Edited By Priyanka rana,Updated: 07 Oct, 2019 12:48 PM
पिछले 30 वर्षों से लैपरोसी से ग्रसित लोगों का इलाज करवा रहे प्रेम सिंह को गत 3 अक्तूबर को नैशनल अवार्ड राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की ओर से दिया गया है।
चंडीगढ़(रश्मि) : पिछले 30 वर्षों से लैपरोसी से ग्रसित लोगों का इलाज करवा रहे प्रेम सिंह को गत 3 अक्तूबर को नैशनल अवार्ड राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की ओर से दिया गया है। प्रेम सिंह कुष्ठ रोगियों का इलाज करवाते हैं। रोगियों का इलाज करवाने के लिए प्रेम सिंह ने अपना घर गहने तक बेच दिए। पहले घर के लोग इससे खुश नहीं थे लेकिन अब इनकी बेटी भी इनके साथ मिलकर काम करती है।
प्रेम सिंह ने बताया कि मरीजों के लिए काम करने के लिए प्रेरणा उन्हें अपने दादा रेलू राम से मिली है। रेलूराम किसी भी हड्डी टूटने वाले मरीज का इलाज मुफ्त में कर दिया करते थे। मैने जब लैपरोसी से ग्रसित मरीजों को देखा कि वह इस बीमारी से आंखें, हाथ, पैर तक खो देते हंै। मरीज धीर-धीरे मौत की तरफ बढ़ जाता है जबकि शुरूआत में ही इस ओर ध्यान दे दिया जाए तो मरीज का पूरा इलाज हो सकता है।
प्रेम सिंह ने जिन मरीजों का इलाज किया है उनमें से 60 फीसदी मरीज 60 की उम्र के ज्यादा के है और डिस्एबल व्यक्ति के लिए काम करते हंै। बीमारी होने के बाद मरीजों को बहुत दर्द सहना पड़ता है। इस बीमारी के लिए सरकार की ओर से फंड तो बहुत आते हैं लेकिन निचले स्तर पर काम नहीं होता है। लोगों को सरकार की ओर से दी जाने वाली स्कीमों के बारे में जानाकरी भी नहीं है। इसलिए गरीब लोग इलाज नहीं करवा पाते हैं।
सामाजिक तौर पर लोग कटने लगे थे :
उन्होंने बताया कि वह अब तक एक हजार मरीजों का इलाज करवा चुके हैं। प्रेम सिंह ने बताया कि मैंने लोगों का इलाज करवाना शुरू किया था लोग सामाजिक तौर पर मुझसे कटकर रहने लगे थे, क्योंकि इलाज के लिए इस तरह के लोग मेरे घर पर आते थे। लोगों को लगता है कि यह रोग छूने से फैलता है लेकिन ऐसा नहीं है। यह रोग स्लाईवा या थूक से फैलता है।
प्रेम ने बताया कि जो लोग माइग्रेट करके दूसरे शहरों में जाते हैं और गरीब होते हैं उनमें न्यूट्रीशियन की वजह से इस तरह की बीमारी फैल जाती है। इस बीमारी का इलाज मल्टी ड्रग थैरेपी (एम.डी.टी.) से होता है। प्रेम सिंह आडिट ऑफिसर के तौर पर सेवानिवृत्त हैं। वह आगे चलकर सीनियर सिटीजन के लिए काम करना चाहते हैं।
यह मिले आवार्ड अब तक :
- नैशनल अवार्ड 2002 में इससे पहले भी मिला था और स्टेट अवार्ड भी 2001 में भी मिल चुका है
- सत्र 2017 बी.एम.जे. अवार्ड के लिए नोमिनेशन के लिए जा सकता है
- 2004 में रैड व्हाईट ब्रेवरी अवार्ड
- डॅाक्यूमैंटरी फिल्म 2005 में ‘जाबांज’ बनाई गई एक निजी चैनल ने बनाई गई।