Edited By bhavita joshi,Updated: 22 Jul, 2019 12:12 PM
पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (पूटा) के चुनावों से पहले पूटा मैंबरशिप को लेकर पी.यू. में इस समय बवाल खड़ा हो गया है।
चंडीगढ़(रश्मि हंस) : पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (पूटा) के चुनावों से पहले पूटा मैंबरशिप को लेकर पी.यू. में इस समय बवाल खड़ा हो गया है। पूटा की मैंबरशिफ की फीस बढ़ाने और फीस के पैसे पी.यू. प्रबंधन की ओर से डॉयरैक्ट वेतन में से काटने के फैसले को लेकर कुछ फैकलटी मैंबर खफा भी है। पूटा की गत 15 मई को हुई जनरल बॉडी की बैठक (जी.बी.एम.) में फैसला लिया गया कि पूटा की मैंबरशिप के लिए रैगुलर फैकल्टी मैंबर के वेतन में एफ.डी.ओ. की ओर से 500 रुपए काटे जाएंगे। पहले मैंबरशिप के लिए फीस 200 रुपए थी।
अब यह बढ़ाकर 500 रुपए कर दी गई है। हालांकि मौजूदा पूटा की ओर से मैंबरशिप बढ़ाने का प्रस्ताव 300 रुपए किया गया था, लेकिन बैठक में कुछ फैकल्टी मैंबर के कहने से 500 रुपए कर दिया गया था। वहीं, पी.यू. कैंपस में इस समय करीबन 650 के करीब रैगुलर फैकल्टी है, जो पूटा की मैबरशिप लेकर पूटा की सदस्य बन सकते है।
असिस्टैंट प्रोफैसर और प्रोफैसर के वेतन में काफी अंतर
पी.यू. के कुछ खफा फैकल्टी मैंबर्स का कहना है कि असिस्टैंट प्रोफैसर और प्रोफैसर के वेतन में काफी अंतर है। पूटा की मैंबरशिप की फीसों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी की जानी थी। फैकल्टी मैंबर्स का कहना है कि फीसें भी डायरैक्ट कट जाएंगी तो फैकल्टी मैंबर्स एक-दूसरे से मिल भी नहीं पाएंगे और यह कानूनी तौर पर भी ठीक नहीं है।
प्रो. जयंति ने दिया था बैठक में अपना डायसैंट
प्रो. जयंति ने बताया कि उन्होंने पूटा के रेजोल्यूशन का गत 15 मई को हुई बैठक में ही विरोध किया था। फैकल्टी की मैंबरशिप 200 से 500 करने और मैंबरशिप की फीस वेतन से डायरैक्ट काटने का विरोध कर उस पर अपना डायसेंट भी दिया था। मेरा मानना है किसी भी एसोसिएशन को पी.यू. प्रबंधन से अलग रहकर अपना काम करना चाहिए। अगर एसोसिएशन अथॉरिटी के साथ ही अटैच हो गई तो एसोसिएशन शिक्षकों के मुद्दे कैसे उठा पाएंगी। शिक्षकों का अपना अधिकार है कि वह पूटा के मैंबर बनें या न बनें, लेकिन इस तरह से पी.यू. प्रबंधन की ओर से शिक्षकों के वेतन से पैसे कटेंगे तो जो शिक्षक पूटा के मैंबर नहीं बनना चाहते हैं, वे भी ऑटोमैटिक इसके मैंबर बन जाएंगे। प्रो. जयंति ने कहा कि बैठक के मिनट्स भी अभी तक मुझे नहीं मिले हैं।
मैंबरशिप की फीस बढ़ाना और वेतन से पैसे काटना गलत: प्रो. मलकीत सिंह सिद्धू
पूटा के सैक्रेटरी व जनरल सैक्रेटरी के पद पर रह चुके प्रो. मलकीत सिंह सिद्धू ने कहा कि पूटा को इस तरह से कोई भी रेजोल्यूशन पास नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गत 15 मई को हुई पूटा की बैठक में मैं शामिल नहीं था। अगर मैं बैठक में होता तो मैंबरशिप फीस बढ़ाने और पी.यू. का अपने स्तर पर वेतन में से मैंबरशिप काटने का मैं विरोध जरूर करता और आज भी करता हूं। उन्होंने कहा कि कहीं कोई त्रासदी होने पर प्राइम मिनिस्टर फंड में भी पैसे लिए जाते हैं तो वहीं भी आम लोगों से उनकी सहमति होने पर ही पैसे काटे जाते हैं। यहां तो पी.यू. प्रबंधन को ही मैंबरशिप काटने की जिम्मेदारी दी जा रही है।
ऐसे तो यह सिस्टम ही बन जाएगा: प्रो. खालिद
पूटा के पूर्व प्रैजीडैंट प्रो. खालिद ने कहा कि वह भी गत 15 मई को हुई बैठक में मौजूद नहीं थे। अगर बैठक में शामिल होता तो मैं इस रेजोल्यूशन के खिलाफ जरूर आवाज उठाता। पूटा की फैकल्टी मैंबरशिप के लिए कानूनी तौर पर भी एफ.डी.ओ. किसी भी शिक्षक के वेतन से पैसे नहीं काट सकता है। हर वर्ष ही फैकल्टी को मैंबरशिप फीस देनी पड़ती है। अगर इस बार पी.यू अथॉरिटी मैंबरशिप के पैसे काटती है तो हर बार का यह सिस्टम बन जाएगा और ऐसा हर बार होगा।
बैठकों का दौर शुरू, अक्षय-खालिद ग्रुप अलग-अलग कर सकता है स्पोर्ट
पूटा का चुनाव कौन-कौन लड़ेगा, इसे लेकर भी कयास लगने शुरू हो गए हैं। बहरहाल बैठकों का दौर शुरू हो गया है। कई वर्षों तक एक साथ चुनाव लड़ते रहे अक्षय-खालिद ग्रुप अब एक-दूसरे से अलग-थलग होता नजर आ रहा है। पिछले वर्ष 2018-19 में अक्षय ग्रुप ने अशोक गोयल ग्रुप को स्पोर्ट किया था, जबकि खालिद ग्रुप ने खुलेआम तो नहीं, लेकिन अंदरखाते दूसरे ग्रुप को स्पोर्ट किया था। अशोक गोयल ग्रुप से प्रो. राजेश गिल ने पूटा के चुनाव लड़ा था। वह और उनकी टीम पिछले दो वर्ष से पूटा के अध्यक्ष के पद पर चुनाव लड़ रहीं है और जीत रहीं है। यह टीम अपने आपमे मजबूत टीम है।
ये चेहरे लड़ सकते हैं चुनाव
पूटा के चुनाव होने में अभी समय है, लेकिन प्रो. राजेश गिल, मलकीत सिंह सिद्धू, दविंद्र ग्रुप से प्रो. दविंद्र सिंह के नाम चुनाव में खड़े होने के लिए लिया जा रहा है। हालांकि सभी सदस्यों का कहना है कि अभी चुनावों में समय है, इसलिए इस पर विचार किया जाएगा।