वकीलों को मिली अनोखी सजा, लगाने होंगे निःशुल्क मेडिकल कैंप और 250 पौधे

Edited By pooja verma,Updated: 01 Oct, 2019 10:09 AM

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बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा की एनरोलमैंट कमेटी ने एडवोकेट एक्ट की पालना न करने वाले 2 वकीलों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए उन्हें अनोखी सजा सुनाई है।

चंडीगढ़ (रमेश): बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा की एनरोलमैंट कमेटी ने एडवोकेट एक्ट की पालना न करने वाले 2 वकीलों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए उन्हें अनोखी सजा सुनाई है। लाइसैंस लेने के बावजूद प्रैक्टिस न कर अपनी सेवाएं दूसरे प्रोफैशन में देने वाले वकील को 250 पौधे लगाने और फ्री मैडीकल कैंप लगाने के निर्देश दिए गए हैं, वहीं दूसरे वकील ने लाइसैंस लेने से पहले ही खुद को वकील बता केस ले लिया था, जिसका खामियाजा उसे एक लाख जुर्माने के रूप में भुगतना पड़ा।  एक लाख की राशि में से 50 हजार रुपए उसे पी.जी.आई. में तो 50 हजार रुपए बार काऊंसिल में जमा करवाने होंगे।

 

केस-1 : लाइसैंस भी वापस लिया
एनरोलमैंट कमेटी के सदस्य व पूर्व चेयरमैन अधिवक्ता मिंदरजीत यादव ने बताया कि हमें कुछ समय पहले अधिवक्ताओं द्वारा एडवोकेट्स एक्ट का पालन न करने की शिकायत मिली थी, जिसमें एक अधिवक्ता लाइसैंस लेने के बाद पै्रक्टिस न करके दूसरे प्रोफैशन में अपनी सेवाएं दे रहे थे। इस पर बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा द्वारा 3 सदस्यों की एक कमेटी गठित की गई, जिसकी अध्यक्षता स्वयं मिंदरजीत यादव ने की। 

 

तीनों सदस्यों ने मिलकर उपरोक्त अधिवक्ता से उनका लाइसैंस वापस ले लिया व उनको जिला एवं सत्र न्यायालय होशियारपुर में 250 पौधे लगाने के साथ ही रेवाड़ी व करनाल की कोर्ट में फ्री मैडीकल कैम्प लगाने के आदेश दिए। 

 

केस-2 : अधिवक्ता बताना पड़ा महंगा
दूसरे मामले में अधिवक्ता ने 7 अप्रैल, 2015 को बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा में अपना पंजीकरण करवाया था। ज्ञात रहे कि किसी भी अधिवक्ता को केस लेने से पूर्व पंजीकरण की आवश्यकता होती है, परंतु उपरोक्त अधिवक्ता ने 6 अगस्त, 2012 को अपने आपको अधिवक्ता बताया था। 

 

इस मामले पर भी बार काउंसिल की एनरोलमैंट कमेटी ने कड़ा संज्ञान लेते हुए 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। इसमें उपरोक्त अधिवक्ता को 50,000 रुपए बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा में और 50,000 रुपए पी.जी.आई. में भर्ती गरीब मरीजों की मदद के लिए देने होंगे। 

 

ऐसे वकीलों पर लगाम लगेगी जो पद व डिग्री का दुरुपयोग करते हैं  
उपरोक्त मामले को लेकर जब कमेटी के अध्यक्ष मिंदरजीत यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कानून सभी के लिए एक समान है। यदि कोई व्यक्ति कानून का ठीक प्रकार से पालन नहीं करता है तो वह सजा का हकदार है फिर वह चाहे कोई भी क्यों न हो। 

 

यादव ने बताया कि इस प्रकार की कंपलैंट पर कार्रवाई करके उन्होंने एक अनोखा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। इससे उन अधिवक्ताओं पर लगाम लगेगी जो अपनी डिग्री व पद का दुरुपयोग करते हैं व साथ ही इस सजा से गरीब मरीजों व पर्यावरण को भी काफी लाभ होगा।

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