Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Feb, 2018 09:55 AM
पी.जी.आई. ट्रॉमा सैंटर व एमरजैंसी में दाखिल मरीज बीमारी के साथ-साथ इन दिनों अस्पताल की अनदेखी भी झेल रहे हैं। आलम यह है कि मरीजों की जान जोखिम में आ गई है।
चंडीगढ़(पॉल) : पी.जी.आई. ट्रॉमा सैंटर व एमरजैंसी में दाखिल मरीज बीमारी के साथ-साथ इन दिनों अस्पताल की अनदेखी भी झेल रहे हैं। आलम यह है कि मरीजों की जान जोखिम में आ गई है।
किसी भी अस्पताल का ट्रॉमा सैंटर व एमरजैंसी ऐसे विभाग हैं जहां मरीजों की सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। इतना संवेदनशील होने के बाद भी इन विभागों में लाइफ सेविंग ड्रग समेत कई दवाइयों की शॉर्टेज मरीजों के लिए खतरा बनी हुई है।
पी.जी.आई. के दोनों विभागों में हमेशा 400 के करीब मरीज गंभीर हालत में भर्ती रहते हैं। सूत्रों की माने तो एमरजैंसी व ट्रॉमा में कई दिनों से जरूरी सामान और दवाइयां सप्लाई नहीं हो पा रही हैं।
सबसे हैरानी वाली बात यह है कि बेहोश मरीजों को सांस देने के लिए जरूरी सामान जैसे सक्शन कैथेटर, एरय-वे व ऑक्सीजन फ्लो मीटर जैसा सामान व कई एंटीबॉयोटिक्स भी नहीं मिल पा रही हैं। स्टाफ की मानें तो पिछले कई दिनों से दवाई और सामान की शॉर्टेज चल रही है, जिसके बारे में विभाग को पता होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।
महंगे दामों पर दवाइयां खरीदने को मजबूर मरीज :
चोट लगने के दौरान ड्रैसिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाई बिटाडिन जैसी दवाई भी इन दिनों मरीजों से मंगवाई जा रही हैं। जब भी जरूरी दवाइयों को सप्लाई इस कदर बाधित होती है तो अस्पताल में मौजूद प्राइवेट मैडीकल स्टोर की सेल में वृद्धि हो जाती है।
पी.जी.आई. में आने वाले मरीज ज्यादातर आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं होते, कईयों के पास तो खाने तक के पैसे नहीं होते है। ट्रॉमा व एरमजैंसी में मरीजों की हालत काफी नाजुक रहती है। ऐसे में उन्हें दवाईयां उन्हें जल्दी चाहिए होती है। ऐसे में मजबूरन उन्हें प्राइवेट मैडीकल स्टोर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं जो अस्पताल से उन्हें मिलनी चाहिए।