मैट्रो प्रोजैक्ट फिजूलखर्ची : किरण

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Apr, 2018 08:37 AM

kirron kher

चंडीगढ़ में मेट्रो होनी चाहिए या नहीं? इस सवाल पर एक बार फिर कोई हल ढूंढने की बजाय राजनीतिक दल आमने-सामने आ गए।

चंडीगढ़(विजय) : चंडीगढ़ में मेट्रो होनी चाहिए या नहीं? इस सवाल पर एक बार फिर कोई हल ढूंढने की बजाय राजनीतिक दल आमने-सामने आ गए। बुधवार को होटल माऊंटव्यू में हुई तीसरी एडमिनिस्ट्रेटर्स एडवाइजरी काऊंसिल की मीटिंग में सांसद किरण खेर शहर में मैट्रो चलाने के पक्ष में नहीं दिखीं। उन्होंने कहा कि मैट्रो प्रोजैक्ट पर पैसा लगाना पूरी तरह से फिजूलखर्ची साबित होगा। इससे पूरा शहर खोद दिया जाएगा इसलिए वह इसका विरोध करती हैं। 

वहीं, इस मामले में पूर्व सांसद पवन कुमार बंसल ने हस्तक्षेप किया। बंसल ने कहा कि मौजूदा समय में मैट्रो रेल प्रोजैक्ट ही शहर की सबसे बड़ी जरूरत है। इस पर काफी काम किया भी जा चुका है इसलिए यह जल्द से जल्द कागजों से निकलकर हकीकत में सामने आना चाहिए। खास बात यह है कि भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता ने अपनी ही सांसद का विरोध किया। 

भाजपा के पूर्व सांसद ने कहा कि मैट्रो शहर के लिए जरूरी है। मीटिंग सुबह लगभग 10.30 बजे शुरू हुई, जो दोपहर 2 बजे तक चली। डिवैल्पमैंट से जुड़े लगभग हरेक मुद्दे पर चर्चा की गई। मीटिंग के दौरान काऊंसिल के सदस्यों ने कहा कि डी.एस.पी. के हाईकोर्ट में चल रहे मामले को हाईकोर्ट तक नहीं जाना चाहिए था, इसे अपने स्तर पर ही सुलझा लिया जाना चाहिए था।

जल्द करेंगे कजौली वाटर वर्क्स में विजिट : मेयर
अर्बन प्लानिंग एंड हैरीटेज प्रिजर्वेशन कमेटी के सदस्य मेयर देवेश मौदगिल ने मीटिंग के दौरान कजौली वाटर वर्क्स का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पंजाब से 29 एम.जी.डी. पानी मिलना है लेकिन इस प्रोजेक्ट पर पंजाब काफी धीमी गति से काम कर रहा है। वह अब वीरवार को खुद कजौली वाटर वर्क्स में विजिट करने जा रहे हैं। 

बंसल ने पी.पी.पी. मोड का किया विरोध :
पवन कुमार बंसल ने मीटिंग के दौरान स्वास्थ्य पर स्थायी समिति के प्रस्ताव पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पी.पी.पी. मोड पर सरकारी औषधालयों को आऊटसोर्स करना एक गलत मिसाल साबित होगी और इसका सहारा चंडीगढ़ प्रशासन को नहीं लेना चाहिए। किसी भी गैर सरकारी संगठन को सरकारी डिस्पैंसरीज को सौंपने के बजाय सरकार और प्रशासन को डॉक्टरों और पैरा मैडीकल स्टाफ के सभी रिक्त पदों को भरे।

धवन साहब बातें तो करते हैं, आज नहीं आए क्या?
मीटिंग के दौरान जब हैल्थ कमेटी की प्रेजैंटेशन देने की बात आई तो प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर ने देखा कि पूर्व सांसद हरमोहन धवन मौजूद नहीं है। उन्होंने कमेटी के मैंबर सैक्रेटरी डायरैक्टर हैल्थ सर्विसिज से पूछा- क्या बात, मीटिंग में धवन साहब नहीं आए। वैसे तो धवन साहब बहुत बात करते हैं। 

दरअसल बदनौर का यह तंज कुछ दिन पहले हरमोहन धवन की ओर से प्रशासक के खिलाफ जारी किए गए ओपन लैटर से जुड़ा हुआ था। इसमें उन्होंने प्रशासनिक तंत्र की आलोचना की थी। वहीं, हरमोहन धवन से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें जरूरी टैस्ट करवाने के लिए जाना था इसलिए वह मीटिंग में नहीं जा पाए।

किरण खेर ने दिए यह सुझाव :
-मौजूदा समय में शहर की डिस्पैंसरियां एक शिफ्ट में चल रही हैं। यह शिफ्ट सुबह 8 से दोपहर 2 बजे की होती है। गर्मियों में यह शिफ्ट सुबह 9 से तीन बजे की हो जाती है। इस सिस्टम से ओ.पी.डी. में लोगों की संख्या बढ़ जाती है और डॉक्टर्स भी ओवर बर्डन हो जाते हैं। पुराने सिस्टम दोबारा लागू होना चाहिए। 
-20 डिस्पैंसरी नगर निगम के अंतर्गत आती हैं जबकि बाकी डिपार्टमैंट ऑफ हैल्थ एंड फैमिली वैलफेयर के। यह पूरा सिस्टम कंफ्यूजन क्रिएट कर रहा है इसलिए 20 डिस्पैंसरियों को भी हैल्थ डिपार्टमैंट के अंतर्गत लाया जाना चाहिए। 
-सैक्टर-22, 45 और मनीमाजरा के सिविल हॉस्पिटल्स में 24 घंटे जन औषधि/अमृत आऊटलैट्स खुलने चाहिए। 
-हॉस्पिटल्स और डिस्पैंसरियों में बायोमेट्रिक अटैंडैंस सिस्टम शुरू किया जाना चाहिए।
-समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि शहर के 50 प्रतिशत सरकारी स्कूल बिना रेगुलर प्रिंसिपल के चल रहे हैं। इन सभी पोस्टों को तुरंत भरा जाना चाहिए। 
-क्राइम को रोकने के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। 
-पार्किंग रेट मामले का तुरंत समाधान निकाला जाना चाहिए।

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