रहती थीं। 

अगस्त, 2008 के आखिरी हफ्ते में रविंद्र अपने परिवार के साथ उसके घर पर डिनर के लिए आया था। रविंद्र ने उसे कहा था कि उसने जस्टिस निर्मल यादव के साथ मिलकर हिमाचल प्रदेश में कुछ जगह खरीदी है। इसके लिए उसने अपने दोस्त संजीव बंसल के जरिए निर्मल यादव के घर पर 15 लाख रुपए भेजे थे लेकिन कुछ कम्युनिकेशन गेप होने की वजह से वह पैसे किसी और जज के यहां पर चले गए। इसकी वजह से वह समस्या में आ गया है। 

वहीं, अब अदालत में विमल ने कहा कि सी.बी.आई. ने इससे पहले उनके बयान लिए ही नहीं थे। वह रविंद्र के होटल में रुकता था लेकिन तब वह दिल्ली में अपने बिजनैस के सिलसिले से जाता था और तब रविंद्र के होटल में रुकता था। वह अपने काम में व्यस्त होता था उसे नहीं पता कि होटल में कोई वी.आई.पी. आता था या नहीं। 

वहीं, कुलदीप ने सी.बी.आई. को दिए अपने पहले बयानों में कहा था कि सितम्बर,2008 के दूसरे हफ्ते में रविंद्र परिवार के साथ उसके घर पर आया था और अपने केस के बारे में सब बताया था। वहीं अब अदालत में कुलदीप ने बयानों से पलटते हुए कहा कि न तो सी.बी.आई. ने उसके बयान लिए थे और उसे इस केस की जानकारी न्यूजपेपर से पढ़कर मिली थी। यह भी कहा कि वर्ष 2008 में रविंद्र से उसकी मुलाकात हुई ही नहीं थी।

यह था मामला :
13 अगस्त 2008 की रात हरियाणा के तत्कालीन एडीशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल ने अपने मुंशी को रिटायर्ड जस्टिस निर्मल यादव के घर 15 लाख रुपये देने के लिए भेजा था। लेकिन मुंशी ने गलती से यह राशि जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर पहुंचा दी। इस पर जस्टिस निर्मलजीत कौर के नौकर ने पुलिस में शिकायत कर दी थी। सीबीआई ने इस मामले में छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। 

जस्टिस निर्मल यादव के अलावा संजीव बंसल, प्रकाश राम, दिल्ली के होटेलियर रविंद्र सिंह और शहर के बिजनेसमैन राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह आरोपित हैं। संजीव बंसल की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। सीबीआई का आरोप है कि 15 लाख रुपये सोलन में लैंड डीड के लिए नहीं थे बल्कि यह वह बेनामी पैसा था जिसका इस्तेमाल 11 मार्च, 2008 को जस्टिस यादव के पंचकूला के सेक्टर-16 की एक प्रॉपर्टी के हक में फैसला देने के लिए हुआ था।  

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