Edited By Priyanka rana,Updated: 14 Nov, 2018 08:52 AM
मंगलवार को एस्टेट आफिस में ट्रांसफर के बाद चार्ज संभालने पहुंचे पंजाब कैडर के अधिकारी राकेश कुमार पोपली को यहां तैनात मनोज कुमार खत्री ने चार्ज देने से यह कहकर इनकार कर दिया कि मैं अपना चार्ज किसी को नहीं दूंगा।
चंडीगढ़(साजन) : मंगलवार को एस्टेट आफिस में ट्रांसफर के बाद चार्ज संभालने पहुंचे पंजाब कैडर के अधिकारी राकेश कुमार पोपली को यहां तैनात मनोज कुमार खत्री ने चार्ज देने से यह कहकर इनकार कर दिया कि मैं अपना चार्ज किसी को नहीं दूंगा। चार्ज संभालने पहुंचे पोपली के सामने अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई। उन्होंने तुरंत इसकी सूचना डी.सी. मनदीप सिंह बराड़ को दी।
सूत्रों के अनुसार बराड़ ने भी मनोज कुमार खत्री को समझाने की कोशिश की लेकिन वह मानने को तैयार नहीं हुए। आखिरकार डी.सी. ने उच्चाधिकारियों से फोन पर बात की और उसके बाद यू.टी. सेक्रैट्रिएट में समझौता कराया गया जिसके बाद पोपली को चार्ज दिए जाने पर रजामंदी बनी। देर शाम पोपली ने चार्ज संभाल लिया और मनोज कुमार खत्री को रिलीव कर दिया गया।
विदित रहे कि चंडीगढ़ प्रशासन के पर्सोनल डिपार्टमैंट ने सोमवार को प्रशासक की मंजूरी के बाद राकेश कुमार पोपली सहित कई अफसरों के तबादले किए थे। पोपली को असिस्टैंट एस्टेट आफिसर (हैडक्वार्टर) का चार्ज सौंप दिया गया था। उनसे पहले तैनात मनोज कुमार खत्री को यहां से रिलीव किया जाना था।
एस्टेट ऑफिस में खत्री की कार्यप्रणाली पर उठ रहे थे सवाल :
खत्री की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठ रहे थे। बीते दिनों 25 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों को बिल्डिंग वायलेशन के नोटिस जारी करने व 43 स्कूलों के खिलाफ वायलेशन को लेकर जांच करने की कार्रवाई भी उन्हीं के आफिस से जारी हुई थी। सेक्रैटरी एजुकेशन ने एक साथ इतने स्कूलों को नोटिस भेजने पर आपत्ति जताई थी।
उन्होंने इस बाबत चार्ज संभाले डी.सी. सचिन राणा से फोन पर बातचीत भी की थी और कहा था कि हर साल नया सत्र शुरू होने से कुछ पहले इस तरह के नोटिस भेजे जा रहे हैं लेकिन इसमें किसी स्कूल पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। बाद में सब फाइलें डंप हो जाती हैं। अगर सचमुच किन्हीं स्कूलों ने वायलेशन किया है तो उन पर सख्त कार्रवाई कर उन्हें जानकारी भेजी जाए अन्यथा स्कूलों को बेवजह परेशान न किया जाए।
डी.सी. की नहीं मानी, उच्च अधिकारी ने समझाया :
जब खत्री ने चार्ज देने से मना किया तो पोपली मामला डी.सी. के पास ले गए। तब भी खत्री नहीं माने तो डी.सी. ने उच्च अधिकारी के समक्ष मामला पहुंचाया। उच्च अधिकारी ने मनोज कुमार खत्री को समझाया कि ट्रांसफर प्रशासक के आदेशों पर हुई है और उनके आदेशों को दरकिनार नहीं किया जा सकता।
जहां ट्रांसफर हुई है वहां तो जाना ही पड़ेगा। इसके बाद वे माने। वहीं जब मनोज कुमार खत्री से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें जब रिलीव किया जाएगा, तब ही वे जाएंगे। विवाद की कोई बात नहीं है।