मोरनी में हिमाचल की तर्ज पर बने कानून, बाहरी व्यक्ति न खरीद सके जमीन

Edited By Priyanka rana,Updated: 07 Mar, 2020 01:18 PM

laws on the lines of himachal in morni outsiders could not buy land

मोरनी से निकटवर्ती हिमाचल प्रदेश में स्थानीय लोगों के हकों की सुरक्षा के लिए टेनैंसी व लैंड रिफॉर्म एक्ट 1972 की धारा 118 को लागू किया हुआ है जिससे हिमाचलियों के हित सुरक्षित रहें।

चंडीगढ़(रमेश) : मोरनी से निकटवर्ती हिमाचल प्रदेश में स्थानीय लोगों के हकों की सुरक्षा के लिए टेनैंसी व लैंड रिफॉर्म एक्ट 1972 की धारा 118 को लागू किया हुआ है जिससे हिमाचलियों के हित सुरक्षित रहें। इस एक्ट के 11वें अध्याय ‘कंट्रोल ऑन ट्रांसफर ऑफ लैंड’ में आने वाली धारा 118 के तहत ‘गैर-कृषकों को जमीन हस्तांतरित करने पर रोक’ है। 

सैक्शन 118 ऐसे किसी भी व्यक्ति को जमीन ट्रांसफर किए जाने पर प्रतिबंध लगाता है, जो हिमाचल प्रदेश में कृषक व स्थाई निवासी नहीं है। अब इसी स्वरूप के एक्ट को सिरमौर रियासत में रहे व हिमाचल की भौगोलिक स्थिति जैसे एरिया, 14 भोज कोटाहा यानी ब्लाक मोरनी में भी गैर कृषक व बाहरी लोगों को जमीन हस्तांतरित करने पर रोक लगाने के लिए शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल ने मुख्य सचिव हरियाणा सरकार एडवोकेट रवि शर्मा के माध्यम से कानूनी नोटिस भेजकर मांग की है।

पहाड़ी क्षेत्र का दिया जाए दर्जा :
विजय बंसल का कहना है कि बाहरी लोगों ने जमीने खरीद कर होटल रैस्टोरैंट बना लिए हैं जबकि मोरनी के लोगों का व्यवसाय और रोजगार कम हो चुका है। या तो मोरनी के लोगों को उनके होटलों में काम करना पड़ता है या फिर बेरोजगार रहना पड़ता है। बंसल के अनुसार मोरनी में हिमाचल की तरह कानून लागू होना जरूरी है। इसके साथ ही बंसल ने मोरनी को पहाड़ी क्षेत्र का दर्जा देने की मांग की है। 

विजय बंसल ने कहा कि मोरनी में पहाड़ी क्षेत्र के स्थाई निवासियों के अलावा सभी बाहरी लोगों को जमीनें खरीदने पर प्रतिबंध लगाया जाना जरूरी है क्योंकि अब मोरनी के संस्कृति, भाषा, रीति रिवाज, सामाजिक सौहार्द को कायम रखना जरूरी है। बंसल से कहा है की अगर सरकार ने कानूनी नोटिस का संज्ञान नहीं लिया तो वह हाईकोर्ट का सहारा लेंगे।

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