सांसद के इंकार के बावजूद प्रशासन फिर मैट्रो के विकल्प पर करेगा पुर्नविचार

Edited By Priyanka rana,Updated: 29 Jul, 2019 09:09 AM

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चंडीगढ़ की सांसद के मैट्रो पर इंकार के बावजूद चंडीगढ़ प्रशासन शहर में ट्रैफिक की समस्या के समाधान के लिए एक बार फिर दिल्ली मैट्रो रेल कार्पोरेशन (डी.एम.आर.सी.) द्वारा किए पिछले अध्ययन की समीक्षा करेगा और ट्रैफिक समस्या को हल करने के लिए प्रशासन की...

चंडीगढ़(राय) : चंडीगढ़ की सांसद के मैट्रो पर इंकार के बावजूद चंडीगढ़ प्रशासन शहर में ट्रैफिक की समस्या के समाधान के लिए एक बार फिर दिल्ली मैट्रो रेल कार्पोरेशन (डी.एम.आर.सी.) द्वारा किए पिछले अध्ययन की समीक्षा करेगा और ट्रैफिक समस्या को हल करने के लिए प्रशासन की सहायता के लिए एक सलाहकार को भी तैनात किया जाएगा। 

फ्रांसीसी कंपनी सिस्ट्रा के अध्ययन को किया खारिज :
प्रशासन ने स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शहर की ट्रैफिक को नियंत्रित करने की योजना के लिए फ्रांसीसी कंपनी सिस्ट्रा द्वारा किए गए एक विस्तृत अध्ययन को खारिज कर दिया है। बताया जाता है कि स्मार्ट सिटी परियोजना पर हुई बैठक में इस परियोजना को रद्द कर डी.एम.आर.सी. की रिपोर्ट पर ही विचार करने का निर्णय लिया गया।

13 वर्ष में 110 मीटिंग, खर्चे 10 करोड़ :
ज्ञात रहे कि चंडीगढ़ में मैट्रो रेल की सम्भावनाएं तलाशने में प्रशासन गत 13 वर्ष से लगा है। प्रशासन ने मैट्रो के लिए पंजाब, हरियाणा व केंद्र सरकार के साथ 110 मीटिंग की। राइट्स कंपनी से मैट्रो की डिटेल प्रोजैक्ट रिपोर्ट तैयार करवाने पर दस करोड़ रुपए खर्च कर दिए।

तो मोनो रेल पर शुरू किया था विचार :
सांसद किरण खेर से मिली फीडबैक के बाद पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री ने राजनाथ सिंह के मैट्रो प्रोजैक्ट पर इन्कार करने के बाद प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर ने मोनो रेल पर काम शुरू कर दिया। स्विजरलैंड की कंपनी इंटामिन ट्रांसपोर्टेशन लिमिटेड ने मोनो रेल को लेकर अपनी प्रैजेंटेशन प्रशासन के अफसरों को भी दी। मैट्रो प्रोजैक्ट पर 14000 करोड़ रुपए खर्च होने थे, लेकिन मोनो रेल पर केवल 2500 करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान लगाया गया था।

प्रशासक ने प्रस्ताव को ठीक बताया :
हाल ही में प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर के साथ बैठक में इस मामले पर चर्चा की गई व उन्होंने सलाहकार मनोज परिदा से डी.एम.आर.सी. की रिपोर्ट का पुन: अध्ययन करने के प्रस्ताव को ठीक बताया। 

उन्होंने कहा कि फ्रांसीसी कंपनी की रिपोर्ट को पंजाब इंजीनियरिंग कालेज (पी.ई.सी.) और अन्य विशेषज्ञों की एक टीम से रिव्यू कराया गया और उसमें कई आंकड़े सही नहीं पाए। बताया जाता है कि फ्रांसीसी एजैंसी ने ट्राइसिटी में तीन गलियारों का सुझाव दिया था और उनके साथ परिवहन के संभावित साधनों के रूप में बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम, लाइट रेल ट्रांजिट व आधुनिक ट्राम और मोनो रेल के विकल्प सुझाव दिया था।

डी.एम.आर.सी. की रिपोर्ट के अनुसार मैट्रो रेल के लिए शहर में बनेंगे कॉरीडोर :
-कारीडोर-1, - नोर्थ साउथ कॉरीडोर 12.5 किलोमीटर लंबाई।
इसमें कवर होंगे : कैपिटल कॉम्प्लैक्स-सैक्टर-9, सैक्टर-17 आई.एस.बी.टी., अरोमा चौक, सैक्टर-34, सैक्टर-43 बस टर्मिनल, सैक्टर-52, सैक्टर-62 (सिटी सैंटर) और गुरुद्वारा सिंह शहीदां।

-कारीडोर-2, ईस्ट वेस्ट कारीडोर 25 किलोमीटर लंबा होगा।
इसमें कवर होंगे : ट्रांसपोर्ट टर्मिनल, मुल्लांपुर-1, मुल्लांपुर-2, सारंगपुर, खुड्डा लाहौरा, पी.जी.आई., सैक्टर-9, सैक्टर-7, सैक्टर-26, टिंबर मार्कीट, चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन, हाऊसिंग बोर्ड चौक, एम.डी.सी. पंचकूला, हुड्डा कॉम्पलैक्स-सिटी सैंटर, बस स्टैंड पंचकूला, डिस्ट्रिक्ट सैंटर- गांव रैली और ग्रेन मार्कीट।

हरियाणा के सी.एम. ने कहा, ट्राईसिटी में भी मैट्रो रेल परियोजना के प्रस्ताव पर कार्य करें :
मुख्य सचिव डीएस ढेसी के अनुसार हरियाणा में फिलहाल 40 किलोमीटर लंबाई का देश का सबसे अधिक मैट्रो रेल नेटवर्क उपलब्ध है, जिसे भविष्य में दिल्ली मैट्रो रेल निगम के चौथे चरण में 75 से 80 किलोमीटर तक विस्तारित करने का प्रस्ताव है। 

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस बात की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए कि वे हरियाणा मैट्रो रेल परिवहन निगम के माध्यम से ट्राईसिटी में भी मैट्रो रेल परियोजना के प्रस्ताव पर कार्य करें। 

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